लोकतंत्रीय परम्परा में संसद को लोकतंत्र के मंदिर के रूप में जाना जाता है. देश की जनता अपने जन-प्रतिनिधियों को संसद रूपी मंदिर में चुनकर भेजती है. संसद देश की जनता के हितों की रखवाली करती है, इसलिए लोकतंत्र में संसद का स्थान अत्यंत ही गरिमापूर्ण है. हम लोग संसद में बैठने वाले माननीय सांसदों से अपेक्षा करते हैं कि वो इस मंदिर की रक्षा करें और इसकी गरिमा को बनाए रखें. ऐसा करना सांसदों का जिम्मेदारी के साथ-साथ फर्ज भी है. सांसदों का काम है कि वो जनता के प्रतिनिधि होने के नाते जनता का जीवन सुधारें. हम उनसे आशा करते हैं कि वो ऐसे कानून बनाएं जो देश को आगे ले जाएं.
लेकिन अब ऐसा लगता है मानो सिर्फ सांसद बन जाने से ही उनके अच्छे आचरण की हम अपेक्षा नहीं कर सकते. उन्हें अपना काम सुचारू रूप से करने के लिए कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं. जैसे वेतन के अलावा पूरे देश में कहीं भी फर्स्ट क्लास रेल में फ्री यात्रा करना, 50,000 यूनिट फ्री बिजली, रहने के लिए बंगला, साल में 34 फ्री एयर टिकट, फ्री फोन कॉल इत्यादि. लगता है कि इन सारी फ्री सुविधाओं और विशेषाधिकारों की वजह से ही कुछ सांसद खुद को कानून के ऊपर समझने लगे हैं, राजा-महाराजा समझने लगे हैं. उन्हें ऐसा लगने लगा है कि उन्हें कुछ भी करने का लाइसेंस मिल गया हो.
ऐसा ही वाक्या हमें देखने को मिला जब शिवसेना सांसद रविंद्र गायकवाड़ को बिजनेस क्लास में सीट न मिली तो उन्होंने एयर इंडिया के एक कर्मचारी को 25 बार चप्पल से धुन डाला. और जब उनसे माफी मांगने को कहा गया तो उन्होंने यहां तक कह डाला कि जिसे जो करना है कर ले, वो माफी नहीं मांगेंगे. यही नहीं उन्हीं के पार्टी के नेता संजय राउत उनका बचाव करते हुए बोले 'आम आदमी हो या मंत्री हो, किसी...
लोकतंत्रीय परम्परा में संसद को लोकतंत्र के मंदिर के रूप में जाना जाता है. देश की जनता अपने जन-प्रतिनिधियों को संसद रूपी मंदिर में चुनकर भेजती है. संसद देश की जनता के हितों की रखवाली करती है, इसलिए लोकतंत्र में संसद का स्थान अत्यंत ही गरिमापूर्ण है. हम लोग संसद में बैठने वाले माननीय सांसदों से अपेक्षा करते हैं कि वो इस मंदिर की रक्षा करें और इसकी गरिमा को बनाए रखें. ऐसा करना सांसदों का जिम्मेदारी के साथ-साथ फर्ज भी है. सांसदों का काम है कि वो जनता के प्रतिनिधि होने के नाते जनता का जीवन सुधारें. हम उनसे आशा करते हैं कि वो ऐसे कानून बनाएं जो देश को आगे ले जाएं.
लेकिन अब ऐसा लगता है मानो सिर्फ सांसद बन जाने से ही उनके अच्छे आचरण की हम अपेक्षा नहीं कर सकते. उन्हें अपना काम सुचारू रूप से करने के लिए कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं. जैसे वेतन के अलावा पूरे देश में कहीं भी फर्स्ट क्लास रेल में फ्री यात्रा करना, 50,000 यूनिट फ्री बिजली, रहने के लिए बंगला, साल में 34 फ्री एयर टिकट, फ्री फोन कॉल इत्यादि. लगता है कि इन सारी फ्री सुविधाओं और विशेषाधिकारों की वजह से ही कुछ सांसद खुद को कानून के ऊपर समझने लगे हैं, राजा-महाराजा समझने लगे हैं. उन्हें ऐसा लगने लगा है कि उन्हें कुछ भी करने का लाइसेंस मिल गया हो.
ऐसा ही वाक्या हमें देखने को मिला जब शिवसेना सांसद रविंद्र गायकवाड़ को बिजनेस क्लास में सीट न मिली तो उन्होंने एयर इंडिया के एक कर्मचारी को 25 बार चप्पल से धुन डाला. और जब उनसे माफी मांगने को कहा गया तो उन्होंने यहां तक कह डाला कि जिसे जो करना है कर ले, वो माफी नहीं मांगेंगे. यही नहीं उन्हीं के पार्टी के नेता संजय राउत उनका बचाव करते हुए बोले 'आम आदमी हो या मंत्री हो, किसी का भी गुस्सा फूट सकता है'
रविंद्र गायकवाड़ का विवादों से है पुराना रिश्ते
* साल 2014 में रविंद्र गायकवाड़ समेत 11 सांसदों पर महाराष्ट्र सदन दिल्ली में रोजे के दौरान जबरदस्ती एक मुस्लिम वेटर के मुंह में रोटी ठूंसी गई थी.
* गायकवाड़ पिछले 3 सालों से सांसद हैं लेकिन उनकी संसद में उपस्थिति दूसरे सांसदों के मुकाबले काफी कम है
* राजनीति से पहले वो एक शिक्षक थे इसके बावजूद उन पर कई मामले दर्ज हैं.
* इनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें मारपीट के अलावा अपराधिक मामले भी हैं.
सांसदों के द्वारा मार पीट की घटनाएं
* बीजेपी के संसद अनंत कुमार हेगड़े ने इसी साल जनवरी में दो डॉक्टरों के साथ मार-पीट की.
* जुलाई 2016 में AIADMK के शशिकला पुष्पा ने DMK के तिरुचि सिवा को थप्पड़ मारा.
* 2015 में YSR कांग्रेस के सांसद मिथुन रेड्डी ने एयर इंडिया के स्टेशन मास्टर को थप्पड़ मारा.
* साल 2015 में ही बिहार के बाहुबली सांसद पप्पू यादव ने एयर होस्टेस के साथ बदतमीज़ी की.
* वर्ष 2009 में तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता जगन्नाधम एक बैंक मेनेजर को थप्पड़ मारा.
जब सोलहवीं लोक सभा में हर तीन सांसदों में एक पर आपराधिक मामले दर्ज हों तो ऐसे में आम जनता अपने माननीय सांसदों से मानवीय व्यवहार की उम्मीद आखिर कैसे कर सकती है?
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