प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्रिकेटर विराट कोहली सार्वजनिक जीवन की ऐसी दो शख्सियतें हैं जिनकी लोकप्रियता सबसे ज्यादा है. दोनों के बीच कई ऐसी समानताएं हैं, यह जानना उनके प्रशंसकों के लिए काफी दिलचस्प होगा. दोनों ही वन मैन शो हैं. जैसे नरेंद्र मोदी के लिए उनकी टीम भारतीय जनता पार्टी है वैसे ही विराट के लिए भारतीय क्रिकेट टीम. भाजपा हो या टीम इंडिया, ये दोनों टीमें ही मोदी और विराट पर टिकी है. जैसे ऑस्ट्रेलिया के साथ खेली जा रही सीरीज में कोहली का विकेट गिरने के बाद टीम इंडिया लड़खड़ा गई, वैसे ही बिहार की हार के बाद बीजेपी भी घबराई हुई है.
जहां टीम इंडिया का ऑस्ट्रेलिया से हार का संकट गहरा रहा है वहीं वैसे ही भाजपा भी यूपी इलेक्शन को फाइनल एग्जाम की तरह ले रही है क्योंकि इससे पहले वो बिहार और दिल्ली में करारी मात खा चुकी है. दोनों को वन मैन शो माना जाता है. लेकिन अब इन दोनों के ऊपर संकट मंडराता नजर आ रहा है. दोनों के बीच कई ऐसी बातें हैं जो फिलहाल की स्थिति में बिलकुल सटीक बैठती है, आइए जानते हैं...
मोदी और विराट की चुनौतियां
26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो वे भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने जो आजादी के बाद पैदा हुए थे. वहीं विराट कोहली टीम इंडिया के कप्तान भी बहुत जल्द बना दिए गए थे, क्योंकि धोनी के बाद वही एक ऐसा चेहरा थे जो टीम इंडिया की कप्तानी संभाल सकते थे. वैसे भारतीय टीम में कप्तानी इतने आसानी से मिलती नहीं है. धोनी के बाद फैन्स भी कोहली को ही कप्तान के रूप में देखते हैं. वहीं हमारे देश के पीएम नरेंद्र मोदी भी उनकी पार्टी भाजपा के एक ऐसे चेहरे हैं जिनके दम पर देश में भाजपा की सरकार आई.
सट्टेबाजों के फेवरेट
सट्टेबाजों की नजर में मोदी और कोहली को बेस्ट मानते हैं. बिहार चुनाव हारने के बावजूद... जब यूपी चुनाव में भाजपा उतरी तो सट्टेबाजों ने भाजपा की ही सरकार बनाई. क्योंकि उन्हें भी लगता है कि जिस तरह पार्टी ने मोदी को सामने खड़ा करके यूपी चुनाव लड़ा है वो काफी प्रभावशाली है. वहीं कोहली की टीम इंडिया की बात करें, तो सट्टेबाज भारत का पहला मैच हारने के बाद भी टीम इंडिया को ही बेस्ट मानते हैं और सीरीज जीतता देख रहे हैं.
दोनों की चली हवा तेज
नरेंद्र मोदी की हवा 2014 में खूब चली. मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा ने हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाई. वहीं दिसंबर 2014 में धोनी के संन्यास लेने के बाद टेस्ट में कोहली को कप्तान बनाया गया. भारत ने कोहली की कप्तानी में 5 टेस्ट सीरीज खेलीं.. उनमें से 4 टेस्ट सीरीज जीतीं और 1 टेस्ट सीरीज बांग्लादेश के खिलाफ ड्रॉ रही. दोनों की हवा चली तो बहुत तेज... लेकिन अब धीमीं होती नजर आ रही है. 2015 में मोदी के नेतृत्व में दिल्ली और बिहार में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं कोहली की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया से चल रही सीरीज में टीम इंडिया भी हारती दिख रही है.
विरोधियों को देते हैं दमदार जवाब
विरोधियों के लिए नरेंद्र मोदी और विराट कोहली दोनों ही खतरनाक हैं. एक बयान पर दोनों ही नाक में दम कर देते हैं. नोटबंदी पर कांग्रेस ने पीएम मोदी पर तीखे सवाल किए थे. जिसका जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस ने तो बस चवन्नी बंद की थी क्योकि उनकी औकात ही इतनी थी. जिसके बाद काफी हंगामा मचा था.
बात करें विराट कोहली की, तो जब भी ग्राउंड पर विराट को किसी ने कुछ कहा तो कोहली उसका पीछा नहीं छोड़ते. टीम इंडिया 2015 में जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी तो कंगारू बॉलर मिशेल जॉनसन ने बॉलिंग करते वक्त उनके पैरों में बॉल मारी थी. जिसके बाद अगली ही गेंद पर उन्होंने चौका जड़ने के बाद जॉनसन का जमकर मजाक उड़ाया था और बहुत कुछ कहा था.
अगर भारत के इन दोनों प्रभावशाली व्यक्तियों की तुलना की जाए तो वे दोनों लगभग एक जैसे प्रतीत होते हैं. नरेंद्र मोदी और विराट कोहली, दोनों ही सिर्फ अपने दम पर जीतने की क्षमता रखते हैं और एक अच्छे कप्तान के रूप में जानें जाते हैं. फिलहास की स्थिति में देखें तो दोनों ही अगर कुछ देर के लिए आराम से बैठ गए तो हार निश्चित सी नजर आती है. जैसे मोदी के बिना भाजपा नहीं दिखती नजर आ रही है वैसे ही विराट कोहली के बिना टीम इंडिया. अब तो ये वक्त ही बताएगा कि यूपी में भाजपा आती है या नहीं और बैंगलुरु टेस्ट में टीम इंडिया वापसी करती है या नहीं.
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