योगी आदित्यनाथ को देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की कमान संभालते हुए 2 महीने से ऊपर हो गए हैं. उनकी सरकार आजकल कानून-व्यवस्था के मसले को लेकर विपक्ष के निशाने पर है. आए दिन लूट, डकैती, मर्डर, रेप आदि की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. इन सब के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार 31 मई को अयोध्या जाएंगे. वो 31 मई की सुबह लखनऊ से हेलिकॉप्टर के जरिए फैजाबाद रवाना होंगे. वे फैजाबाद-अयोध्या डिविजन में विकास कार्य की समीक्षा के साथ-साथ महंत नृत्य गोपाल दास के जन्मोत्सव में भी हिस्सा लेंगे. खबरों की मानें तो योगी हनुमानगढ़ी जाएंगे और राम मंदिर में पूजा भी करेंगे.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार के गठन के बाद ही योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने में अपनी सहमति जताई थी. यूपी में सरकार बनने के बाद से केंद्र का अयोध्या पर ध्यान बढ़ गया है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही अयोध्या के लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं. उन्हें अब ये लग रहा है की राम जन्मभूमि में मंदिर बनने का कोई रास्ता जरूर निकल आएगा. केंद्र में मोदी, यूपी में योगी, अयोध्या के लोगों का कहना है कि मंदिर बनने का इससे अच्छा योग और कोई नहीं हो सकता.
कट्टर हिंदूवादी छवि के लिए पहचाने जाने वाले योगी आदित्यनाथ साल 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री होंगे जो अयोध्या में रामलला मंदिर जाएंगे. 2002 में उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने इस विवादित ढांचे का दौरा किया था. योगी आदित्यनाथ का अयोध्या जाने का मकसद बिलकुल साफ है. बीजेपी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कहे या न कहे, वो जानती है कि राममंदिर का मुद्दा उनके राजनीतिक ग्राफ को बढ़ाने के लिए एक...
योगी आदित्यनाथ को देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की कमान संभालते हुए 2 महीने से ऊपर हो गए हैं. उनकी सरकार आजकल कानून-व्यवस्था के मसले को लेकर विपक्ष के निशाने पर है. आए दिन लूट, डकैती, मर्डर, रेप आदि की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. इन सब के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार 31 मई को अयोध्या जाएंगे. वो 31 मई की सुबह लखनऊ से हेलिकॉप्टर के जरिए फैजाबाद रवाना होंगे. वे फैजाबाद-अयोध्या डिविजन में विकास कार्य की समीक्षा के साथ-साथ महंत नृत्य गोपाल दास के जन्मोत्सव में भी हिस्सा लेंगे. खबरों की मानें तो योगी हनुमानगढ़ी जाएंगे और राम मंदिर में पूजा भी करेंगे.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार के गठन के बाद ही योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने में अपनी सहमति जताई थी. यूपी में सरकार बनने के बाद से केंद्र का अयोध्या पर ध्यान बढ़ गया है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही अयोध्या के लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं. उन्हें अब ये लग रहा है की राम जन्मभूमि में मंदिर बनने का कोई रास्ता जरूर निकल आएगा. केंद्र में मोदी, यूपी में योगी, अयोध्या के लोगों का कहना है कि मंदिर बनने का इससे अच्छा योग और कोई नहीं हो सकता.
कट्टर हिंदूवादी छवि के लिए पहचाने जाने वाले योगी आदित्यनाथ साल 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री होंगे जो अयोध्या में रामलला मंदिर जाएंगे. 2002 में उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने इस विवादित ढांचे का दौरा किया था. योगी आदित्यनाथ का अयोध्या जाने का मकसद बिलकुल साफ है. बीजेपी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कहे या न कहे, वो जानती है कि राममंदिर का मुद्दा उनके राजनीतिक ग्राफ को बढ़ाने के लिए एक उपयुक्त सीढ़ी है.
केंद्र सरकार अयोध्या का कायाकल्प करने के लिए कई योजनाएं बना रही है. पर्यटन के लिए सबसे उत्तम नगर बनाने के प्लान के तहत मोदी सरकार ने अयोध्या का नाम उन दस शहरों की लिस्ट में शामिल किया है जहां पर्यटकों को लुभाने के लिए फाइव स्टार होटल, हाईटेक रेलवे स्टेशन, आधुनिक परिसर, बेहतर रोड, इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. मोदी सरकार इससे पहले भी अयोध्या के लिए कई प्रोजेक्ट लागू कर चुकी है, जिसमें रामायण सर्किट से लेकर रामायण म्यूजियम तक शामिल हैं. अखिलेश सरकार में जो रामलीला फण्ड की कमी के कारण बंद कर दी गयी थी उसे योगी सरकार ने फिर से चालू करवा दिया है. कुछ दिन पहले ये भी खबर आ रही थी कि बीजेपी और संघ के कुछ बड़े नेता ये चाहते हैं कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव लड़ें और विधानसभा जाएं. इसके पीछे उनका तर्क ये था कि लोगो में बीजेपी की हिंदूवादी छवि का सन्देश जाएगा और राममंदिर बनाने में सहमति और बल मिलेगा.
अयोध्या विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और उसकी सुनवाई चल रही है. विभिन्न हिन्दू संगठन जिसमें विश्व हिन्दू संगठन (विहिप) भी है, लगातार अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिए दबाव डाल रहे हैं. ऐसे में योगी आदित्यनाथ का दौरा राम मंदिर के मुद्दे को फिर से उभार सकता है. 2019 में लोक सभा चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी शायद यही चाहती है कि तब तक यह विषय जवलंत रहे और इसका फायदा उसे मिल सके.
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