इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. दोनों दलों के शीर्ष नेता यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के राहुल गांधी कोई भी कसर छोड़ने के मूड में नहीं हैं. दोनों नेताओं का लगातार दौरा भी जारी है. जहां मोदी के सामने अपना गृह राज्य बचाने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी में अपने घट रहे कद को फिर से बढ़ाने के लिए पुरजोर कोशिशों में जुटे हुए हैं. इसके साथ ही राहुल गांधी के लिए राज्य में 22 सालों से सत्ता से वंचित रहने के बाद वापसी का मौका भी है. और जो इस बार बाज़ी मारेगा उसका राजनीतिक ग्राफ भी इस चुनाव से तय होगा.
भगवान की शरण में मोदी और राहुल
पिछले कुछ महीनों पर अगर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि जैसे राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के बीच में मंदिरों में पहुंचने की होड़ सी लगी हुई है. और हो भी क्यों नहीं. शायद राहुल को भी यह अहसास हो चुका है कि भाजपा 1995 से लगातार गुजरात चुनाव जीतता आ रहा है. इस जीत में वोटों का धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण एक महत्वपूर्ण फैक्टर रहा है.
नरेंद्र मोदी का मंदिर दर्शन
शनिवार, 7 अक्टूबर को जब नरेंद्र मोदी अपने दो दिन के गुजरात दौरे पर पहुंचे तो इसकी शुरुआत उन्होंने द्वारकाधीश मंदिर में पूजा-अर्चना से की. उसके ठीक अगले दिन यानी 8 अक्टूबर को गुजरात के हथकेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना भी की.
राहुल गांधी का मंदिर दर्शन
पिछले हफ्ते जब राहुल गुजरात के सौराष्ट्र दौरे पर गए थे तब उन्होंने 3 दिन में 5 मंदिरों में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाई थी....
इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. दोनों दलों के शीर्ष नेता यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के राहुल गांधी कोई भी कसर छोड़ने के मूड में नहीं हैं. दोनों नेताओं का लगातार दौरा भी जारी है. जहां मोदी के सामने अपना गृह राज्य बचाने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी में अपने घट रहे कद को फिर से बढ़ाने के लिए पुरजोर कोशिशों में जुटे हुए हैं. इसके साथ ही राहुल गांधी के लिए राज्य में 22 सालों से सत्ता से वंचित रहने के बाद वापसी का मौका भी है. और जो इस बार बाज़ी मारेगा उसका राजनीतिक ग्राफ भी इस चुनाव से तय होगा.
भगवान की शरण में मोदी और राहुल
पिछले कुछ महीनों पर अगर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि जैसे राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के बीच में मंदिरों में पहुंचने की होड़ सी लगी हुई है. और हो भी क्यों नहीं. शायद राहुल को भी यह अहसास हो चुका है कि भाजपा 1995 से लगातार गुजरात चुनाव जीतता आ रहा है. इस जीत में वोटों का धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण एक महत्वपूर्ण फैक्टर रहा है.
नरेंद्र मोदी का मंदिर दर्शन
शनिवार, 7 अक्टूबर को जब नरेंद्र मोदी अपने दो दिन के गुजरात दौरे पर पहुंचे तो इसकी शुरुआत उन्होंने द्वारकाधीश मंदिर में पूजा-अर्चना से की. उसके ठीक अगले दिन यानी 8 अक्टूबर को गुजरात के हथकेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना भी की.
राहुल गांधी का मंदिर दर्शन
पिछले हफ्ते जब राहुल गुजरात के सौराष्ट्र दौरे पर गए थे तब उन्होंने 3 दिन में 5 मंदिरों में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाई थी. द्वारकाधीश के दर्शन के अलावा कांग्रेस उपाध्यक्ष चोटिला, कागवाड़ के खोदलधाम, विरपुर के जलाराम बापा और जसदान के नजदीक दासी जीवन मंदिर भी गए थे.
राहुल गांधी 9 से 11 अक्टूबर तक मध्य गुजरात का दौरा कर रहे हैं. इस बार वे नडियाद के सांताराम मंदिर, फागवेल के भाठीजी महाराज मंदिर, पावागढ़ के मां काली मंदिर और खेड़ा ज़िले के डाकोर मंदिर में माथा टेक रहे हैं.
राजनीतिक जानकारों के अनुसार राहुल का मंदिर दर्शन बीजेपी द्वारा कांग्रेस पार्टी पर लगाए गए 'हिंदू विरोधी' और 'अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण' जैसे आरोपों पर जवाब देने का प्रयास भी है.
हिन्दू वोटरों पर दोनों की नज़र
भाजपा और कांग्रेस दोनों की नज़र यहां के लगभग 90 प्रतिशत हिन्दू वोटरों पर है. 2011 के जनगणना के अनुसार गुजरात में 88.57 प्रतिशत हिन्दुओं की आबादी है. नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों ने ही गुजरात चुनाव की शुरुआत द्वारकाधीश मंदिर से की है. द्वारकाधीश सौराष्ट्र में है जिसका लगभग 50 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है.
नेताओं द्वारा लगातार मंदिर दर्शन से ऐसा प्रतीत होता है जैसे इस बार चुनाव में विकास के मुद्दे पीछे छूट रहे हैं और आस्था अहम रोल निभाने वाला है. गुजरात के इस चुनावी मौसम में भारत के दो बड़े दलों के दो दिग्गज नेताओं के अचानक मंदिर दर्शन ने राजनीतिक विश्लेषकों के लिए एक बहस का मुद्दा ज़रूर दे दिया है. लेकिन देखने वाली बात ये होगी कि जनता सियासत की इस तिकड़मबाज़ी को किस तरह लेती है और किसे अपने प्रदेश की सत्ता की चाबी देती है.
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