पंजाब विधानसभा के चुनाव त्रिकोणीय थे. जो सियासत के तय मापदंडों पर ही लड़े गए. पिछले 10 साल से सूबे की सत्ता पर काबिज अकाली दल - भाजपा के सरकार के प्रति लोगों में गुस्सा था और वह मतदान के समय जमकर निकला.
117 सीटों पर 16 हजार लोगों से बात करके जो अनुमान लगाया गया है, उसमें कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल रहा है. 2014 लोकसभा चुनाव की करारी हार के बाद कांग्रेस को किसी बड़े राज्य की जीत पर जश्न मनाने का यह पहला मौका होगा. अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लोगों ने विश्वास जताया है. जबकि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में जी जान से लड़ी आम आदमी पार्टी को लोगों ने स्पष्ट नेतृत्व न होने की वजह से उतना समर्थन नहीं दिया.सबसे दुर्गति अकाली दल की हुई है. जिसका सूपड़ा साफ होता दिख रहा है.
लोगों के मन में इन पार्टियों को लेकर जो बातें थीं, वह कुछ इस प्रकार हैं-
आप
-आम आदमी पार्टी मालवा क्षेत्र में बहुत ही बढ़िया प्रदर्शन कर रही है. वहीं दोआब क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन रहेगा. लेकिन माझा इलाके में कुछ सीटों के अलावा इनके हाथ खाली ही रहेंगे.
- आप ने नवजोत सिंह सिद्धू के साथ ना आने और मुख्यमंत्री की घोषणा ना करके हाथ में आई बाजी खो दी.
- इसके साथ ही एस सुच्चा सिंह को हटाकर भी आआप ने आए हुए मौके को खो दिया.
- 18-25 की उम्र के ज्यादातर युवा आप और कांग्रेस के समर्थन में थे.
- कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई और रैलियों की वजह से बहुत फर्क पड़ा है. उन्होंने हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
- माझा इलाके में कांग्रेस क्लीन-स्वीप करेगी. वहीं दोआब और मालवा क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी.
- कांग्रेस इस चुनाव में अपने...
पंजाब विधानसभा के चुनाव त्रिकोणीय थे. जो सियासत के तय मापदंडों पर ही लड़े गए. पिछले 10 साल से सूबे की सत्ता पर काबिज अकाली दल - भाजपा के सरकार के प्रति लोगों में गुस्सा था और वह मतदान के समय जमकर निकला.
117 सीटों पर 16 हजार लोगों से बात करके जो अनुमान लगाया गया है, उसमें कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल रहा है. 2014 लोकसभा चुनाव की करारी हार के बाद कांग्रेस को किसी बड़े राज्य की जीत पर जश्न मनाने का यह पहला मौका होगा. अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लोगों ने विश्वास जताया है. जबकि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में जी जान से लड़ी आम आदमी पार्टी को लोगों ने स्पष्ट नेतृत्व न होने की वजह से उतना समर्थन नहीं दिया.सबसे दुर्गति अकाली दल की हुई है. जिसका सूपड़ा साफ होता दिख रहा है.
लोगों के मन में इन पार्टियों को लेकर जो बातें थीं, वह कुछ इस प्रकार हैं-
आप
-आम आदमी पार्टी मालवा क्षेत्र में बहुत ही बढ़िया प्रदर्शन कर रही है. वहीं दोआब क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन रहेगा. लेकिन माझा इलाके में कुछ सीटों के अलावा इनके हाथ खाली ही रहेंगे.
- आप ने नवजोत सिंह सिद्धू के साथ ना आने और मुख्यमंत्री की घोषणा ना करके हाथ में आई बाजी खो दी.
- इसके साथ ही एस सुच्चा सिंह को हटाकर भी आआप ने आए हुए मौके को खो दिया.
- 18-25 की उम्र के ज्यादातर युवा आप और कांग्रेस के समर्थन में थे.
- कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई और रैलियों की वजह से बहुत फर्क पड़ा है. उन्होंने हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
- माझा इलाके में कांग्रेस क्लीन-स्वीप करेगी. वहीं दोआब और मालवा क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी.
- कांग्रेस इस चुनाव में अपने प्रत्याशियों के चयन में बहुत समझदारी से काम लिया जिसका साफ फायदा चुनाव के परिणामों में दिख रहा है. युवाओं को मैदान में उतारकर कांग्रेस ने आप को कड़ी टक्कर दी है.
- नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को डबल फायदा हो गया. खासकर माझा क्षेत्र में तो पार्टी बाजी ही पलटने वाली है.
अकाली दल+बीजेपी
- सत्तारुढ़ दल से जनता इस बार खफा थी. राज्य में विकास की खास्ता हालत और ड्रग के जाल के लिए जनता इन्हें ही दोषी मान रही है. यही नहीं जनता को अब ये लगने लगा है कि जैसे इन दोनों पार्टियां जनता की भलाई करने के बजाए इसे अपना फैमिली बिजनेस बना चुकी हैं.
आप प्रवक्ता राघव चड्ढा ने एग्जिट पोल पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे अपनी पार्टी को 85 सीटों पर जीतते हुए देख रहे हैं.
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