गोवा-पंजाब में हार और दिल्ली में एलजी से शुरू हुई नयी तकरार के बीच एमसीडी चुनावों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मनमाफिक एक बात जरूर हुई है - और वो है EVM से कमल के फूल का खिलना.
मध्य प्रदेश में EVM का कोई भी बटन दबाने पर VVPAT में कमल का फूल प्रिंट हो कर निकलना वाकई गंभीर मामला है. ये मामला तब और भी गंभीर हो जाता है जब अफसर मीडिया के सवाल पर धमकी भी देने लगे.
जब जब कमल के फूल खिले
EVM की विश्वसनीयता पर बहस शायद थम भी जाती लेकिन मध्य प्रदेश के भिंड में VVPAT की चेकिंग के दौरान बटन दबाने पर कमल का फूल ही प्रिंट हुआ.
मध्य प्रदेश में अटेर विधानसभा सीट पर 9 अप्रैल को उपचुनाव होने जा रहा है. हुआ ये कि जांच के दौरान जब डमी EVM के दो अलग अलग बटन दबाये गये तो दोनों बार प्रिंट में कमल का फूल ही निकला. पहले चौथे नंबर का बटन दबाया गया तो उम्मीदवार का नाम और चुनाव निशान कमल छप कर निकला. फिर दूसरा बटन दबाया गया तो भी कमल ही छप कर निकला. हालांकि, तीसरी बार बटन दबाने पर हाथ का पंजा प्रिंट हुआ.
ताज्जुब की बात ये रही कि जब चुनाव अधिकारी से मीडिया ने इस पर सवाल पूछा तो उनका कहना था - 'खबर छापी तो थाने भिजवा दूंगी.'
सवाल अब भी बाकी हैं
न तो भिंड में मीडिया के सवाल का जवाब मिला न अब तक केजरीवाल के सवाल का. यही वजह है कि केजरीवाल बैलट पेपर चुनाव कराने की अपनी मांग पर कायम हैं.
यूपी चुनाव के नतीजे आने के बाद सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने EVM में गड़बड़ी की आशंका जतायी और इसी को अपनी हार की वजह भी माना. मायावती के बाद अखिलेश यादव ने भी उनकी बातों को एनडोर्स करते हुए जांच की मांग की. इसी तरह की मांग दिल्ली कांग्रेस के नेता अजय...
गोवा-पंजाब में हार और दिल्ली में एलजी से शुरू हुई नयी तकरार के बीच एमसीडी चुनावों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मनमाफिक एक बात जरूर हुई है - और वो है EVM से कमल के फूल का खिलना.
मध्य प्रदेश में EVM का कोई भी बटन दबाने पर VVPAT में कमल का फूल प्रिंट हो कर निकलना वाकई गंभीर मामला है. ये मामला तब और भी गंभीर हो जाता है जब अफसर मीडिया के सवाल पर धमकी भी देने लगे.
जब जब कमल के फूल खिले
EVM की विश्वसनीयता पर बहस शायद थम भी जाती लेकिन मध्य प्रदेश के भिंड में VVPAT की चेकिंग के दौरान बटन दबाने पर कमल का फूल ही प्रिंट हुआ.
मध्य प्रदेश में अटेर विधानसभा सीट पर 9 अप्रैल को उपचुनाव होने जा रहा है. हुआ ये कि जांच के दौरान जब डमी EVM के दो अलग अलग बटन दबाये गये तो दोनों बार प्रिंट में कमल का फूल ही निकला. पहले चौथे नंबर का बटन दबाया गया तो उम्मीदवार का नाम और चुनाव निशान कमल छप कर निकला. फिर दूसरा बटन दबाया गया तो भी कमल ही छप कर निकला. हालांकि, तीसरी बार बटन दबाने पर हाथ का पंजा प्रिंट हुआ.
ताज्जुब की बात ये रही कि जब चुनाव अधिकारी से मीडिया ने इस पर सवाल पूछा तो उनका कहना था - 'खबर छापी तो थाने भिजवा दूंगी.'
सवाल अब भी बाकी हैं
न तो भिंड में मीडिया के सवाल का जवाब मिला न अब तक केजरीवाल के सवाल का. यही वजह है कि केजरीवाल बैलट पेपर चुनाव कराने की अपनी मांग पर कायम हैं.
यूपी चुनाव के नतीजे आने के बाद सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने EVM में गड़बड़ी की आशंका जतायी और इसी को अपनी हार की वजह भी माना. मायावती के बाद अखिलेश यादव ने भी उनकी बातों को एनडोर्स करते हुए जांच की मांग की. इसी तरह की मांग दिल्ली कांग्रेस के नेता अजय माकन और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी की.
बाद में केजरीवाल ने अपने रिसर्च के आधार पर कुछ दलीलें भी पेश कीं. केजरीवाल ने बताया कि पंजाब के एक बूथ पर उन्हें महज तीन वोट मिले जबकि वहां उनके कार्यकर्ताओं की संख्या 7 है और उनके परिवारवाले भी 17 हैं. केजरीवाल का सवाल है कि वे सारे वोट आखिर गये तो कहां गये? इसी क्रम में केजरीवाल महाराष्ट्र के सिविक पोल से एक ऐसे ही केस का जिक्र किया. एक निर्दल उम्मीदवार का उदाहरण देते हुए केजरीवाल ने पूछा कि आखिर उसे एक भी वोट क्यों नहीं मिला? उनका कहना था कि कम से कम उस उम्मीदवार का और उसकी पत्नी का वोट तो उसे मिलना चाहिये था, आखिर कहां गया? केजरीवाल की ये दलील तो वाकई दमदार रही.
एमसीडी चुनाव में केजरीवाल ने EVM की जगह बैलट पेपर के इस्तेमाल की मांग की है. EVM में गड़बड़ी को लेकर केजरीवाल ने चुनाव आयोग से मिल कर अपनी चिंता दर्ज करायी और मीडिया के सामने सवाल भी उठाये. कुछ लोग EVM के साथ VVPAT के इस्तेमाल पर भी जोर दे रहे हैं जिसके लिए फंड की कमी का रोना भी सुनने को मिला है.
सूचना क्रांति के इस दौर में बैलट पेपर को कुछ लोग पीछे लौटने की तरह ले रहे हैं जो सही भी है. लेकिन जब हार जीत का फैसला एक वोट से होना हो और वो गड़बड़ी का शिकार हो जाये - ये तो ठीक नहीं है. दूसरे देशों के मुकाबले भारतीय EVM के सबसे ज्यादा सुरक्षित होने के दावे किये जा रहे हैं - लेकिन भिंड में जो गड़बड़ी सामने आयी है उसे क्या माना जाये? चुनाव आयोग को ऐसा इंतजाम जरूर करना चाहिये जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर ऐसे सवाल न उठाए जा सकें.
ताज्जुब इस बात पर होता है कि जब देश कैशलेस हो रहा है और डिजिटल इंडिया ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रमोट हो रहा हो - EVM के साथ ये सब क्या हो रहा है?
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