1947 में बंटवारे के बाद मेरे पूर्वज पाकिस्तान से यहां आए थे. मेरे दादा ने बॉम्बे(पहले बॉम्बे ही कहा जाता था) में वकालत की पढ़ाई की और फिर बहुत तरक्की की. उनके भाई भी बिल़्डर और रेस्त्रां मालिक के रूप में समृद्ध हुए. मेरे पिता का जन्म पाकिस्तान में हुआ था, और इसीलिए मैं और मेरे भाई पहली पीढ़ी के 'भारतीय' और 'मराठी' रहे. लेकिन अब मेरा ख्याल है कि ये दोनों सिर्फ शब्द हैं.
मैंने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत संघर्ष किया है, मैं टैक्स देती हूं(अच्छा खासा) और देखिए, मेरे टैक्स के पैसे मेरे लिए कुछ नहीं करते. मैं कई बार चुप रहती हूं क्योंकि मुझे लगता है कि राजनीति के बारे में बात करके खुद को अनावश्यक रूप से परेशान करने का कोई मतलब नहीं है. लोग कहते हैं 'वो अनपढ़ हैं..उन्हें ऐसा ही रहने दो' लेकिन अगर ये सच है तो 'पढ़े-लिखे' क्या करते हैं?? चुप रहते हैं और ये सब होने देते हैं??
आज मेरे देश में क्या हो रहा है ये देखकर मुझे एक इंसान होने पर शर्मिंदगी महसूस होती है. जब हमारे प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए, तब वो चुप हैं. हमारे व्यवहार के लिए मैं शर्मिंदा हूं.
मेरा मुंह काला है क्योंकि मैं भी यहां से ही आती हूं और चुप हूं. मैं इस पोस्ट के नतीजे से वाकिफ हूं. मुझे पता है कि इससे मुझे और मेरे सैलून को नुकसान हो सकता है. लेकिन अब बोलने का वक्त है.
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