उत्तर प्रदेश का चुनाव अपने अंतिम दौर में है. आठ तारीख को अंतिम एवं सातवें दौर का मतदान होगा. हर पार्टी अपने जीतने का दावा कर रही है. सत्ता के तीनों ही प्रमुख दावेदार कह रहे हैं कि उनको लगभग तीन सौ सीट मिलने जा रही हैं. अगर बसपा या सपा - कांग्रेस गठबंधन चुनाव जीतता है तो मुख्यमंत्री कौन होगा इस विषय पर कोई विवाद नहीं है. बसपा की मुख्यमंत्री बहन मायावती हैं तो गठबंधन में ये पद अखिलेश यादव के लिए सुरक्षित है. अगर कोई संशय है तो वो केवल भाजपा में है.
भाजपा में जिन लोगों का नाम मुख्यमंत्री के रूप में चल रहा है उन में प्रमुख हैं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ, लखनऊ के मेयर एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती. इस सूची में गाहे बगाहे दो और केंद्रीय मंत्रियों के नाम जोड़े जाते हैं वो हैं मनोज सिन्हा एवं महेश शर्मा. इस दौड़ में में केशव प्रसाद मौर्य औरों से आग दिख रहे हैं.
प्रधानमंत्री एवं भाजपा अध्यक्ष की पसंद...
जिस प्रकार से अनुभवी एवं कद्दावर नेताओं को दरकिनार करके केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया एवं जैसे वो पार्टी के पूरे चुनाव प्रचार के प्रबंधन एवं प्रचार में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया उससे तो यही लगता है को वो नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह के पहले पसंद हैं.
विधायकों की पसंद...
चूंकी वो प्रदेश अध्यक्ष हैं तो लाजिमी रूप से टिकट बटवारे में उन्होंने अपने नजदीकी लोगों को प्राथमिकता दी होगी. मतलब यह...
उत्तर प्रदेश का चुनाव अपने अंतिम दौर में है. आठ तारीख को अंतिम एवं सातवें दौर का मतदान होगा. हर पार्टी अपने जीतने का दावा कर रही है. सत्ता के तीनों ही प्रमुख दावेदार कह रहे हैं कि उनको लगभग तीन सौ सीट मिलने जा रही हैं. अगर बसपा या सपा - कांग्रेस गठबंधन चुनाव जीतता है तो मुख्यमंत्री कौन होगा इस विषय पर कोई विवाद नहीं है. बसपा की मुख्यमंत्री बहन मायावती हैं तो गठबंधन में ये पद अखिलेश यादव के लिए सुरक्षित है. अगर कोई संशय है तो वो केवल भाजपा में है.
भाजपा में जिन लोगों का नाम मुख्यमंत्री के रूप में चल रहा है उन में प्रमुख हैं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ, लखनऊ के मेयर एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती. इस सूची में गाहे बगाहे दो और केंद्रीय मंत्रियों के नाम जोड़े जाते हैं वो हैं मनोज सिन्हा एवं महेश शर्मा. इस दौड़ में में केशव प्रसाद मौर्य औरों से आग दिख रहे हैं.
प्रधानमंत्री एवं भाजपा अध्यक्ष की पसंद...
जिस प्रकार से अनुभवी एवं कद्दावर नेताओं को दरकिनार करके केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया एवं जैसे वो पार्टी के पूरे चुनाव प्रचार के प्रबंधन एवं प्रचार में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया उससे तो यही लगता है को वो नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह के पहले पसंद हैं.
विधायकों की पसंद...
चूंकी वो प्रदेश अध्यक्ष हैं तो लाजिमी रूप से टिकट बटवारे में उन्होंने अपने नजदीकी लोगों को प्राथमिकता दी होगी. मतलब यह कि जो लोग चुन के आएंगे उनमे से भी अधिकतर के मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसंद वही होंगे.
संघ की पसंद...
वो लंबे समय से संघ परिवार से जुड़े रहे हैं एवं राम मंदिर आंदोलन में भी भाग लिया है. स्वाभाविक रूप से संघ के नेताओं का उनसे लगाव है. इस नाते भी मौर्य को दूसरे सीएम उम्मीदवारों के मुकाबला ज्यादा मजबूत माना जा रहा है.
जातिगत समीकरण भाजपा के साथ ऊँची जाती के लोगों का समर्थन तो है पर इस चुनाव में इसका मुख्य रूप से फोकस गैर यादव ओबीसी वोटों पर था. केशव प्रसाद मौर्य कुशवाहा कोइरी समाज के हैं एवं इस जाति समूह में मौर्य, कुशवाहा, सैनी, शाक्य, काछी और मुराव जातियां आती हैं. इनकी कुल जनसंख्या करीब 8% है. अगर भाजपा अपने गैर यादव ओबीसी एवं अगड़ी जाती वाले कल्याण सिंह के पुराण सामाजिक समीकरण फिर से स्थापिक करना चाहते हैं एवं इसको मजबूत करना चाहते हैं तो उसके लिए केशव प्रसाद मौर्या सबसे उपयुक्त चेहरा होंगे.
उम्र भी उनके साथ....
महाराष्ट्र एवं असम में नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह के मुख्यमंत्री के रूप में पहले पसंद युवा देवेंद्र फड़णविस और सर्बानन्द सोणोवाल ही थे. इस मानक पर भी केशव मौर्या अपने प्रतिद्वंदियों से आगे दिख रहे हैं.
पर अगर केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री बनते हैं तो उनको लोक सभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ेगा. भाजपा को वो सीट फिर से जितने की चुनौती का सामना करना होगा. केशव प्रसाद मौर्य खुद के एफिडेविट में अपने खिलाफ दर्ज केसों का जिक्र किया है. इनमे मर्डर, लूट, चीटिंग, फोर्जरी से लेकर सरकारी संपत्ति को हानि पहुंचने तक के मामले हैं. अगर मौर्य मुख्यमंत्री बनेंगे तो विरोधी इन मामलों को जोर-शोर से उठांएगे. भाजपा को इन आरोपों का सामना करने की भी चुनौती होगी. पर इन चुनौतियों को दरकिनार करते हुए अगर भाजपा उनको मुख्यमंत्री बनाती है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा.
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