17 जुलाई सोमवार हमारा देश अगले राष्ट्रपति के लिए मतदान के लिए तैयार है. इसके लिए एनडीए द्वारा समर्थित रामनाथ कोविंद और विपक्ष की तरफ से मीरा कुमार मैदान में हैं. लेकिन बिहार के भूतपूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद की जीत लगभग पक्की है और इसकी ऐलान 20 जुलाई को हो जाएगा. बस इंतजार इस बात का है कि उनके जीत का अंतर कितना ज़्यादा होता है. जीत के अंतर को बढ़ाने के लिए एनडीए के नेतागण लगातार प्रयासरत भी हैं. जीत का अंतर जितना ज़्यादा होगा उतना ही बड़ा विपक्ष को झटका लगेगा.
आंकड़ों में रामनाथ कोविंद का पलड़ा भारी
हालांकि मीरा कुमार को 17 विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन वोटों के मामले में वह कोविंद से काफी पिछड़ती दिख रही हैं. आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना लगभग तय है.
अगर आंकड़ों की बात करें तो चुनावी निर्वाचक मंडल में एनडीए को बढ़त हासिल है. एनडीए के 5.27 लाख वोट हैं वहीं और यूपीए के 3.53 लाख वोट है. यानी आंकड़ों के आधार पर कांग्रेसनीत यूपीए एनडीए से 1.74 लाख वोट पीछे है. अगर बीजेपी विरोधी पार्टियों और यूपीए के वोट एक साथ जोड़ दें तो भी एनडीए 93 हजार वोटों से आगे दिखता है.
रामनाथ कोविंद्र के समर्थन में एनडीए और गैर एनडीए क्षेत्रीय पार्टियों का 63.1 फीसदी वोट है. वैसे तो एनडीए के पास खुद कमोबेश 48.9 फीसदी वोट है और कई अन्य गैर एनडीए क्षेत्रीय पार्टियों को मिलाकर यह आंकड़ा 63 फीसदी तक पहुंच जाता है.
नीतीश कुमार, नवीन पटनायक और चंद्रशेखर राव ऐसे मुख्यमंत्री हैं खुलकर रामनाथ कोविंद की तारीफ कर चुके हैं. यूपीए के प्रमुख...
17 जुलाई सोमवार हमारा देश अगले राष्ट्रपति के लिए मतदान के लिए तैयार है. इसके लिए एनडीए द्वारा समर्थित रामनाथ कोविंद और विपक्ष की तरफ से मीरा कुमार मैदान में हैं. लेकिन बिहार के भूतपूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद की जीत लगभग पक्की है और इसकी ऐलान 20 जुलाई को हो जाएगा. बस इंतजार इस बात का है कि उनके जीत का अंतर कितना ज़्यादा होता है. जीत के अंतर को बढ़ाने के लिए एनडीए के नेतागण लगातार प्रयासरत भी हैं. जीत का अंतर जितना ज़्यादा होगा उतना ही बड़ा विपक्ष को झटका लगेगा.
आंकड़ों में रामनाथ कोविंद का पलड़ा भारी
हालांकि मीरा कुमार को 17 विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन वोटों के मामले में वह कोविंद से काफी पिछड़ती दिख रही हैं. आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना लगभग तय है.
अगर आंकड़ों की बात करें तो चुनावी निर्वाचक मंडल में एनडीए को बढ़त हासिल है. एनडीए के 5.27 लाख वोट हैं वहीं और यूपीए के 3.53 लाख वोट है. यानी आंकड़ों के आधार पर कांग्रेसनीत यूपीए एनडीए से 1.74 लाख वोट पीछे है. अगर बीजेपी विरोधी पार्टियों और यूपीए के वोट एक साथ जोड़ दें तो भी एनडीए 93 हजार वोटों से आगे दिखता है.
रामनाथ कोविंद्र के समर्थन में एनडीए और गैर एनडीए क्षेत्रीय पार्टियों का 63.1 फीसदी वोट है. वैसे तो एनडीए के पास खुद कमोबेश 48.9 फीसदी वोट है और कई अन्य गैर एनडीए क्षेत्रीय पार्टियों को मिलाकर यह आंकड़ा 63 फीसदी तक पहुंच जाता है.
नीतीश कुमार, नवीन पटनायक और चंद्रशेखर राव ऐसे मुख्यमंत्री हैं खुलकर रामनाथ कोविंद की तारीफ कर चुके हैं. यूपीए के प्रमुख घटक दल और तीन राज्यों में सरकारें चला रहीं जदयू, बीजद, टीआरएस और वाईएसआरसीपी एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को वोट देने का ऐलान कर चुकी हैं.
रामनाथ कोविंद को समर्थन देने वाली गैर एनडीए पार्टियों में जदयू (1.91 फीसदी), एआईएडीएमके (5.39 फीसदी), बीजद (2.99 फीसदी), टीआरएस (2 फीसदी), वाईएसआरसीपी (1.53 फीसदी) और रालोद (0.38 फीसदी) है. एआईएडीएमके के दोनों गुटों ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला लिया है. इससे कोविंद को मीरा कुमार पर निर्णायक बढ़त हासिल हो जाती है.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव भी एनडीए प्रत्याशी को समर्थन करने की बात कर चुके हैं. जबकि इनकी पार्टी सपा और इसके मुखिया अखिलेश यादव यूपीए के प्रत्याशी मीरा कुमार के समर्थन में हैं.
बढ़ेगा मोदी और अमित शाह का कद
अगर एनडीए द्वारा समर्थित रामनाथ कोविंद की जीत होती है तो यह तय है कि इस बार के चुनावी नतीजे नरेंद्र मोदी व अमित शाह के कद को और बढ़ाएंगे. पहले से ही पूरी तरह से पार्टी और सरकार पर मजबूत पकड़ बना चुकी मोदी-शाह की जोड़ी के लिए यह जीत मनोबल को और ज्यादा बढ़ाने वाली साबित होगी. अमित शाह को भी पार्टी के अब तक के सबसे सफल भाजपा अध्यक्ष का खिताब मिल जाएगा. अब तक उनके नेतृत्व में पार्टी ऐसे राज्यों में जीत हासिल कर चुकी है जहां इससे पहले शायद वह कभी मुख्य विपक्षी दल भी नहीं रही.
अब इंतजार 20 जुलाई को खत्म होगा जब वोटों की गिनती होगा और जीत का अंतर आएगा. 25 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति पद भार संभालेंगे.
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