2014 में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनकर भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार सत्ता में आई थी. चुनाव के समय नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार के 2 जी स्पेक्ट्रम, कोयला आवंटन और सीडब्ल्यूजी घोटालों कथित घोटलों की आलोचना करते हुए कहा था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो भारत को घोटाले से मुक्त कर देगी.
भ्रष्टाचार विरोधी वैश्विक नागरिक सामजिक संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (टीआई) की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, ये तो स्पष्ट हो गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार के प्रयासों को लोगों का समर्थन मिला है. हालांकि, 'पीपल एंड करप्शन: एशिया पैसिफिक-ग्लोबल भ्रष्टाचार बैरोमीटर' रिपोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि भारत एशिया में सबसे भ्रष्ट देश है और यह भी अनुमान लगाया था कि भारत के लोग सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में आशावादी हैं.
टीआई की रिपोर्ट जुलाई 2015 और जनवरी 2017 के बीच एशिया महाद्वीप के 16 देशों, क्षेत्रों और क्षेत्रों में 21, 861 लोगों से बात की और भ्रष्टाचार के उनके अनुभवों पर आधारित हैं. रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि 16 सर्वेक्षण वाली जगहों में करीब 90 करोड़ लोगो ने शिक्षा या स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी सेवाओं का उपयोग करने की कोशिश में रिश्वत दी थी.
पूरे एशिया में, देशों के बीच रिश्वतखोरी की दरें में काफी फर्क है. जहां एक ओर जापान में 0.2 फीसदी तो दूसरी ओर भारत में 69 फीसदी तक है.
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि "अन्य देशों के परिणाम में सकारात्मक, औसत दर्जे और नकारात्मक रेटिंग की एक मिश्रित तस्वीर दिखाती हैं, जो इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार के विभिन्न चुनौतियों की विभिन्न प्रकृति को दर्शाता हैं.
'इनमें से कुछ देशों में, भारत की तरह, रिश्वत दर बहुत अधिक थी, लेकिन भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में नागरिक सकारात्मक थे और स्पष्ट बहुमत यह मानते था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है. इसके विपरीत, दक्षिण कोरिया में रिश्वतखोरी की दर बहुत कम...
2014 में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनकर भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार सत्ता में आई थी. चुनाव के समय नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार के 2 जी स्पेक्ट्रम, कोयला आवंटन और सीडब्ल्यूजी घोटालों कथित घोटलों की आलोचना करते हुए कहा था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो भारत को घोटाले से मुक्त कर देगी.
भ्रष्टाचार विरोधी वैश्विक नागरिक सामजिक संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (टीआई) की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, ये तो स्पष्ट हो गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार के प्रयासों को लोगों का समर्थन मिला है. हालांकि, 'पीपल एंड करप्शन: एशिया पैसिफिक-ग्लोबल भ्रष्टाचार बैरोमीटर' रिपोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि भारत एशिया में सबसे भ्रष्ट देश है और यह भी अनुमान लगाया था कि भारत के लोग सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में आशावादी हैं.
टीआई की रिपोर्ट जुलाई 2015 और जनवरी 2017 के बीच एशिया महाद्वीप के 16 देशों, क्षेत्रों और क्षेत्रों में 21, 861 लोगों से बात की और भ्रष्टाचार के उनके अनुभवों पर आधारित हैं. रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि 16 सर्वेक्षण वाली जगहों में करीब 90 करोड़ लोगो ने शिक्षा या स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी सेवाओं का उपयोग करने की कोशिश में रिश्वत दी थी.
पूरे एशिया में, देशों के बीच रिश्वतखोरी की दरें में काफी फर्क है. जहां एक ओर जापान में 0.2 फीसदी तो दूसरी ओर भारत में 69 फीसदी तक है.
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि "अन्य देशों के परिणाम में सकारात्मक, औसत दर्जे और नकारात्मक रेटिंग की एक मिश्रित तस्वीर दिखाती हैं, जो इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार के विभिन्न चुनौतियों की विभिन्न प्रकृति को दर्शाता हैं.
'इनमें से कुछ देशों में, भारत की तरह, रिश्वत दर बहुत अधिक थी, लेकिन भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में नागरिक सकारात्मक थे और स्पष्ट बहुमत यह मानते था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है. इसके विपरीत, दक्षिण कोरिया में रिश्वतखोरी की दर बहुत कम थी, लेकिन लोग भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सरकार के प्रयासों के प्रति गंभीर थे.'
भारत में सर्वेक्षण फेस टू फेस कार्यप्रणाली द्वारा किये गए थे. यह सर्वेक्षण 1 मार्च से 11 अप्रैल, 2016 के बीच 2,802 लोगों के नमूनों पर आधारित था.
सर्वेक्षण को इस प्रकार सेक्शनों में बांटा गया.
1. कुछ लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार अपने पतन की ओर है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच लोगों में से एक सोचता था कि भ्रष्टाचार के स्तर में हाल ही में कमी आई है, जबकि पांच में से 2 सोचते थे कि भ्रष्टाचार का स्तर बढ़ गया है और पांचवा सोचता था कि भ्रष्टाचार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. "चीन के लोगों का मनाना था कि हाल ही में भ्रष्टाचार के स्तर बढ़ने की संभावना है - लगभग तीन चौथाई लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार बढ़ गया है. यह थाईलैंड में केवल 14 प्रतिशत मनाते है कि भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है"
भारत में, सर्वेक्षण के दौरान 41% लोगों ने सोचते थे कि भ्रष्टाचार का स्तर बढ़ गया है. दूसरी ओर, ऐसे लोगों का प्रतिशत चीन में 73, इंडोनेशिया में 65, मलेशिया में 59, वियतनाम में 56, दक्षिण कोरिया में 50 और हांगकांग में 46 था.
2. सरकार के काम को लेकर लोगों के मत बंटे हुए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, आधे लोगों ने कहा था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने में काफी खराब काम कर रही है, जबकि पांच में से दो लोगों ने कहा कि सरकार एक अच्छा काम कर रही हैं. 'भारत, इंडोनेशिया और थाईलैंड में लोग अपनी सरकारों के प्रयासों के बारे में ज्यादा सकारात्मक थे, आधे से ज्यादा लोगो ने कहा कि सरकार अच्छा काम कर रही है. इसके विपरीत दक्षिण कोरिया के तीन चौथाई से ज्यादा लोगों सरकार से निराश दिखे, उनका मानना था कि सरकार भ्रष्टाचार के मामले में फेल रही है.'
भारत में, सर्वेक्षण में शामिल अधिकंश लोग (53 प्रतिशत) सरकार के प्रयासों से खुश थे, जबकि 35 प्रतिशत का अलग मत था.
आगे रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण कोरिया के लोग का मानना था कि सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जरा भी सचेंत नही है. लगभग 75 प्रतिशत लोगो ने सरकार के प्रति रोष व्यक्त किया.इसके विपरीत, भारत, इंडोनेशिया, श्रीलंका और थाईलैंड में रहने वाले आधा या ज्यादा लोगों ने कहा कि उनकी सरकार एक अच्छा काम कर रही है. 49 प्रतिशत से 72 प्रतिशत तक).
3. 16 जगह पर किये गये सर्वेक्षण में 90 करोड़ लोगो ने माना सार्वजनिक सेवा का उपयोग करते हुए, उन्होंने रिश्वत दी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण में सभी देशों की तुलना में भारत में सबसे ज्यादा रिश्वत दर थी, भारत में लगभग 10 में 7 लोगो को सार्वजनिक सेवा का उपयोग करने के लिए रिश्वत देनी पड़ी थी. जापान में सबसे कम रिश्वतखोरी की दर थी, जिसमें 0.2 प्रतिशत लोगो ने रिश्वत दी थी.
रिपोर्ट में लोगों को यह पूछा गया कि क्या वे पिछले 12 महीनों के दौरान किन छह प्रमुख सार्वजनिक सेवाओं के संपर्क में आए थे- पब्लिक स्कूल, सार्वजनिक क्लीनिक या अस्पताल, सरकारी दस्तावेज, उपयोगिता सेवाएं, पुलिस और अदालतों. सर्वे में जिन 16 जगहों के लोगों ने संपर्क किया गया. वहां चार में से एक (28 प्रतिशत) ने माना कि पिछले पिछले 12 महीनों में सार्वजनिक सेवा (28 प्रतिशत) का इस्तेमाल करते हुए, उन्होंने रिश्वत दी थी. यह सर्वे 16 जगहों के 90 करोड़ लोगो पर आधारित है, जिसमें प्रत्येक देश / क्षेत्र और उसके वयस्क आबादी आकार भी शामिल है.
हर देश में रिश्वत की दर अलग- अलग थी. भारत में रिश्वत दर सबसे ज्यादा थी, जहां 10 में से 7 लोग इसके शिकार थे. इसके बाद वियतनाम का नंबर था, जिसमें 65 प्रतिशत ने रिश्वत दी थी.
4. पुलिस को सबसे ज्यादा भ्रष्ट माना गया.
टीआई रिपोर्ट ने कहा कि पूरे क्षेत्र में, पांच में से दो लोगों ने कहा कि उन्होंने सोचा था कि ज्यादातर या सभी पुलिस अधिकारी भ्रष्ट थे, जो कि किसी भी डिपार्टमेंट से अधिक था. इसके अलावा, पिछले 12 महीनों में एक तिहाई लोगों ने पुलिस अधिकारी को रिश्वत दी थी, जो कि किसी भी डिपार्टमेंट की तुलना में सबसे अधिक थी.यह भी कहा गया कि पाकिस्तान में कानून और व्यवस्था संस्थान में रिश्वत का स्तर सबसे ज्यादा है. तकरीबन 75 प्रतिशत और 68 प्रतिशत लोगो ने लिए या अदालतों में रिश्वत दी हैं.सर्वेक्षण में सभी देशों के मुकाबले वियतनाम और भारत में सार्वजनिक स्कूलों (57 और 58 प्रतिशत) और स्वास्थ्य देखभाल (59 प्रतिशत दोनों) में रिश्वत की दर सबसे अधिक थी, लोग ने बताया कि बुनियादी सेवाओं तक पहुंचने की कोशिश में गंभीर भ्रष्टाचार के जोखिम होता है.
5. 'स्टैंडिंग अप' और 'स्पैकिंग आउट' को भ्रष्टाचार से लड़ने के सबसे अच्छा तरीका माना गया है.
जब टीआई ने नागरिकों को भ्रष्टाचार से लड़ने में मदद करने के लिए सबसे कारगार तरीका बताने के लिए कहा, तो लोगों ने भ्रष्टाचार से खिलाफ एकमत खड़ा होने को सबसे करागार उपाय बताया. लेकिन पांच में से एक ने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ने में असक्ष्म है.
6. लेकिन कुछ लोगों ने बताया भ्रष्टाचार की खड़े होने से डरते है.
इस विषय पर, टीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण में केवल 7 प्रतिशत लोगो ने रिश्वत की मांग होने पर, उसकी शिकायत अधिकारियों से की थी. उन्होंने कहा," भ्रष्टाचार के खिलाफ न खड़ा होने का कारण सबसे बड़े कारणों था कि लोग परिणामों से डरते थे.
7. मलेशिया और वियतनाम को सबसे गंभीर भ्रष्टाचार समस्याएं झूझते पाया गया.
सर्वेक्षण में शामिल विभिन्न भ्रष्टाचार के मुद्दों पर, रिपोर्ट में कहा गया है कि मलेशिया और वियतनाम के नागरिक सर्वेक्षण में पांच मुख्य प्रश्नों के उत्तर में सबसे नकारात्मक पाए गये. ऑस्ट्रेलिया में लोग सबसे ज्यादा सकारात्मक थे.
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