हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी से गठबंधन तोड़ बीजेपी के साथ मिलकर एक ही रात में सत्ता पलट दी. नीतीश जो खुद को सुशासन बाबू मानते हैं उनका कहना था कि लालू यादव और उनके साथी, यहां तक कि पूरा परिवार भ्रष्ट है. नीतीश इन लोगों के कारण काम नहीं कर पा रहे थे. जिसके चलते वो महागठबंधन से अलग हो गए. मगर अब जो नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बनाई है, जिसे नीतीश भ्रष्टाचार मुक्त सरकार बता रहे हैं वो 75 फीसदी दागी नेताओं से भरी हुई है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में जेडीयू-बीजेपी-एलजेपी की मौजूदा सरकार के 29 में से 22 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. मगर पिछली महागठबंधन सरकार में कुल 28 मंत्रियों में से 19 मंत्री दागी थे. यानी कि दागी मंत्री नई सुशासन वाली सरकार में ज्यादा हैं. बिहार इलेक्शन वॉच और एडीआर की ओर से मुख्यमंत्री सहित 29 मंत्रियों के चुनावी हलफनामे के विश्लेषण के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई.
मगर इनमें से करीब 9 मंत्री ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर रूप से आपराधिक मामले दर्ज हैं. मगर नीतीश कुमार के अनुसार तो ये सुशासन सरकार है. यानी की इस रिपोर्ट से साफ जाहिर होता है कि नीतीश कुमार ने सिर्फ स्वार्थ के चलते, 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए, प्रधानमंत्री मोदी की लहर को देखते हुए ही उनके साथ जाने का फैसला किया है.
मगर ये तो जनता के साथ धोखा हुआ. सुशासन बाबू ने नई सरकार बनायी, ये कहकर कि पुरानी सरकार में दागी लोग हैं, मगर ये क्या नई सरकार में तो पुरानी सरकार से भी ज़्यादा दागी मंत्री हैं. ये कैसा फैसला नीतीश बाबू?
नीतीश की कैबिनेट में करोड़पति नेताओं की...
हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी से गठबंधन तोड़ बीजेपी के साथ मिलकर एक ही रात में सत्ता पलट दी. नीतीश जो खुद को सुशासन बाबू मानते हैं उनका कहना था कि लालू यादव और उनके साथी, यहां तक कि पूरा परिवार भ्रष्ट है. नीतीश इन लोगों के कारण काम नहीं कर पा रहे थे. जिसके चलते वो महागठबंधन से अलग हो गए. मगर अब जो नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बनाई है, जिसे नीतीश भ्रष्टाचार मुक्त सरकार बता रहे हैं वो 75 फीसदी दागी नेताओं से भरी हुई है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में जेडीयू-बीजेपी-एलजेपी की मौजूदा सरकार के 29 में से 22 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. मगर पिछली महागठबंधन सरकार में कुल 28 मंत्रियों में से 19 मंत्री दागी थे. यानी कि दागी मंत्री नई सुशासन वाली सरकार में ज्यादा हैं. बिहार इलेक्शन वॉच और एडीआर की ओर से मुख्यमंत्री सहित 29 मंत्रियों के चुनावी हलफनामे के विश्लेषण के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई.
मगर इनमें से करीब 9 मंत्री ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर रूप से आपराधिक मामले दर्ज हैं. मगर नीतीश कुमार के अनुसार तो ये सुशासन सरकार है. यानी की इस रिपोर्ट से साफ जाहिर होता है कि नीतीश कुमार ने सिर्फ स्वार्थ के चलते, 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए, प्रधानमंत्री मोदी की लहर को देखते हुए ही उनके साथ जाने का फैसला किया है.
मगर ये तो जनता के साथ धोखा हुआ. सुशासन बाबू ने नई सरकार बनायी, ये कहकर कि पुरानी सरकार में दागी लोग हैं, मगर ये क्या नई सरकार में तो पुरानी सरकार से भी ज़्यादा दागी मंत्री हैं. ये कैसा फैसला नीतीश बाबू?
नीतीश की कैबिनेट में करोड़पति नेताओं की भरमार
नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में करोड़पतियों की संख्या घटकर 21 हो गई है, जबकि पिछली सरकार में इनकी संख्या 22 थी. 29 मंत्रियों की औसत संपत्ति 2.46 करोड़ रूपए है. यानी कि यहां भी कोई खास अंतर नहीं आया है. नीतीश कुमार का हर दावा खोखला ही दिखाई देता है.
इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद तो यही लगता है कि नीतीश कुमार ने ज्यादा दागी मंत्रियो वाली नई सरकार बनाकर, एक तरह से बिहार की जनता के साथ धोखा ही किया है. क्योंकि जनता ने तो पहले ही महागठबंधन को चुना था.
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क्या नीतीश की छवि भी पासवान एवं अजित सिंह जैसी हो गई है?
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