अमेरिकी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी ने हाल ही में जेम्स ट्राउब का एक लेख प्रकाशित किया है 'क्या मुसलमानों के लिए मोदी का भारत सुरक्षित है? इस लेख का शीर्षक सुनने में भले ही आसान सा लगे लेकिन इसके मायने बहुत गंभीर हैं. जेम्स सेंटर ऑन इंटरनेशनल कोऑपरेशन में फैलो हैं और फॉरेन पॉलिस डॉट कॉम पर साप्ताहिक कॉलम लिखते हैं. जानिए जेम्स के लेख की 10 बातें, जो शायद मोदी समर्थकों को अच्छी न लगें-
1. नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार की सहयोगी महाराष्ट्र सरकार ने 'शोर मचाते हुए मुस्लिम विरोधी इंतजामों की श्रृंखला' शुरु की है.
2. नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से आते हैं जो 'भाजपा का उग्रवादी, त्रिशूलधारी विंग' है. वह उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे जब 'हिंदू भीड़ ने 1,000 से ज्यादा मुसलमानों को मार डाला था'.
3. भारत के मुसलमान 'हवा में हर भूसे पर गौर करते हैं': सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मस्जिदें पवित्र स्थान नहीं है और उन्हें ध्वस्त किया जा सकता है, हरियाणा की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवद गीता को स्कूलों में पढ़ाया जाएगा, चर्चों में तोड़फोड़ की जा रही थी, एक 71 वर्षीय नन के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और गोमांस पर प्रतिबंध फैलाया जा रहा था.
4. मोदी चौकस हो गए हैं, लेकिन उन्होंने राज्य सरकारों को 'राष्ट्रवादी एजेंडे' को आगे बढ़ाने से नहीं रोका है और न ही उन्होंने 'भड़काऊ बयानबाजी' रोकने के लिए कहा. भारत के मुसलमानों ने 'हिन्दू भारत में एक कवच सूट के रूप में धर्मनिरपेक्ष पहचान' अपनाई थी, लेकिन अब वे असुरक्षित महसूस करते हैं.
5. औरंगजेब, जिसके बाद औरंगाबाद का नाम 'बदनाम' कर दिया गया है. जिसे केवल एक विनाशकारी के रूप में देखा जाता है, औरंगजेब ने 'केवल कुछ मुट्ठीभर मंदिरों को आम तौर पर सैन्य कारणों के लिए नष्ट किया था.'
6. मुस्लिम विजेता 'हिंदू पत्नियों' को और अन्य बातों को अपनाने की वजह से भारत का एक अहम हिस्सा बन गए. ब्रिटिश शासन ने भी इस सामंजस्यपूर्ण बहुलवाद को चलने दिया 'वे इस...
अमेरिकी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी ने हाल ही में जेम्स ट्राउब का एक लेख प्रकाशित किया है 'क्या मुसलमानों के लिए मोदी का भारत सुरक्षित है? इस लेख का शीर्षक सुनने में भले ही आसान सा लगे लेकिन इसके मायने बहुत गंभीर हैं. जेम्स सेंटर ऑन इंटरनेशनल कोऑपरेशन में फैलो हैं और फॉरेन पॉलिस डॉट कॉम पर साप्ताहिक कॉलम लिखते हैं. जानिए जेम्स के लेख की 10 बातें, जो शायद मोदी समर्थकों को अच्छी न लगें-
1. नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार की सहयोगी महाराष्ट्र सरकार ने 'शोर मचाते हुए मुस्लिम विरोधी इंतजामों की श्रृंखला' शुरु की है.
2. नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से आते हैं जो 'भाजपा का उग्रवादी, त्रिशूलधारी विंग' है. वह उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे जब 'हिंदू भीड़ ने 1,000 से ज्यादा मुसलमानों को मार डाला था'.
3. भारत के मुसलमान 'हवा में हर भूसे पर गौर करते हैं': सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मस्जिदें पवित्र स्थान नहीं है और उन्हें ध्वस्त किया जा सकता है, हरियाणा की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवद गीता को स्कूलों में पढ़ाया जाएगा, चर्चों में तोड़फोड़ की जा रही थी, एक 71 वर्षीय नन के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और गोमांस पर प्रतिबंध फैलाया जा रहा था.
4. मोदी चौकस हो गए हैं, लेकिन उन्होंने राज्य सरकारों को 'राष्ट्रवादी एजेंडे' को आगे बढ़ाने से नहीं रोका है और न ही उन्होंने 'भड़काऊ बयानबाजी' रोकने के लिए कहा. भारत के मुसलमानों ने 'हिन्दू भारत में एक कवच सूट के रूप में धर्मनिरपेक्ष पहचान' अपनाई थी, लेकिन अब वे असुरक्षित महसूस करते हैं.
5. औरंगजेब, जिसके बाद औरंगाबाद का नाम 'बदनाम' कर दिया गया है. जिसे केवल एक विनाशकारी के रूप में देखा जाता है, औरंगजेब ने 'केवल कुछ मुट्ठीभर मंदिरों को आम तौर पर सैन्य कारणों के लिए नष्ट किया था.'
6. मुस्लिम विजेता 'हिंदू पत्नियों' को और अन्य बातों को अपनाने की वजह से भारत का एक अहम हिस्सा बन गए. ब्रिटिश शासन ने भी इस सामंजस्यपूर्ण बहुलवाद को चलने दिया 'वे इस समधर्मी संस्कृति में कम हस्तक्षेप करते थे.' जब भारत का स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुआ तब इसका नेतृत्व 'एक धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए प्रतिबद्ध पुरुष' कर रहे थे. भारत के संस्थापक पिता देश के अल्पसंख्यकों के लिए उठ खड़े हुए थे.
7. हालांकि, 'धर्मनिरपेक्षता के बंधन का बल' 1964 में कमजोर होना शुरू हो गया. इंदिरा गांधी ने 'हिंदू राष्ट्रवादी वोटों की खेती शुरू कर दी.' फिर राजीव गांधी ने 'दोनों तरफ से खेला.'
8. मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी से बहुत अलग हैं. जो 'भारतीय अभिजात्य वर्ग के एक माने हुए सदस्य' थे. उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के बेहद पवित्र सिद्धांतों को तोड़ दिया था.
9. हिंदू बहुल भारत में मुसलमान वंचित रहे हैं. वे अक्सर जातीय हिंसा के शिकार होते हैं. अफ्रीकी मूल के अमेरिकियों की तरह वे हाशिए पर हैं, हालांकि उन्होंने एक बड़ी हद तक संस्कृति को आकार दिया है.
10. भारत में हिंदू संयम को मुश्किल से फॉर ग्रांटेड लिया जाता है, लेकिन मुस्लिम संयम को (हिंदू अतिवादियों के सिवाय) लिया जाता है. फिर भी, (खुशी से) मुस्लिमों को डर है कि 'कुछ बिंदुओं पर मोदी अपना असली रंग दिखा देंगे... अच्छी तरह से निराधार साबित हो सकते हैं' जैसा कि भारत में अपनी भलाई के लिए बहुत ज्यादा लोकतंत्र है.
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