बदलापुर इन दिनों जगह जगह उग आये हैं. ये सियासी बदले के लिए उगे कुकुरमुत्ते हैं. ये उन सूबों से ज्यादा फैलते नजर आ रहे हैं जहां इस साल के आखिर में चुनाव होने वाले हैं.
राहुल गांधी अमेठी पहुंचे हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में थे. अमेठी से पहले राहुल गांधी गुजरात गये थे. अब प्रधानमंत्री गुजरात जाने वाले हैं. राहुल के बाद अमित शाह और मोदी के कई मंत्री अमेठी जाने वाले हैं. ये सभी जहां कहीं भी पहुंच रहे हैं वहीं बदलापुर बन जा रहा है. चुनावों तक ये सिलसिला यूं ही चलते रहने वाला है.
गुजरात में राहुल गांधी पूरे वक्त प्रधानमंत्री मोदी को झूठा बताते देखे गये, हिमाचल प्रदेश पहुंचे मोदी ने पूरी कांग्रेस पार्टी को जमानत पर छूटे हुए लोग करार दिया.
अमेठी बना अखाड़ा
राहुल गांधी के ताजा अमेठी दौरे की अहमियत इसलिए नहीं बढ़ी कि पहुंचने के पहले ही विवाद खड़ा हो गया. दरअसल, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 10 अक्टूबर को स्मृति ईरानी और नितिन गडकरी के साथ अमेठी पहुंचने वाले हैं. राहुल के दौरे को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब स्थानीय प्रशासन द्वारा दौरे की तारीख आगे बढ़ाने की सलाह सामने आ गयी. प्रशासन ने इसके लिए त्योहारों में व्यस्तता की दुहाई दी थी. जब कांग्रेस ने इसे राहुल के डर से साजिश का आरोप लगाया तो प्रशासन को दूसरा पत्र लिख कर सफाई देनी पड़ी कि उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था.
सवाल ये है कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है? गुजरात और हिमाचल तो ठीक है, लेकिन अमेठी क्यों सियासत का बदलापुर बन रहा है. वो तो यूपी में है जहां इसी साल चुनाव हुए हैं.
ध्यान देने पर इसके कई कारण नजर आते हैं. कांग्रेस को डर है कि कहीं हिमाचल उसके हाथ ने निकल न जाये. गुजरात की मौजूदा हालत में मोदी को चुनौती देना कांग्रेस को माकूल लग रहा है. खासकर ऐसे दौर में जब मोदी बीजेपी के ही सीनियर नेताओं के निशाने पर हैं. पहले यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को गलत बताया. अब अरुण शौरी नोटबंदी को मनी...
बदलापुर इन दिनों जगह जगह उग आये हैं. ये सियासी बदले के लिए उगे कुकुरमुत्ते हैं. ये उन सूबों से ज्यादा फैलते नजर आ रहे हैं जहां इस साल के आखिर में चुनाव होने वाले हैं.
राहुल गांधी अमेठी पहुंचे हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में थे. अमेठी से पहले राहुल गांधी गुजरात गये थे. अब प्रधानमंत्री गुजरात जाने वाले हैं. राहुल के बाद अमित शाह और मोदी के कई मंत्री अमेठी जाने वाले हैं. ये सभी जहां कहीं भी पहुंच रहे हैं वहीं बदलापुर बन जा रहा है. चुनावों तक ये सिलसिला यूं ही चलते रहने वाला है.
गुजरात में राहुल गांधी पूरे वक्त प्रधानमंत्री मोदी को झूठा बताते देखे गये, हिमाचल प्रदेश पहुंचे मोदी ने पूरी कांग्रेस पार्टी को जमानत पर छूटे हुए लोग करार दिया.
अमेठी बना अखाड़ा
राहुल गांधी के ताजा अमेठी दौरे की अहमियत इसलिए नहीं बढ़ी कि पहुंचने के पहले ही विवाद खड़ा हो गया. दरअसल, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 10 अक्टूबर को स्मृति ईरानी और नितिन गडकरी के साथ अमेठी पहुंचने वाले हैं. राहुल के दौरे को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब स्थानीय प्रशासन द्वारा दौरे की तारीख आगे बढ़ाने की सलाह सामने आ गयी. प्रशासन ने इसके लिए त्योहारों में व्यस्तता की दुहाई दी थी. जब कांग्रेस ने इसे राहुल के डर से साजिश का आरोप लगाया तो प्रशासन को दूसरा पत्र लिख कर सफाई देनी पड़ी कि उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था.
सवाल ये है कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है? गुजरात और हिमाचल तो ठीक है, लेकिन अमेठी क्यों सियासत का बदलापुर बन रहा है. वो तो यूपी में है जहां इसी साल चुनाव हुए हैं.
ध्यान देने पर इसके कई कारण नजर आते हैं. कांग्रेस को डर है कि कहीं हिमाचल उसके हाथ ने निकल न जाये. गुजरात की मौजूदा हालत में मोदी को चुनौती देना कांग्रेस को माकूल लग रहा है. खासकर ऐसे दौर में जब मोदी बीजेपी के ही सीनियर नेताओं के निशाने पर हैं. पहले यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को गलत बताया. अब अरुण शौरी नोटबंदी को मनी लॉन्ड्रिंग जैसा बता रहे हैं जिसमें सरकार ने ही सबको काला धन सफेद करने की सुविधा दे डाली.
एक वजह राहुल गांधी की ताजपोशी भी है जिसकी हर नयी तारीख और नजदीक होती जा रही है. पहले नवंबर की बात हो रही थी. अब बताया जा रहा है कि ये अक्टूबर में भी हो सकता है. एक सवाल के जवाब में राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख सचिन पायलट ने बताया, "संगठनात्मक चुनाव कांग्रेस में चल रहे हैं. नये अध्यक्ष दिवाली के बाद जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. इसकी योजना काफी समय से चल रही है."
नये अध्यक्ष के तौर पर तो अभी एक ही नाम आता है - राहुल गांधी. ये राहुल गांधी की ताजपोशी ही है जिसके लिए सारे ताने बाने बुने गये हैं. अमेरिका से लेकर अमेठी तक. यही वजह है कि राहुल गांधी आक्रामक बने हुए हैं. हालांकि, ये राहुल की आक्रामकता का बदला हुआ रूप है जिसमें वो चुन चुन कर चोट कर रहे हैं. बीते चुनावों में देखा गया है कि बीजेपी नेता राहुल गांधी को घेर लिया करते थे और बाद में राहुल गांधी उसके जवाब दिया करते रहे. बाद के दिनों में जब राहुल गांधी पीएम मोदी को टारगेट करते तो बीजेपी नेताओं की फौज आगे आकर मोर्चा लेती. अभी तो लगता है राहुल गांधी मिसाइल दाग रहे हैं और टीम मोदी जवाबी मिसाइल छोड़ने को मजबूर हो रही है.
अमेठी के ऐन पहले हिमाचल का बिलासपुर बना बदलापुर, जहां पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस नेताओं को जमानत पर छूटे हुए लोग बताया.
जमानत पर छूटे हुए लोग!
गुजरात दौरे पर राहुल गांधी जहां कहीं भी जा रहे थे एक बात जरूर बोलते, "लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है. मोदी जी ने एक के बाद एक इतने झूठ बोले कि विकास पागल हो गया." असल में गुजरात में कांग्रेस का सोशल मीडिया कैंपेन चल रहा था - विकास पागल हो गया है. राहुल गांधी उसी बात को अपने तरीके से आगे बढ़ा रहे थे. बाद में बीजेपी कांग्रेस कैंपेन की काट भी खोज ली.
लुहनूं में एम्स के नींव की ईंट रखने के बाद रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने सीधे सीधे टारगेट तो किया मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को लेकिन फौरन ही कांग्रेस आलाकमान को भी लपेट लिया. मोदी ने वीरभद्र सरकार को जमानती सरकार करार दिया जिसको लेकर एक किस्सा भी सुनाया.
प्रधानमंत्री ने बताया कि जब कांग्रेस के कुछ लोग उनसे मिलने आते तो उन्होंने पूछा कि हिमाचल के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर हैं, वे उन्हें बदलते क्यों नहीं? मोदी ने बताया कि किस तरह कांग्रेस के लोगों ने उनके सवाल पर ही सवाल कर अपनी पीड़ा बता डाली. मोदी से उन लोगों ने कहा - कैसे बदलें? पूरी पार्टी जमानत पर है. भला कौन बदलेगा. हमारी अध्यक्ष नेशनल हेराल्ड केस में जमानत पर हैं. युवराज भी उसी मामले में जमानत पर हैं. पार्टी जमानत पर है, सरकार जमानत पर है. सब तो जमानत पर ही हैं.
ये किस्सा सुनाने के बाद मोदी ने लोगों से पूछा कि कब तक इस जमानती सरकार को झेलते रहेंगे? इस जमानती सरकार को जमानत देंगे भी या नहीं.
जाहिर है अमेठी से भी राहुल कुछ सियासी मिसाइल छोड़ेंगे ही और फिर जब शाह और उनके साथी इलाके में पहुंचेंगे तो जवाबी हमले करेंगे. इसे मोदी को मोदी के ही दांव से मात देने के कोशिश भी कह सकते हैं और मैदान-ए-जंग के एहतियाती उपाय भी.
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