अपने 'मन की बात' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त को क्रांति का महीना बताते हुए नये भारत के निर्माण में सहयोग की अपील की थी. बाकी युवाओं की तैयारी जो भी यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में क्रांति की तैयारी पूरी हो चुकी है. तीनों राज्यों में तीन नेता - तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव और ममता बनर्जी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं.
ममता की बीजेपी भारत छोड़ो मुहिम...
9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे हो रहे हैं- उसी दिन ये तीनों नेता अपने अपने राज्यों में सड़क पर उतर रहे हैं.
मोदी के खिलाफ मोर्चा
तीनों में सबसे पहले ममता बनर्जी ने अपनी क्रांति का ऐलान किया था. 21 जुलाई को ममता बनर्जी ने एक रैली में ही घोषणा की कि वो बीजेपी को खदेड़ने के लिए एक आंदोलन की शुरुआत करेंगी. ममता की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस 9 अगस्त से 30 अगस्त तक ‘बीजेपी भारत छोड़ो’ आंदोलन चलाने वाली है.
क्रांति के महीने में...
बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और फिलहाल विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव 9 अगस्त से 'जनादेश अपमान यात्रा' पर निकल रहे हैं. तेजस्वी की ये यात्रा महात्मा गांधी की कर्म भूमि चंपारण से शुरू होगी. 8 अगस्त को तेजस्वी मोतीहारी में गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर यात्रा की शुरुआत करेंगे और फिर पूरे बिहार में घूम घूम कर लोगों को बताएंगे कि किस तरह उनके जनादेश के साथ खिलवाड़ हो रहा है.
अयोध्या से अगस्त क्रांति
अखिलेश यादव भी 9 अगस्त से 'देश बचाओ-देश बनाओ' मुहिम की शुरुआत कर रहे हैं. इस दौरान पूरे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता जिला मुख्यालयों पर रैली करेंगे. हर रैली का नेतृत्व पार्टी का कोई न कोई प्रमुख नेता करेगा. अखिलेश खुद इसके लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं. लगता है यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के असर को लेकर पार्टी ने खासतौर पर अयोध्या को चुना है.
तेजस्वी की चंपारण यात्रा...
विपक्षी एकता अब तेजस्वी पर फोकस
तेजस्वी की 'जनादेश अपमान यात्रा' के पहले से ही उनके पिता लालू प्रसाद पहले से ही पटना रैली की तैयारी में जुटे हैं. पहले ये रैली विपक्ष को 2019 के लिए एकजुट करने के मकसद से प्लान की गयी थी, लेकिन नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़ देने के बाद इसका फोकस तेजस्वी पर हो गया है. लालू इस रैली के जरिये अपनी ताकत दिखाने के अलावा तेजस्वी को बिहार की राजनीति में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. लालू को इस रैली में विपक्ष के करीब डेढ़ दर्जन दलों के नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है - जिसमें उत्तर प्रदेश से मायावती और अखिलेश यादव की मंच पर साथ मौजूदगी मुख्य आकर्षण हो सकता है.
ऐसा भी नहीं है कि अगस्त क्रांति के नाम पर पूरा मीडिया अटेंशन विपक्ष के ये नेता ही ले जाएंगे. जब अखिलेश और उनकी पार्टी रैली कर रही होगी तभी प्रधानमंत्री मोदी यूपी के डीएम और कमिश्नर की क्लास ले रहे होंगे. ये पहला मौका होगा जब यूपी के सभी जिलों को सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से कनेक्ट किया जाएगा. नीति आयोग की पहल पर आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सबसे रूबरू होंगे. इस कार्यक्रम के जरिये प्रधानमंत्री मोदी अफसरों से पूछना चाहते हैं कि स्कूलों को कैसे सुधारा जाये?
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