दुनिया के मानचित्र पर एशिया, अफ्रिका और यूरोप तक सिल्क रूट का निर्माण करना चीन का सपना है. इस सिल्क रूट के केन्द्र में चीन ही रहेगा. और इसे हकीकत में बदलने के लिये 14 और 15 मई को बीजिंग में दुनिया के 29 देशों के राष्ट्राध्यक्ष शरीक हुए. पूरी दुनिया में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए एशिया, यूरोप और अफ्रीका के 65 देशों को जोड़ने की चीन की इस परियोजना को ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना का नाम दिया गया है. इसी को ‘न्यू सिल्क रूट’ के नाम से भी जाना जाता है. इस बैठक में भारत हिस्सा ने हिस्सा नहीं लिया. अब यहीं से नया सवाल खड़ा हो गया कि क्या चीन का सिल्क रूट का सपना भारत के लिये खतरे की घंटी है?
चीन का इकोनॉमिक कॉरिडोर भारत के लिये मुश्किल का सबब है. सच ये भी है कि 'वन बेल्ट वन रोड' की सोच के साथ जिस सिल्क रूट को चीन बनाना चाह रहा है, उसके दायरे में पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी आता है.
- यह प्रॉजेक्ट पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय इलाके गिलगित बाल्टिस्तान से गुजरेगा.
- गिलगित बाल्टिस्तान कानूनन भारत का हिस्सा है, जो जम्मू-कश्मीर के अंदर आता है.
- पाकिस्तान आतंकवादियों को ट्रेनिंग देकर भारत में भेजकर दशकों से छद्म युद्ध चला रहा है.
- उधर चीन, पाकिस्तान को लंबे समय से समर्थन देता रहा है.
- OBOR के चलते दक्षिण एशिया में चीनी सेना का दखल भी बढ़ेगा.
- और यही भारत की सबसे बड़ी मुश्किल है कि अगर चीन पीओके में इकोनॉमिक कॉरिडोर बना लेता है तो, फिर कश्मीर को लेकर चीन भी एक पार्टी के तौर पर आने वाले वक्त में खड़ा हो सकता है.
भारत को घेरने की...
दुनिया के मानचित्र पर एशिया, अफ्रिका और यूरोप तक सिल्क रूट का निर्माण करना चीन का सपना है. इस सिल्क रूट के केन्द्र में चीन ही रहेगा. और इसे हकीकत में बदलने के लिये 14 और 15 मई को बीजिंग में दुनिया के 29 देशों के राष्ट्राध्यक्ष शरीक हुए. पूरी दुनिया में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए एशिया, यूरोप और अफ्रीका के 65 देशों को जोड़ने की चीन की इस परियोजना को ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना का नाम दिया गया है. इसी को ‘न्यू सिल्क रूट’ के नाम से भी जाना जाता है. इस बैठक में भारत हिस्सा ने हिस्सा नहीं लिया. अब यहीं से नया सवाल खड़ा हो गया कि क्या चीन का सिल्क रूट का सपना भारत के लिये खतरे की घंटी है?
चीन का इकोनॉमिक कॉरिडोर भारत के लिये मुश्किल का सबब है. सच ये भी है कि 'वन बेल्ट वन रोड' की सोच के साथ जिस सिल्क रूट को चीन बनाना चाह रहा है, उसके दायरे में पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी आता है.
- यह प्रॉजेक्ट पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय इलाके गिलगित बाल्टिस्तान से गुजरेगा.
- गिलगित बाल्टिस्तान कानूनन भारत का हिस्सा है, जो जम्मू-कश्मीर के अंदर आता है.
- पाकिस्तान आतंकवादियों को ट्रेनिंग देकर भारत में भेजकर दशकों से छद्म युद्ध चला रहा है.
- उधर चीन, पाकिस्तान को लंबे समय से समर्थन देता रहा है.
- OBOR के चलते दक्षिण एशिया में चीनी सेना का दखल भी बढ़ेगा.
- और यही भारत की सबसे बड़ी मुश्किल है कि अगर चीन पीओके में इकोनॉमिक कॉरिडोर बना लेता है तो, फिर कश्मीर को लेकर चीन भी एक पार्टी के तौर पर आने वाले वक्त में खड़ा हो सकता है.
भारत को घेरने की तैयारी
नक्शे पर समझें तो, पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश- चीन के इस सिल्क रूट का समर्थन कर रहे है. क्योंकि चीन, बांग्लादेश को हथियार और पैसा दोनों दे रहा है. श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह पर भारी भरकम निवेश कर रहा है. श्रीलंका में चीन के बंदरगाह निर्माण के कदम से कुछ भारतीय विश्लेषक चिंतित हैं और वह इसे 'मोतियों की डोरी' बताते हैं, जिसका अर्थ भारत को घेरने से है. यानी भारत ने सार्क के ज़रिए जो अपनी पकड़ बनायी है, सिल्क रूट के जरीये चीन उसमें भी सेंध लगाना चाह रहा है.
पाकिस्तान को क्या फायदा
- हमेशा से चीन और पाकिस्तान एक-दूसरे को सहायता करते आ रहे हैं.
- आतंकवाद का मसला हो या फिर कूटनीतिक, चीन, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़ा रहता है.
- आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में शामिल कराने की भारत की कोशिश पर चीन का अड़ंगा जगज़ाहिर है.
- दुनिया में अलग-थलग पड़े पाकिस्तान को चीन के सहारे एक और मौका अपने आप को आगे बढ़ाने में मिलेगा.
- इस प्रकार जितना फायदा पाकिस्तान को होगा, इसके विपरीत भारत को उतना ही नुकसान होगा.
चीन के इस सिल्क रूट के होने का मतलब
दुनिया के नक्शे पर चीन के इस सिल्क रुट के होने का मतलब है, दुनिया के बाजार पर चीन का कब्जा. इसके छह कॉरिडोर होगें जो आपस में मिलेगें.
- चीन, मंगोलिया, रुस, कॉरिडोर
- न्यू यूरोशिया लैंड कॉरिडोर
- चीन, सेन्ट्रल एशिया, पश्चिमी एशिया कॉरिडोर
- चीन, पाकिस्तान, इकोनॉमिक कॉरिडोर
- बांग्लादेश, चीन, भारत, म्यांमार कॉरिडोर
- चीन-इंडो चाइना पेनिनसुला कॉरिडोर
इस योजना के सहारे चीन दुनिया के 65 देशों में सीधे निवेश कर सकेगा और उनकी अर्थव्यवस्था को अपने फायदे के मुताबिक संचालित करेगा. यदि विश्व अर्थव्यवस्था पर नजर दौड़ाएं तो पिछले साल दुनिया भर में चीन की वस्तुओं की मांग में भारी गिरावट आई है. चीन अपने सामानों को बेचने के लिए बाजार तलाश रहा है. चीन के अंदर निर्मित माल के भंडारण से वहां बेरोजगरी बढ़ गई है जो चीन के लिए सिरदर्द बना हुआ है. और इन्हीं कॉरिडोर के लिये बीजिंग में 50 से ज्यादा समझौते संचार, ऊर्जा और ट्रासपोर्टेशन के क्षेत्र में 29 देशों के साथ के साथ होंगे.
पाकिस्तान और चीन की सांठगांठ का भारत दशकों से सामना कर रहा है और इस 'वन बेल्ट वन रोड' के कारण आने वाले वर्षों में सिर्फ भारत की सुरक्षा चुनौतियों को ही बढ़ाएगा. और चीन के इन चालों को काट के लिए तौर-तरीके खोजने होंगे.
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