उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान आजम खां का जिक्र आने पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा - 'उनका नाम ले लूं तो नहाना पड़ता है.' नाम लेने की स्थिति में वो क्या करते हैं ये तो बताया, लेकिन जिक्र आने पर ये नहीं मालूम कि वो क्या करते हैं. बहरहाल, जब मध्य प्रदेश लौटे तो उन्होंने बीजेपी विधायकों को खूब नसीहतें दी. बीच बीच में वो अपने अनुभूत योग की मिसालें भी देते रहे और समझाया कि वे उनके जैसे भी बन सकते हैं अगर उन्हें फॉलो करें. निश्चित रूप से उनका आशय ट्विटर पर नहीं बल्कि जीवन में फॉलो करने से रहा होगा.
शिवराज की पाठशाला
यूपी के चुनाव प्रचार से लौटते ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद की तैयारी में जुट गये. असल में अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होना है उनमें मध्य प्रदेश भी शामिल है. ज्यादा खास इसलिए भी क्योंकि 2019 से पहले सेमीफाइनल वे ही चुनाव होंगे.
यूपी आने पर शिवराज ने वस्तुस्थिति का अपने तरीके से आकलन जरूर किया होगा. जो कुछ नजर आया होगा उससे प्रेरणा और सीख लेते हुए निश्चित रूप से वो अपनी रणनीति तैयार करेंगे.
2018 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए पचमढ़ी में बीजेपी विधायकों के लिए दो दिन का ट्रेनिंग कैंप लगाया गया था. विधायकों की ट्रेनिंग में छह बिंदुओं पर खास जोर रहा - सदन में विधायकों की भूमिका और उनके अधिकारी, मीडिया प्रबंधन, आपसी समन्वय, समय का प्रबंधन और व्यक्तित्व विकास.
शिवराज ने पहले तो विधायकों के लिए आचार, विचार, व्यवहार और अध्ययन पर ध्यान देने की सलाह दी, 'विधायकों को अध्ययन बढ़ा कर तथ्यों और तर्क के साथ अपनी बात रखने की सामर्थ्य और बढ़ानी चाहिए. ऐसा करने से हम कहीं भी अपनी बात लेकर जाएंगे तो उसे न मानने का कोई कारण किसी के पास नहीं...
उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान आजम खां का जिक्र आने पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा - 'उनका नाम ले लूं तो नहाना पड़ता है.' नाम लेने की स्थिति में वो क्या करते हैं ये तो बताया, लेकिन जिक्र आने पर ये नहीं मालूम कि वो क्या करते हैं. बहरहाल, जब मध्य प्रदेश लौटे तो उन्होंने बीजेपी विधायकों को खूब नसीहतें दी. बीच बीच में वो अपने अनुभूत योग की मिसालें भी देते रहे और समझाया कि वे उनके जैसे भी बन सकते हैं अगर उन्हें फॉलो करें. निश्चित रूप से उनका आशय ट्विटर पर नहीं बल्कि जीवन में फॉलो करने से रहा होगा.
शिवराज की पाठशाला
यूपी के चुनाव प्रचार से लौटते ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद की तैयारी में जुट गये. असल में अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होना है उनमें मध्य प्रदेश भी शामिल है. ज्यादा खास इसलिए भी क्योंकि 2019 से पहले सेमीफाइनल वे ही चुनाव होंगे.
यूपी आने पर शिवराज ने वस्तुस्थिति का अपने तरीके से आकलन जरूर किया होगा. जो कुछ नजर आया होगा उससे प्रेरणा और सीख लेते हुए निश्चित रूप से वो अपनी रणनीति तैयार करेंगे.
2018 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए पचमढ़ी में बीजेपी विधायकों के लिए दो दिन का ट्रेनिंग कैंप लगाया गया था. विधायकों की ट्रेनिंग में छह बिंदुओं पर खास जोर रहा - सदन में विधायकों की भूमिका और उनके अधिकारी, मीडिया प्रबंधन, आपसी समन्वय, समय का प्रबंधन और व्यक्तित्व विकास.
शिवराज ने पहले तो विधायकों के लिए आचार, विचार, व्यवहार और अध्ययन पर ध्यान देने की सलाह दी, 'विधायकों को अध्ययन बढ़ा कर तथ्यों और तर्क के साथ अपनी बात रखने की सामर्थ्य और बढ़ानी चाहिए. ऐसा करने से हम कहीं भी अपनी बात लेकर जाएंगे तो उसे न मानने का कोई कारण किसी के पास नहीं रहेगा. इससे समाज में हमारी छवि निखरेगी और जब हमारी छवि निखरेगी तब निश्चित ही भारतीय जनता पार्टी की छवि भी और निखरेगी.'
ज्ञान की ऐसी कई बातें और फोटो शिवराज ने अपने ट्विटर टाइमलाइन पर भी शेयर की है.
कमाओ, मगर नजर बचा के!
व्यापम जैसे घोटाले से जूझ रहे शिवराज को भी पता है कि अब त्याग और सेवा की बातों का कोई मतलब नहीं, इसलिए उन्होंने व्यावहारिक रास्तों की बात की - 'कमाओ लेकिन ध्यान रहे लोगों की नजर में मत चढ़ो और लगे कि कहां थे कहां पहुंच गये.'
शिवराज ने विधायकों से साफ तौर पर कहा - 'आर्थिक रूप से मजबूत तो बनो लेकिन गाड़ी, मकान, दुकान मत लो जो जनता को दिखे.'
पैसे कमाने के टिप्स देने को हुए तो शिवराज खुद ही किरदार भी बन गये - समझाया कि वे चाहें तो उनके जैसे भी बन सकते हैं बशर्ते उस रास्ते पर चलें जो उन्होंने खुद अपने जीवन में अपनाया. शिविर में श्रोताओं के रूप में शामिल विधायक चाहें तो इसे मुख्यमंत्री बनने का नुस्खा भी समझ सकते हैं. फिर शिवराज ने समझाया कि किस तरह खुद उन्होंने और उनके एक मंत्री ने अपना बिजनेस खड़ा किया. शिवराज ने बताया, 'मैंने फूलों की खेती की, वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने फलों की खेती की, आप लोग भी ईमानदारी से काम करें.'
बेदाग बने रहो, लेकिन ऐसे!
'मैंने अपना परिवार छोड़ दिया है. मैं संयुक्त परिवार नहीं रखता वरना ये लोग फोन पर कहेंगे कि मैं सीएम हाऊस से बोल रहा हूं.'
शिवराज को ये बातें इसलिए कहनी पड़ी क्योंकि अवैध रेत खनन को लेकर इन दिनों वो विपक्ष के निशाने पर हैं. विधायकों ने तो मुख्यमंत्री की बात चुपचाप सुन ली, लेकिन विपक्ष को उनका दावा हजम नहीं हो रहा.
मीडिया और सोशल मीडिया के जरिये शिवराज की बातें सामने आते ही कांगेस नेता हमलावर हो गये. कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा बोले - 'मुख्यमंत्री के परिवार वाले और ससुराल वाले मिलकर मध्यप्रदेश में खुली लूट मचा रहे हैं और मुख्यमंत्री ये कह रहे हैं कि वह संयुक्त परिवार से नाता तोड़ चुके हैं.
मिश्रा का कहना है कि शिवराज सिंह और उनके परिवार की 11 साल पहले की प्रॉपर्टी और आज की संपत्ति का मूल्यांकन करवाया जाये तो सबको हकीकत मालूम हो जाएगी.
ताकि सरकार की फजीहत न हो
मुख्यमंत्री इस शिविर में पूरी तैयारी के साथ आये थे. उनके पास केस स्टडी भी थी कि किस विधायक का कौन सा बयान मीडिया में सुर्खियां बना. शिवराज ने कई विधायकों का नाम लेकर उनके बयान की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि कौन सी बात कहां कहनी है.
शिविर में जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने माइक संभाला तो कुछ ज्यादा ही सख्ती से पेश आये. बीजेपी अध्यक्ष ने सीधे सीधे फरमान जारी किया कि विधानसभा के अंदर मुश्किल और सरकार को शर्मिंदा करने वाले सवाल तो वे हरगिज ना पूछें.
ये विधायक शिविर में तो कुछ नहीं बोले लेकिन पत्रकारों से मिलते ही नाम न छापने की शर्त रखते हुए पूरी पोल खोल दी. विधायकों ने बताया कि जब भी वे भ्रष्टाचार का कोई मामला उठाते हैं, नजरअंदाज कर दिया जाता है. जब मंत्रियों से भ्रष्ट अफसरों के तबादले की सिफारिश की जाती है तो उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. फिर ऐसे में उनके पास विधानसभा में सवाल पूछने के अलावा चारा ही क्या बचता है.
शिवराज ने शिविर में विधायकों को सफलता के चार मंत्र भी दिये. शिवराज ने कहा, 'योग करो, पांच मिनट ध्यान करो और सोने-खाने का समय तय करो. फिर उन्होंने अपना जीवन दर्शन सुनाया, 'मैं मुस्कुराकर सबसे मिलता हूं. आप भी इसी तरह सबसे मुस्कुराकर मिलें.'
इसके बाद उन्होंने एक राज की बात बतायी, 'मैं कुष्ठ रोगियों से भी हाथ मिलाता हूं. लोग अगर पेशाब की थैली भी पकड़ा दें तो ले लेता हूं, कोई मिलने आये तो मैं खड़ा रहता हूं, बाकी सबको बिठाता हूं.'
बाकी सब तो ठीक रहा बस एक ही बात समझ में नहीं आई कि जिस शख्स को किसी का नाम भर लेने के बाद नहाना पड़ता हो वो सच में कैसे खुशी खुशी पेशाब की थैली पकड़ सकता है. मालूम नहीं इस तरह का टैलेंट जन्मजात होता है या सियासत में इसकी भी कोई खास तालीम मिलती है?
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