मोदी सरकार के तीन साल पूरे हो गए. संघ परिवार और उनके अनुयायियों के उत्साह और रोमांच को देखते हुए लगता है कि आधिकारिक तौर पर (हालांकि संवैधानिक मान्यता अभी तक नहीं मिली है) हम अब एक हिंदू / हिंदुत्व राष्ट्र में रह रहे हैं.
आपको बताते हैं वो छह स्पष्ट कारण जिससे साबित हो जाएगा कि आखिर हम हिंदुत्व राष्ट्र में क्यों जी रहे हैं. साथ ही अब खुद को बेवकूफ बनाना बंद करने का वक्त आ गया है:
हिंदुओं का सशस्त्रीकरण
हिंदुत्व राष्ट्र के जनक वीर सावरकर ने कहा था कि हिंदू एक नस्ल हैं. 'जब आर्यों ने भारत में अपना घर बनाया था और सिंधु नदी के किनारे जब पहली बलि चढ़ाई...' हिंदू युवकों का आह्वान करते हुए कहा 'हिंदुओं को सेना बनाएं, हिंदुओं का राष्ट्र बनाएं.'
फिर इसमें क्या आश्चर्य होना चाहिए अगर वीर सावरकर के वैचारिक वारिस, आरएसएस, भाजपा और उनके बहुत से हिंदुत्व संगठनों ने वीरता, बहादुरी, साहस और अन्य सैन्य छवियों को आत्मसात करने के लिए अभियान चलाया है?
हिंदुत्व के दर्शन के अनुसार सेना और सुरक्षा बल कभी कुछ भी गलत नहीं कर सकते. खासकर के तब जब वो देश के दुश्मनों को मार रहे हों. अब वो दुश्मन चाहे देश के अंदर के हों या फिर बाहर के. और जो भी देश के वीर जवानों को मिलने वाले अधिकारों को चुनौती देता है वो धोखेबाज, देशद्रोही और अपराधी है.
इसका सबसे ताजा उदाहरण सेना द्वारा मेजर लेतूल गोगोई को आर्मी चीफ के द्वारा पुरस्कृत करने का विवादास्पद मुद्दा है. मेजर लेतूल ने कश्मीर के एक गांव में जहां मतदान हो रहा था वहां से अपने सहयोगियों को निकालने के लिए एक आदमी को शील्ड की तरह इस्तेमाल किया था.
हैरानी की बात ये है कि मेजर को ये पुरस्कार तब दिए गए जब सेना की अदालत इस...
मोदी सरकार के तीन साल पूरे हो गए. संघ परिवार और उनके अनुयायियों के उत्साह और रोमांच को देखते हुए लगता है कि आधिकारिक तौर पर (हालांकि संवैधानिक मान्यता अभी तक नहीं मिली है) हम अब एक हिंदू / हिंदुत्व राष्ट्र में रह रहे हैं.
आपको बताते हैं वो छह स्पष्ट कारण जिससे साबित हो जाएगा कि आखिर हम हिंदुत्व राष्ट्र में क्यों जी रहे हैं. साथ ही अब खुद को बेवकूफ बनाना बंद करने का वक्त आ गया है:
हिंदुओं का सशस्त्रीकरण
हिंदुत्व राष्ट्र के जनक वीर सावरकर ने कहा था कि हिंदू एक नस्ल हैं. 'जब आर्यों ने भारत में अपना घर बनाया था और सिंधु नदी के किनारे जब पहली बलि चढ़ाई...' हिंदू युवकों का आह्वान करते हुए कहा 'हिंदुओं को सेना बनाएं, हिंदुओं का राष्ट्र बनाएं.'
फिर इसमें क्या आश्चर्य होना चाहिए अगर वीर सावरकर के वैचारिक वारिस, आरएसएस, भाजपा और उनके बहुत से हिंदुत्व संगठनों ने वीरता, बहादुरी, साहस और अन्य सैन्य छवियों को आत्मसात करने के लिए अभियान चलाया है?
हिंदुत्व के दर्शन के अनुसार सेना और सुरक्षा बल कभी कुछ भी गलत नहीं कर सकते. खासकर के तब जब वो देश के दुश्मनों को मार रहे हों. अब वो दुश्मन चाहे देश के अंदर के हों या फिर बाहर के. और जो भी देश के वीर जवानों को मिलने वाले अधिकारों को चुनौती देता है वो धोखेबाज, देशद्रोही और अपराधी है.
इसका सबसे ताजा उदाहरण सेना द्वारा मेजर लेतूल गोगोई को आर्मी चीफ के द्वारा पुरस्कृत करने का विवादास्पद मुद्दा है. मेजर लेतूल ने कश्मीर के एक गांव में जहां मतदान हो रहा था वहां से अपने सहयोगियों को निकालने के लिए एक आदमी को शील्ड की तरह इस्तेमाल किया था.
हैरानी की बात ये है कि मेजर को ये पुरस्कार तब दिए गए जब सेना की अदालत इस घटना की जांच चल ही रही है.
परंपरा और रूढ़िवाद की सिद्धांत
हिंदू परंपराएं रूढ़िवादी नहीं हैं. लेकिन हिंदुत्व की प्रवीणता और पवित्रता, एक छिपी हुई रूढ़िवाद को मानती है जो भारतीय समरूपता और बहुलवाद के लिए भयावह है.
हिंदुत्व नैतिक ब्रह्मांड में, पुरुष- मजबूत, प्रभावशाली, मर्द होते हैं. जिनकी छाती 56 इंच की होती है और महिलाएं प्रफुल्लित, निडर और विनम्र होती हैं. और अगर गलती से आप इस सच्चाई को भूल जाते हैं, तो हिंदु युवा वाहिनी, राम सेना, बजरंग दल, वीएचपी और सैकड़ों हिंदु समूह हैं ना. जो हिंदुत्व धर्म को खतरा पैदा करने वाले लोगों को मारता है, कूटता है और यहां तक हत्या तक कर देता है. इनका साथ देने के लिए एंटी-रोमियो स्कवायड, बैन लव जिहाद, गाय का मांस, गाय की हत्या बंद कराने वाली सेनाओं की टुकड़ी तैयार होती है जिसे सरकार, कानून और पुलिस का पूरा समर्थन प्राप्त होता है.
और फिर सोने पर सुहागा करने के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बैठे हैं जो आपको याद दिलाते हैं कि एक महिला का कर्तव्य केवल उसके पति के लिए होता है. शादी के नियमों के अनुसार हर औरत अपने पति की देखभाल करने के लिए बाध्य है, और अगर वह अपना दायित्व पूरा नहीं करती तो फिर पति अपनी पत्नी को छोड़ने के लिए स्वतंत्र है. भागवत का कहना है कि बलात्कार जैसी यौन हिंसा पश्चिमी अवधारणा है क्योंकि यह शहरी क्षेत्रों में ही होता है हमारे यहां के गांवों में नहीं.
सुपर शिशुओं
अब जबकि भागवत साहब ने विशुद्ध पत्नी के गुणों और कर्तव्यों को रेखांकित कर ही दिया है तो भला क्या बच्चे पीछे रह सकते हैं? और फूटी किस्मत के कारण अगर एक गोरे, सुंदर हिंदू आदमी की शादी काली-कलूटी औरत से हो गई तो फिर आखिर उसे गोरे और लंबे हाइट वाले बच्चे कैसे होंगे?
अगर आपके साथ ऐसी ही दुर्घटना घट चुकी है तो बिल्कुल चिंता न करें. इसका सरल सा जवाब है आरएसएस की 'आरोग्य भारती'. इनका कहना है कि इनके पास सुसंतान पैदा कराने का सीक्रेट प्राकृतिक तरीका है.
ये सुपर बेबी लम्बा, गोरा, बहादुर, रचनात्मक और अधिकतर बच्चों की तुलना में कम जिद्दी होगा. हालांकि इस सुपर बेबी को धारण करने का अपना एक तरीका है और इस प्रोजेक्ट को गुजरात में शुरू भी कर दिया गया है. यहां वे पहले से ही 450 "उत्कृष्ट संतान" बना चुके हैं. 2020 तक सभी राज्यों में इसका एक-एक केन्द्र होगा.
अपने अतीत में खोए रहना
हम सबने अपनी प्राचीन सभ्यता की गाथाओं को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से सुन रखा है और उस सदमे को बर्दाश्त करके बच भी गए हैं. आखिरकार वे अपने धर्मनिरपेक्ष आरएसएस के पुराने स्वयंसेवक हैं. उन्होंने जनता को बताया कि कैसे आनुवंशिक विज्ञान और सरोगेसी महाभारत के समय में भी अस्तित्व में थे. भगवान गणेश प्लास्टिक सर्जरी का परिणाम हैं; लेकिन संघ का स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रमों को बदलने का कार्यक्रम सालों तक रहने वाला है और हमारी आत्मा को रूलाने वाला है.
भड़काऊ राष्ट्रवाद
नहीं, आपने ब्लॉकबस्टर बाहुबली 2 के सेट पर ठोकर नहीं खाई है. लेकिन देश के कई हिस्सों अब तिलक और ताराजू के हिंदुत्व योद्धाओं के समान दिख रहे हैं. ये सभी भारत माता की जय और वंदे मातरम् चिल्लाते हैं साथ ही मुगलों से बदला लेने की कसमें खाते हैं.
ये और बात है कि इन हमलों का शिकार गरीब और असहाय मुस्लिम, दलित और आदिवासी ही होते हैं. इन लोगों को हिंदू नैतिक मूल्यों को स्वीकार करनेत, धर्म और शुद्धता को आत्मसात करने, "चैतन्य" हिंदुत्व चेतना को जागृत करने और हिंदुत्व के गौरव को पुनः प्राप्त करने के लिए मारा जाता हैं.
ताकतवर राज्य
क्या? क्या कहा आपने? क्या आपने कहा कि यह एक संसदीय लोकतंत्र है, जहां लोकतांत्रिक विधायिका प्रक्रिया का बोलबाला है? तो सुनिए. लोकसभा में एक बहुमत होने के बावजूद मोदी सरकार, राज्य सभा में अल्पमत में है. फिर भी मोदी सरकार ने अध्यादेश के जरिए लगभग दो दर्जन बदलाव कर दिए हैं. चाहे मई 2014 में अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में ट्राई अधिनियम में संशोधन से लेकर नृपेंद्र मिश्र को अपने प्रमुख सचिव का पद संभालने के लिए अनुमति देने की बात हो या फिर 2013 की भूमि अधिग्रहण कानून में तीन बार संशोधन करना (कानून 164 दिनों के लिए सक्रिय था). हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे धोखाधड़ी कहा और राष्ट्रपति को चिंताजनक टिप्पणी करने के लिए मजबूर किया गया.
( Dailyo.in से साभार )
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