यूपी में मायावती को वोट न देने वाले भी एक बात से इंकार नहीं कर पाते - 'कुछ भी हो मायावती के शासन में अपराधी तो मैदान छोड़ ही देते हैं.' एक ताजा सर्वे में लोगों ने यूपी में कानून व्यवस्था को सबसे बड़ी समस्या बताया है. शायद इसीलिए बतौर सीएम मायावती को फर्स्ट डिवीजन तो मिला है लेकिन मार्क्स उन्हें सिर्फ 26 फीसदी ही मिले हैं.
सबसे बड़ी समस्या
25 हजार लोगों के बीच हुए ASME रिसर्च का ये सर्वे मायावती की सत्ता में वापसी के कयासों को बल दे रहा है. साथ ही, अखिलेश यादव की सरकार को लेकर एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर के साफ संकेत दे रहा है. सर्वे में लोगों ने अखिलेश सरकार की परफॉर्मेंस को लेकर नाखुशी जतायी है. भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था लोगों के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है. इसमें बेरोजगारी को 22 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी और बढ़ती कीमतों को 24 फीसदी लोगों ने समस्या माना है - लेकिन सबसे ज्यादा 25 फीसदी लोगों ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर चिंता जताई है.
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पंचायत चुनाव में मिली कामयाबी के बाद देखा गया कि मायावती यूपी में अक्सर गुंडाराज का मसला उठाती रहती हैं. कभी रेप की घटनाओं के बाद तो कभी दलित अत्याचार के नाम पर. इधर कुछ दिनों से उनके बीएसपी नेता भी अपने अपने इलाकों में कानून व्यवस्था को लेकर लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि मायावती की सरकार के सत्ता में आने पर सब ठीक हो जाएगा.
कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
सर्वे में सबसे ज्यादा 26 फीसदी लोगों ने मायावती को मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसंद बताया है. दूसरे नंबर पर मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं जिन्हें 22 फीसदी लोग अब भी मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते...
यूपी में मायावती को वोट न देने वाले भी एक बात से इंकार नहीं कर पाते - 'कुछ भी हो मायावती के शासन में अपराधी तो मैदान छोड़ ही देते हैं.' एक ताजा सर्वे में लोगों ने यूपी में कानून व्यवस्था को सबसे बड़ी समस्या बताया है. शायद इसीलिए बतौर सीएम मायावती को फर्स्ट डिवीजन तो मिला है लेकिन मार्क्स उन्हें सिर्फ 26 फीसदी ही मिले हैं.
सबसे बड़ी समस्या
25 हजार लोगों के बीच हुए ASME रिसर्च का ये सर्वे मायावती की सत्ता में वापसी के कयासों को बल दे रहा है. साथ ही, अखिलेश यादव की सरकार को लेकर एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर के साफ संकेत दे रहा है. सर्वे में लोगों ने अखिलेश सरकार की परफॉर्मेंस को लेकर नाखुशी जतायी है. भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था लोगों के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है. इसमें बेरोजगारी को 22 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी और बढ़ती कीमतों को 24 फीसदी लोगों ने समस्या माना है - लेकिन सबसे ज्यादा 25 फीसदी लोगों ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर चिंता जताई है.
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पंचायत चुनाव में मिली कामयाबी के बाद देखा गया कि मायावती यूपी में अक्सर गुंडाराज का मसला उठाती रहती हैं. कभी रेप की घटनाओं के बाद तो कभी दलित अत्याचार के नाम पर. इधर कुछ दिनों से उनके बीएसपी नेता भी अपने अपने इलाकों में कानून व्यवस्था को लेकर लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि मायावती की सरकार के सत्ता में आने पर सब ठीक हो जाएगा.
कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
सर्वे में सबसे ज्यादा 26 फीसदी लोगों ने मायावती को मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसंद बताया है. दूसरे नंबर पर मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं जिन्हें 22 फीसदी लोग अब भी मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं.
इन्हीं में 12 फीसदी ऐसे हैं जो प्रियंका गांधी को मुख्यमंत्री के रूप में पसंद कर रहे हैं. हाल ही में प्रशांत किशोर की सलाह बताते हुए कांग्रेस कैंप से प्रियंका का नाम उछाला गया है. हालांकि अब खबर ये आ रही है कि प्रियंका प्रशांत किशोर की दूसरी पसंदीदा उम्मीदवार हैं. प्रशांत को सबसे ज्यादा पसंद राहुल गांधी हैं जिन्हें वो मायावती और अखिलेश यादव के मुकाबले कांग्रेस का सबसे क्रेडिबल चेहरा मानते हैं. अगर इन दोनों में से कोई तैयार नहीं हुआ तो प्रशांत दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को लाने की सलाह दे रहे हैं.
सिर्फ एंटी इंकम्बेंसी का फायदा या... |
कानून व्यवस्था का मुद्दा फिर उठाते हुए मायावती ने 2017 में बीएसपी की सरकार बनने का दावा किया है. मायावती कह रही हैं, "यूपी की जनता कह रही है कि अगर प्रदेश में लॉ एंड आर्डर दुरूस्त करना है तो अबकी बार बीएसपी की ओर से मायावती को लाओ."
बाकी सभी को मायावती एक ही तराजू में तौल रही हैं, "अब प्रियंका हों, सपा या बीजेपी, कोई भी सरकार हमारी ही बनेगी."
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मायावती, अखिलेश और वरुण के अलावा 10 फीसदी लोग राजनाथ सिंह के चाहने वाले भी हैं. बात जब बीजेपी में बेस्ट की होती है तो सर्वे में 45 फीसदी वरुण तो 34 फीसदी राजनाथ के साथ खड़े दिखाई देते हैं. जब बीजेपी में और लोगों के नाम पूछे जाते हैं तो 5 फीसदी योगी आदित्यनाथ को, 4 फीसदी कलराज मिश्र को, 2 फीसदी मनोज सिन्हा को और सिर्फ एक फीसदी स्मृति ईरानी को मुख्यमंत्री के लायक मानते हैं.
क्या होगा मुद्दा
मायावती के साथ साथ बीजेपी नेता भी आपराधिक घटनाओं के बाद कानून व्यवस्था के नाम पर अखिलेश सरकार पर हमले करते रहे हैं. लेकिन बीजेपी जिस विकास के नाम पर वोट मांगती रही है वो महज 6 फीसदी लोगों की नजर में चुनावी मुद्दा हो सकता है.
बीजेपी पर ध्रुवीकरण की राजनीति के भी आरोप लगते रहे हैं - लेकिन ये भी सिर्फ 13 फीसदी लोगों की नजर में चुनाव के लिए महत्व रखता है. मुद्दों में एक भ्रष्टाचार भी है जो 10 फीसदी लोगों की नजर में 2017 के विधानसभा चुनावों में उछल सकता है.
सर्वे अखिलेश और मुलायम सिंह के साथ साथ बीजेपी की चिंता बढ़ाने वाला है. बात जब लॉ एंड ऑर्डर की उठ रही हो तो बीजेपी से भी ये उम्मीद होगी कि वो बताए कि उसका उम्मीदवार कौन है. ताकि लोग ये समझ सकें कि यूपी की कानून व्यवस्था को लेकर वो क्या कुछ कर सकेगा.
यूपी चुनाव में लंबा वक्त भले न हो लेकिन इतना तो है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कानून व्यवस्था के मामले में लोगों की अगर कोई ऐसी धारणा बनी है तो उसे अपने कामकाज से बदल सकें. चुनाव तक अभी बहुत बातें होंगी - और हर किसी के लिए तैयारी का पूरा मौका है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.