ऐसा पहली बार हो रहा है जब संयुक्त राष्ट्र में अंबेडकर जयंती मनाई जा रही है. सुरक्षा परिषद में एंट्री को लेकर बाधाएं भले ही अपार हों, लेकिन योग के बाद अंबेडकर की जयंती पर यूएन में कार्यक्रम निश्चित रूप से ब्रांड इंडिया के लिए बड़ी उपलब्धि है - ये बात अलग है कि योग को मिली मान्यता से उसकी तुलना नहीं हो सकती.
महू में महाभारत
14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंबेडकर की जन्मस्थली मध्य प्रदेश के महू में रैली करने वाले हैं. प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर एक सरकारी फरमान के चलते खासा विवाद हुआ - बाद में लीपापोती करके जैसे तैसे रफा दफा करने की कोशिश भी हुई.
खबरों के अनुसार, 7 अप्रैल को राज्य के 200 प्राइवेट कॉलेजों को सरकार की ओर से पत्र भेजे गये - और हर कॉलेज से रैली के लिए 100-100 छात्रों को भेजने को कहा गया. जब कांग्रेस ने इसे तुगलकी फरमान कह कर बवाल मचाना शुरू किया तो उसे संशोधित कर छात्रों की जगह 'वॉलंटियर' भेजने की बात कही जाने लगी.
इसे भी पढ़ें: माया की ही चाल से यूपी में बाजी पलटने में जुटी बीजेपी
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में खुद को अंबेडकर का भक्त बताया था. दिल्ली में अंबेडकर मेमोरियल के शिलान्यास के दौरान मोदी अंबेडकर और सरदार पटेल को हिंदुत्ववादी सांचे में फिट करने नजर आये. मोदी ने कहा - सरदार पटेल ने देश को जोड़ा और अंबेडकर ने समाज को. इसके साथ ही मोदी ने ये समझाने की भी कोशिश की कि वो राष्ट्रवाद और दलितवाद को एक साथ लेकर चलने की ख्वाहिश रखते हैं.
कांग्रेस को भी खूब सूट करता है महू- राहुल गांधी इस बार भी महू जाने वाले हैं. साफ है महू में अंबेडकर के बहाने महाभारत होने वाला है.
हाइजैक की साजिश!
लंबी छुट्टी बिताकर लौटे राहुल गांधी पिछले साल भी महू पहुंचे...
ऐसा पहली बार हो रहा है जब संयुक्त राष्ट्र में अंबेडकर जयंती मनाई जा रही है. सुरक्षा परिषद में एंट्री को लेकर बाधाएं भले ही अपार हों, लेकिन योग के बाद अंबेडकर की जयंती पर यूएन में कार्यक्रम निश्चित रूप से ब्रांड इंडिया के लिए बड़ी उपलब्धि है - ये बात अलग है कि योग को मिली मान्यता से उसकी तुलना नहीं हो सकती.
महू में महाभारत
14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंबेडकर की जन्मस्थली मध्य प्रदेश के महू में रैली करने वाले हैं. प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर एक सरकारी फरमान के चलते खासा विवाद हुआ - बाद में लीपापोती करके जैसे तैसे रफा दफा करने की कोशिश भी हुई.
खबरों के अनुसार, 7 अप्रैल को राज्य के 200 प्राइवेट कॉलेजों को सरकार की ओर से पत्र भेजे गये - और हर कॉलेज से रैली के लिए 100-100 छात्रों को भेजने को कहा गया. जब कांग्रेस ने इसे तुगलकी फरमान कह कर बवाल मचाना शुरू किया तो उसे संशोधित कर छात्रों की जगह 'वॉलंटियर' भेजने की बात कही जाने लगी.
इसे भी पढ़ें: माया की ही चाल से यूपी में बाजी पलटने में जुटी बीजेपी
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में खुद को अंबेडकर का भक्त बताया था. दिल्ली में अंबेडकर मेमोरियल के शिलान्यास के दौरान मोदी अंबेडकर और सरदार पटेल को हिंदुत्ववादी सांचे में फिट करने नजर आये. मोदी ने कहा - सरदार पटेल ने देश को जोड़ा और अंबेडकर ने समाज को. इसके साथ ही मोदी ने ये समझाने की भी कोशिश की कि वो राष्ट्रवाद और दलितवाद को एक साथ लेकर चलने की ख्वाहिश रखते हैं.
कांग्रेस को भी खूब सूट करता है महू- राहुल गांधी इस बार भी महू जाने वाले हैं. साफ है महू में अंबेडकर के बहाने महाभारत होने वाला है.
हाइजैक की साजिश!
लंबी छुट्टी बिताकर लौटे राहुल गांधी पिछले साल भी महू पहुंचे थे - और इस साल भी उनके लिए कांग्रेस ने कार्यक्रम की तैयारी की है.
अगर होड़ मची है तो हम भी हैं... |
महू के साथ ही सोनिया और राहुल अंबेडकर के बौद्ध दीक्षा स्थल नागपुर पहुंचते हैं और उनके प्रतीकों से खुद को जोड़ने की कोशिश करते हैं. राहुल गांधी मोदी सरकार पर पहले से ही हमलावर रुख अख्तियार किये हुए हैं. राहुल का इल्जाम है कि अंबेडकर को हाइजैक करने की साजिश हो रही है.
राहुल गांधी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी खुद को तो अंबेडकर का अनुयायी बताते हैं, लेकिन उनकी सरकार पिछड़ों को मिलने वाली सुविधाएं बंद कर रही है. राहुल ने कहा, "वे लोग आरक्षण को बंद करना चाहते हैं, लेकिन अंबेडकर के विचारों को हाईजैक करना चाहते हैं."
राहुल के साथ साथ सोनिया ने भी अंबेडकर को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है - वो भी आरएसएस के गढ़ नागपुर पहुंच कर.
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राहुल ने रोहित वेमुला की अंबेडकर से तुलना की है. राहुल ने आरोप लगाया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वेमुला को यूनिवर्सिटी से निकलवा दिया था - क्योंकि वह आरक्षण की दोहरी नीति का पर्दाफाश कर रहा था.
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय अलग से अलख जगाए हुए हैं - ये वे लोग हैं जिनकी विचारधारा ही बाबासाहेब के खिलाफ है.
आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइजर’ में प्रकाशित एक लेख में अंबेडकर के बयान को कोट किया गया है, "यदि अछूतों को हथियारों से दूर न रखा जाता तो इस देश पर कभी विदेशियों का शासन नहीं होता." इसके साथ ही लेख में अंबेडकर की खूब तारीफ की गई है.
वैसे अंबेडकर की सवा सौवीं जयंती पर देश भर में इतने कार्यक्रम हुए जितना शायद ही पहले कभी हुए हों. पहले अंबेडकर जयंती जहां सिर्फ सरकारी आयोजनों या बीएसपी के कार्यक्रमों तक सीमित रहा करती थी - वहीं, इस बार हर पार्टी में होड़ मची रही - और ये दिल्ली, पटना और लखनऊ तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि नेता अंबेडकर से जुड़ी जगहों नागपुर और महू तक दौरा करते रहे.
अंबेडकर की विरासत पर कब्जे की होड़ बिहार चुनाव से शुरू हुई थी - अब यूपी और पंजाब चुनाव आने वाले हैं जहां दलित वोटों का बड़ा दबदबा है. जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करें तो आयोजनों की भव्यता में बीजेपी और कांग्रेस के आगे मायावती ही फीकी नजर आ रही हैं.
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