महीने भर पहले कैबिनेट विस्तार में जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से प्रतिष्ठित शिक्षा मंत्रालय छीना गया तो लोगों ने कहना शुरू किया की अब उनके राजनितिक करियर पर लगाम दी गई है. कपडा मंत्रालय जैसे लो प्रोफाइल काम में लगाकर स्मृति के पर कतर दिए गए हैं. स्मृति इन सब बातो पर चुप रही और 10 दिन के अंदर ये दिखा दिया कि जब जब उनके विरोधी आलोचनाओ का जाल बुनते हैं वो अपने अंदाज़ में पलटवार करती हैं.
टीवी एक्ट्रेस से राजनेता बनी स्मृति कैमरा एक्शन ड्रामा को यकीनन बाकी नेताओ से बेहतर समझती हैं और इनका इस्तेमाल कब कहाँ करना हैं इस फॉर्मूले से कभी पीछे नहीं हटती. तभी तो कपडा मंत्रालय जैसे प्रभार को भी उन्होंने महीने भर के अंदर इतना प्रचारित कर दिया जो शायद अब तक नहीं हुआ था.
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विरोधियों ने उनके डिमोशन की एक वजह उनके अहम और नकचढ़े वयवहार को बताया. शिक्षा मंत्री बनते ही स्मृती का अपने सेक्रेटरी से लेकर सांसदों तक के साथ ख़राब रवैया कई बार चर्चा में रहा. संसद में बहस के दौरान विपक्षी सांसदों ने भी इसे मुद्दा बनाया. कपडा मंत्री बनते ही इन स्टोरीज को स्मृति ने शायद सकारात्मक तरीके से लिया. असर साफ़ दिखने लगा. जो स्मृति पहले मीडिया और पार्टी कार्यकर्ताओ की पहुंच से बाहर रहती थी आज मीडिया से घंटो गप्पे लड़ाती हैं. कार्यकर्ताओं से बात करती हैं और अंदाज़ एक फ़िल्मी अदाकारा की तरह ऐसा होता है कि किसी को भी सोचने पर मजबूर कर दे की आखिर इतना बदलाव कैसे?
आज स्मृति स्टारबक्स कैफ़े में आम आदमी की तरह लाइन में लगकर कॉफ़ी लेती हैं तो सोशल मीडिया पर उनके नए रूप की चर्चा शुरू हो जाती है. इसी सोशल मीडिया को स्मृति अपने लिए जमकर इस्तेमाल करने में भी लगी हैं.
महीने भर पहले कैबिनेट विस्तार में जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से प्रतिष्ठित शिक्षा मंत्रालय छीना गया तो लोगों ने कहना शुरू किया की अब उनके राजनितिक करियर पर लगाम दी गई है. कपडा मंत्रालय जैसे लो प्रोफाइल काम में लगाकर स्मृति के पर कतर दिए गए हैं. स्मृति इन सब बातो पर चुप रही और 10 दिन के अंदर ये दिखा दिया कि जब जब उनके विरोधी आलोचनाओ का जाल बुनते हैं वो अपने अंदाज़ में पलटवार करती हैं. टीवी एक्ट्रेस से राजनेता बनी स्मृति कैमरा एक्शन ड्रामा को यकीनन बाकी नेताओ से बेहतर समझती हैं और इनका इस्तेमाल कब कहाँ करना हैं इस फॉर्मूले से कभी पीछे नहीं हटती. तभी तो कपडा मंत्रालय जैसे प्रभार को भी उन्होंने महीने भर के अंदर इतना प्रचारित कर दिया जो शायद अब तक नहीं हुआ था. इसे भी पढ़ें: क्यों बदला गया स्मृति इरानी का मंत्रालय? विरोधियों ने उनके डिमोशन की एक वजह उनके अहम और नकचढ़े वयवहार को बताया. शिक्षा मंत्री बनते ही स्मृती का अपने सेक्रेटरी से लेकर सांसदों तक के साथ ख़राब रवैया कई बार चर्चा में रहा. संसद में बहस के दौरान विपक्षी सांसदों ने भी इसे मुद्दा बनाया. कपडा मंत्री बनते ही इन स्टोरीज को स्मृति ने शायद सकारात्मक तरीके से लिया. असर साफ़ दिखने लगा. जो स्मृति पहले मीडिया और पार्टी कार्यकर्ताओ की पहुंच से बाहर रहती थी आज मीडिया से घंटो गप्पे लड़ाती हैं. कार्यकर्ताओं से बात करती हैं और अंदाज़ एक फ़िल्मी अदाकारा की तरह ऐसा होता है कि किसी को भी सोचने पर मजबूर कर दे की आखिर इतना बदलाव कैसे? आज स्मृति स्टारबक्स कैफ़े में आम आदमी की तरह लाइन में लगकर कॉफ़ी लेती हैं तो सोशल मीडिया पर उनके नए रूप की चर्चा शुरू हो जाती है. इसी सोशल मीडिया को स्मृति अपने लिए जमकर इस्तेमाल करने में भी लगी हैं.
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इसे भी पढ़ें: क्या यूपी में होगा प्रियंका गांधी और स्मृति ईरानी का महासंग्राम? स्मृति की इन्ही खूबियों ने उन्हें प्रधानमंत्री के करीबी मंत्रियों में से एक का दर्जा दिया है. पार्टी के एक इशारे पर राहुल गांधी और कपिल सिबल जैसे दिग्गजों को चुनौती देने वाली स्मृति आज भी पार्टी के लिए कितनी भरोसेमंद है ये बयां करने की ज़रूरत नहीं. पार्टी ने तमाम बड़े नेताओ को पीछे छोड़ते हुए स्मृति को सियाचिन में सैनिको के साथ राखी कार्यक्रम के लिए चुना गया. सियाचिन जहाँ अब तक सिर्फ प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के अलावा जाने वाली स्मृति ही पहली महिला मंत्री होगी. पार्टी के इस फैसले ने उनके विरोधियों के माथे पर बल ज़रूर ला दिया है. वाराणसी में जब हमने स्मृति से पूछा कि उन्हें ही हर चुनौती क्यों दी जाती है? मुस्कुराकर स्मृति ने सिर्फ इतना बोला कि महिषासुर मर्दिनी की तरह शत्रुओं का नाश महिला ही कर सकती है. ये जवाब शायद संकेत है उन सबके लिए जो सोचने लगे थे कि स्मृति का करियर फुल स्टॉप की तरफ बढ़ रहा है. आज स्मृति और कपड़ा मंत्रालय ना सिर्फ सुर्ख़ियो में है बल्कि खबरें सकारात्मक हैं जो शायद स्मृति के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है. इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |