पाकिस्तानी सीनेट ने हिंदू विवाह विधेयक पारित कर दिया है. अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून भी बन जाएगा. ज़ाहिर तौर पर पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं के लिए एक बड़ी राहत वाली खबर है. आखिर हो भी क्यों न, यह पहला मौका है जब हिंदु समुदाय केलिए एक पर्सनल लॉ बना है.
इस बिल के अनुसार हिंदू लड़के और लड़की की शादी के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल होगी. यह कानून तोड़ने पर छह महीने की जेल और 5,000 रुपये का जुर्माना भी भरना होगा. विवाह के बाद अगर लड़का या लड़की में से कोई भी धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरा साथी कोर्ट में तलाक के लिए अपील भी कर सकता है तथा तलाकशुदा हिन्दू फिर से विवाह भी कर सकता है.
इन समय पाकिस्तान में लगभग 20 लाख हिंदुओं की आबादी है और इस कानून के बाद ऐसी उम्मीद है कि हिन्दू महिलाओं को अधिक सुरक्षा तो मिलेगी ही साथ ही कुछ खास अधिकार भी उन्हें मिलेंगे.
भारतीय कानून से थोड़ा अलग
- भारत में हिंदू मैरिज एक्ट हिंदुओं के अलावा जैन, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी लागू होता है जबकि पाकिस्तान में हिंदू विवाह अधिनियम वहां के केवल हिंदू समुदाय पर लागू होगा.
- पाकिस्तान में शादी के लिए हिंदू जोड़े की न्यूनतम उम्र 18 साल है, जबकि भारत में लड़के की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़की की 18 साल निर्धारित है.
लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इस बिल के बाद पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की स्थिति सुधर जाएगी या फिर यह एक दिखावा ही सिद्ध होगा.
आइये जानते हैं पाक में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति के बारे में
हमलोग हमेशा से ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनलों, समाचार पत्रों में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हत्या, मंदिर-चर्च पर हमले और जबरन धर्म परिवर्तन की खबरें सुनते ही रहते हैं. तो...
पाकिस्तानी सीनेट ने हिंदू विवाह विधेयक पारित कर दिया है. अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून भी बन जाएगा. ज़ाहिर तौर पर पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं के लिए एक बड़ी राहत वाली खबर है. आखिर हो भी क्यों न, यह पहला मौका है जब हिंदु समुदाय केलिए एक पर्सनल लॉ बना है.
इस बिल के अनुसार हिंदू लड़के और लड़की की शादी के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल होगी. यह कानून तोड़ने पर छह महीने की जेल और 5,000 रुपये का जुर्माना भी भरना होगा. विवाह के बाद अगर लड़का या लड़की में से कोई भी धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरा साथी कोर्ट में तलाक के लिए अपील भी कर सकता है तथा तलाकशुदा हिन्दू फिर से विवाह भी कर सकता है.
इन समय पाकिस्तान में लगभग 20 लाख हिंदुओं की आबादी है और इस कानून के बाद ऐसी उम्मीद है कि हिन्दू महिलाओं को अधिक सुरक्षा तो मिलेगी ही साथ ही कुछ खास अधिकार भी उन्हें मिलेंगे.
भारतीय कानून से थोड़ा अलग
- भारत में हिंदू मैरिज एक्ट हिंदुओं के अलावा जैन, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी लागू होता है जबकि पाकिस्तान में हिंदू विवाह अधिनियम वहां के केवल हिंदू समुदाय पर लागू होगा.
- पाकिस्तान में शादी के लिए हिंदू जोड़े की न्यूनतम उम्र 18 साल है, जबकि भारत में लड़के की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़की की 18 साल निर्धारित है.
लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इस बिल के बाद पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की स्थिति सुधर जाएगी या फिर यह एक दिखावा ही सिद्ध होगा.
आइये जानते हैं पाक में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति के बारे में
हमलोग हमेशा से ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनलों, समाचार पत्रों में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हत्या, मंदिर-चर्च पर हमले और जबरन धर्म परिवर्तन की खबरें सुनते ही रहते हैं. तो क्या हमें ये सारी बातें अब सुनने को नहीं मिलेंगी? ऐसी परिकल्पना करना शायद मूर्खता ही होगी.
पाकिस्तान में हिन्दू और सिख समुदाय के लोगों की स्थिति बेहद दयनीय है. वे हमेशा डर और आतंक के साये में जीते हैं. अन्य समुदायों के अल्पसंख्यकों की भी यही दशा है.
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की सही संख्या की जानकारी विश्वसनीय जनगणना के आंकड़ों की कमी के कारण उपलब्ध नहीं होता है. लेकिन जब 1947 में दोनों देशों में विभाजन हुआ था तब सिख और हिंदू लगभग 25%-30% के आसपास होने का अनुमान था, जो कि अब मात्र कुल जनसंख्या का 2%-3% है. इस पर लोगों के मन में सवाल उठना तो लाज़िमी है कि आखिर हिंदुओं और सिखों की इतनी बड़ी संख्या आखिर गई कहां? क्या हुआ इनका?
पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का अपहरण, बलात्कार और धर्मपरिवर्तन तो आम बात है. 'मूवमेंट फॉर सोलिडेरिटी एंड पीस इन पाकिस्तान' की रिपोर्ट के मुताबिक, पाक में हर साल एक हजार अल्पसंख्यक लड़कियों का अपहरण और बलात्कार होता है. इनमें कई लड़कियां हिंदू होती हैं. पाकिस्तान में हिंदू होने की वजह से लोगों को जॉब और लोन नहीं मिल पाते.
पाकिस्तान में मंदिरों की स्थिति
अगर हम पाकिस्तान के मंदिरों की बात करें तो वहां के हिन्दू मंदिरो पर वहां के मुस्लिम कट्टरपंथी बराबर हमले करते रहते हैं. वहां के अधिक्तर मंदिरों में मुस्लिम कट्टरपंथियों के भय से न तो पूजापाठ होती है और न ही उनका सही ढंग से रख रखाव हो पाता है, जिसके कारण अधिकतर मंदिर खंडहर में तब्दील हो गए हैं. अकेले वर्ष 2014 में दो प्रसिद्ध मंदिरों पर हमला हुआ था. एक रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया है कि वहां पर लगभग 428 मंदिर हैं, जिसमें से सिर्फ 26 में ही पूजा-पाठ होता है.
लेकिन अब देखने वाली बात तो यह होगी कि यह कानून स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से ऊपर जगह बना पाता है या नहीं या फिर वहां हिंदुओं की स्थिति वैसी ही भयावह बनी रहेगी.
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