चुनाव जीतने के लिये सोशल मीडिया का सब से ज्यादा इस्तमाल किसी ने किया है, तो वो है बीजेपी. सबसे ज्यादा युवाओं वाले देश में सोशल मीडिया का कितना महत्व है वो भारतीय जनता पार्टी की सोशल मीडिया कैम्पेनिंग से पता चला है. चाहे 2012 में गुजरात विधानसभा के चुनाव हों या फिर 2014 के लोकसभा चुनाव. सोशल मीडिया के जरिये चुनाव जीता जा सकता है, वो भाजपा ने ही दूसरी राजनैतिक पार्टी को कर के दिखाया. लेकिन आजकल गुजरात भाजपा सोशल मीडिया के विकास से इस कदर डरी हुई है, कि विकास का नाम तक लेना नहीं चाहती है.
आपको लगेगा कि विकास कैसे, कौन है ये विकास, और देश की इतनी बडी पार्टी को विकास से डरने की जरूरत क्या है. दरअसल ये विकास और कोई नहीं है, बल्की ये नरेन्द्र मोदी के गुजरात का विकास मॉडल है. जिस विकास के मॉडल के सहारे देश ही नहीं बल्कि दुनिया को नरेन्द्र मोदी ने खुद की कामयाबी दिखाई. आज वही विकास मॉडल सोशल मिडिया में 'विकास गांडो थायो छे' यानी विकास पागल हो गया है, के नाम से चल रहा है. गुजरात में दो महीने बाद चुनाव होने वाले हैं, लेकिन चुनाव से पहले जिस तरह से गुजरात में 'विकास गांडो थयो छे' (विकास पागल हो गया है) छाया हुआ है, उसने सत्ता पक्ष बीजेपी की नींद उड़ा दी है.
सवाल : ये विकास कौन है ? जवाब : विकास साहेब का गोद लिया हुआ लड़का है, जिसे चुनाव के पहले सामने लाते हैं और चुनाव के बाद फिर सुला देेते हैं.
दो पहिए वाला विकास जब चार पहिए पर आया.
गुजरात में जिसे विकास मॉडल कहा जाता है, उसी विकास की अब लोग हंसी उड़ा रहे हैं. सोशल मीडिया पर आम लोग हर फोटो के साथ अब विकास की टैग लाइन को जोड़ रहे हैं.
विकास अब फटने की तैयारी में है.
सड़क के गड्ढे की तस्वीर के साथ लोग लिख रहे हैं कि संभल के चलना- विकास गांडो थायो छे. या फिर चलती तेज गाड़ी गड्ढे में गिर जाती है तो लोग कहते हैं कि विकास तेजी से आ रहा था, जीएसटी बीच में आ गया. हर छोटी-छोटी बात को विकास के साथ जोड़ा जा रहा है. गुजरात के लोगों के जरिए शुरू किए गए इस विकास गांडो थायो छे के कैंपेन को अब कांग्रेस ने अपने कैंपेन के साथ जोड़ दिया है. अहमदाबाद की सड़क पर जहां गड्ढे हैं या फिर गंदगी है वहां-वहां कांग्रेस ने बैनर लगा दिया है कि संभल के चलना विकास गांडो थायो छे....
सवाल: विकास को क्या हुआ है ? विकल्प: A. विकास पागल हो गया है. B. विकास पस्त हो गया है. C. विकास डर गया है. D. उपरोक्त सभी.
विकास को देखकर बापू से रहा नहीं गया...
इसी सोशल मीडिया के विकास से तिलमिलाई बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने जब युवा-टाउन हॉल के जरिये डेढ़ लाख से ज्यादा युवाओं को सम्बोधित किया. सोशल मीडिया की ताकत से वाकेफ बीजेपी अध्यक्ष को युवाओं को कहना पड़ा, सोशल मीडिया की बातों में ना आयें. अगर विकास चाहिये तो वोटस्अप के जरिये किये जा रहे प्रचार पर भरोसा मत कि जिये. यहां तक कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को युवाओं से कहना पड़ा कि सड़क पर बने गड्ढे 22 अक्तुबर तक दुरुस्त कर दिये जायेंगे. चुनाव के दो महीने पहले सोशल मीडिया का ये असर इतना जबदस्त हुआ है कि, भाजपा को लगता है कि क्या यही विकास आने वाले चुनाव में उनके लिये बड़ी मुसीबत तो नहीं बनेगा?
ये विकास का ही असर है कि खुद वित्तमंत्री अरुण जेटली और रक्षामंत्री निर्मला सितारामण दोनों जिसे गुजरात चुनाव का प्रभारी बनाया गया है, वो आज गुजरात बीजेपी को सोशल मीडिया के पाठ पढ़ाने आये. सोशल मीडिया पर किस तरह से जवाब देने हैं. और खास कर आने वाले दिनों में बीजेपी के विकास को लेकर कैम्पेनिंग कैसे होगी, उसकी भी चर्चा जानकारी दी गयी.
बीजेपी को ये डर है कि नरेन्द्र मोदी के विकास मॉडल को कहीं सोशल मीडिया का विकास उन्हीं के गृहराज्य गुजरात में मात ना दे जाये.
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