प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ताजा कैबिनेट विस्तार में मानव संसाधन राज्यमंत्री राम शंकर कठेरिया की छुट्टी कर दी. उन्हें मंत्रिपद से इस्तीफा देना पड़ा. फिर बयान आया, 'मंत्रिमंडल से हटाए जाने का मुझे कोई दुख नहीं है. पार्टी जो मुझे कहेगी, वो काम करने को तैयार हूं. पहले भी संगठन में था, अभी भी संगठन में काम करूंगा. उत्तर प्रदेश के चुनावों में और ज्यादा मेहनत करूंगा.'
तो आगरा से सांसद राम शंकर कठेरिया की बात से खुश होकर पार्टी ने उन्हें वही काम दे दिया, जिसमें वो निपुण हैं. दरअसल कठेरिया अपने भड़काऊ बयानों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. इसीलिए पार्टी ने उन्हें बीजेपी कार्यकर्ताओं को बोलने की कला सिखाने का काम ही दे दिया है. कहते हैं कि नरेंद्र मोदी हर फैसला बहुत सोच समझकर लेते हैं, लिहाजा कठेरिया के मामले में भी वो शायद समझ गए होंगे कि शायद यही काम ऐसा है जो वो सबसे अच्छा कर सकते हैं.
कठेरिया के भड़काऊ बयानों से अक्सर विवाद की स्थिति बन जाती है |
हाल ही में राम शंकर कठेरिया ने बयान दिया था कि- 'देश के भले के लिए जरूरत पड़ी तो शिक्षा का भगवाकरण भी किया जाएगा.' इस बयान के बाद अच्छा खासा विवाद खड़ा हो गया था.
ये भी पढ़ें- किसी बयान की एक खास लाइन परोसी जाए तो 'कठेरिया विवाद' होता है
पार्टी के हिसाब से ये बहुत ही जिम्मेदारी वाला काम...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ताजा कैबिनेट विस्तार में मानव संसाधन राज्यमंत्री राम शंकर कठेरिया की छुट्टी कर दी. उन्हें मंत्रिपद से इस्तीफा देना पड़ा. फिर बयान आया, 'मंत्रिमंडल से हटाए जाने का मुझे कोई दुख नहीं है. पार्टी जो मुझे कहेगी, वो काम करने को तैयार हूं. पहले भी संगठन में था, अभी भी संगठन में काम करूंगा. उत्तर प्रदेश के चुनावों में और ज्यादा मेहनत करूंगा.'
तो आगरा से सांसद राम शंकर कठेरिया की बात से खुश होकर पार्टी ने उन्हें वही काम दे दिया, जिसमें वो निपुण हैं. दरअसल कठेरिया अपने भड़काऊ बयानों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. इसीलिए पार्टी ने उन्हें बीजेपी कार्यकर्ताओं को बोलने की कला सिखाने का काम ही दे दिया है. कहते हैं कि नरेंद्र मोदी हर फैसला बहुत सोच समझकर लेते हैं, लिहाजा कठेरिया के मामले में भी वो शायद समझ गए होंगे कि शायद यही काम ऐसा है जो वो सबसे अच्छा कर सकते हैं.
कठेरिया के भड़काऊ बयानों से अक्सर विवाद की स्थिति बन जाती है |
हाल ही में राम शंकर कठेरिया ने बयान दिया था कि- 'देश के भले के लिए जरूरत पड़ी तो शिक्षा का भगवाकरण भी किया जाएगा.' इस बयान के बाद अच्छा खासा विवाद खड़ा हो गया था.
ये भी पढ़ें- किसी बयान की एक खास लाइन परोसी जाए तो 'कठेरिया विवाद' होता है
पार्टी के हिसाब से ये बहुत ही जिम्मेदारी वाला काम है. यूपी चुनाव सिर पर हैं, उस लिहाज से ये बहुत महत्वपूर्ण है कि पार्टी कार्यकर्ताओं की भाषा असरदार हो. आखिर पार्टी कार्यकर्ता जब अच्छा बोलेंगे और लोगों को प्रभावित करने वाली बात कहेंगे तभी तो लोग उनपर विश्वास करेंगे.
कठेरिया हिंदी के प्रोफेसर और आरएसएस प्रचारक रह चुके हैं. अपनी नई जिम्मेदारी संभालते हुए कठेरिया ने यूपी के एटा में अपनी कोचिंग क्लास शुरू भी कर दी है. बताया जा रहा है कि इस क्लास में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की सैद्धांतिक नींव के बारे में बताया गया.
वैसे बीजेपी यूपी चुनावों के लिए इतनी शिद्दत से लगी हुई है कि कोई भी लूप होल छोड़ना नहीं चाहती. कार्यकर्ताओं की भाषा प्रभावशाली हो इसकी इच्छा तो हर पार्टी करती है, लेकिन इसके लिए बाकायदा ट्रेनिंग दी जाए ऐसा पहली बार ही देखने मिल रहा है. वैसे ट्रेनर अगर भड़काऊ बयानबाजी करने वाला कोई शख्स हो तो फिर रिजल्ट तो शानदार ही होगा.
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