बिहार के चारा घोटाले में लालू यादव को दोषी करार दे दिया गया है. अब लालू यादव 3 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे और 3 जनवरी को ही उनकी सजा का ऐलान किया जाएगा. कुछ समय पहले बिहार में टॉपर्स घोटाले की सीबीआई जांच के लिए पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. कोर्ट में इसकी सुनवाई होनी अभी बाकी है. लेकिन पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर होने से एक बात की याद आ गई वो ये कि ठीक इसी तरह से चारा घोटाले की सीबीआई जांच की मांग के लिए पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने न सिर्फ याचिका को स्वीकार किया था बल्कि अपनी मॉनेटरिंग में चारा घोटाले की जांच भी करवाई.
टॉपर्स घोटाले का मामला थोड़ा अलग हैं. इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करने वाले कोई राजनैतिक दल के लोग नहीं हैं बल्कि पटना हाईकोर्ट के एक वकील मणिभूषण प्रताप सेंगर हैं. सेंगर ने अपनी याचिका में जो दलीले दी है उसमें प्रमुख हैं बच्चा राय कॉलेज को निगरानी विभाग द्वारा क्लीन चिट देना. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश पर निगरानी विभाग ने जांच की और बच्चा राय के कॉलेज को छोड़कर बाकि सभी कॉलेजों पर एफआईआर दर्ज किया गया. उस समय पी.के.ठाकुर निगरानी विभाग के एडीजी थे और अभी बिहार के डीजीपी हैं. ऐसे में उनके रहते टॉपर्स घोटाले की निष्पक्ष जांच एसआईटी नहीं कर सकती. ऐसे में इसकी जांच सीबीआई से होनी चाहिए.
पटना हाईकोर्ट का फैसला क्या आएगा ये कहना तो अभी मुश्किल है. लेकिन ठीक इसी तरह से चारा घोटाले में जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें याचिकाकर्ता थे राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह जो वर्तमान में सरकार मे जलसंसाधन मंत्री हैं. सुशील कुमार मोदी है, जो चाराघोटाले के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री बने और अब बीजेपी के विधानमंडल के नेता है. शिवानंद तिवारी जो एनडीए की सरकार बनने के बाद जनता दल यू से राज्यसभा के सदस्य बने और उनके एक बेटे आरजेडी के विधायक हैं और अंत में पीके शाही जो याचिकाकर्ता के वकील थे. उसके बाद बिहार सरकार के महाधिवक्ता और मंत्री बने पिछले साल चुनाव तक...
बिहार के चारा घोटाले में लालू यादव को दोषी करार दे दिया गया है. अब लालू यादव 3 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे और 3 जनवरी को ही उनकी सजा का ऐलान किया जाएगा. कुछ समय पहले बिहार में टॉपर्स घोटाले की सीबीआई जांच के लिए पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. कोर्ट में इसकी सुनवाई होनी अभी बाकी है. लेकिन पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर होने से एक बात की याद आ गई वो ये कि ठीक इसी तरह से चारा घोटाले की सीबीआई जांच की मांग के लिए पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने न सिर्फ याचिका को स्वीकार किया था बल्कि अपनी मॉनेटरिंग में चारा घोटाले की जांच भी करवाई.
टॉपर्स घोटाले का मामला थोड़ा अलग हैं. इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करने वाले कोई राजनैतिक दल के लोग नहीं हैं बल्कि पटना हाईकोर्ट के एक वकील मणिभूषण प्रताप सेंगर हैं. सेंगर ने अपनी याचिका में जो दलीले दी है उसमें प्रमुख हैं बच्चा राय कॉलेज को निगरानी विभाग द्वारा क्लीन चिट देना. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश पर निगरानी विभाग ने जांच की और बच्चा राय के कॉलेज को छोड़कर बाकि सभी कॉलेजों पर एफआईआर दर्ज किया गया. उस समय पी.के.ठाकुर निगरानी विभाग के एडीजी थे और अभी बिहार के डीजीपी हैं. ऐसे में उनके रहते टॉपर्स घोटाले की निष्पक्ष जांच एसआईटी नहीं कर सकती. ऐसे में इसकी जांच सीबीआई से होनी चाहिए.
पटना हाईकोर्ट का फैसला क्या आएगा ये कहना तो अभी मुश्किल है. लेकिन ठीक इसी तरह से चारा घोटाले में जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें याचिकाकर्ता थे राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह जो वर्तमान में सरकार मे जलसंसाधन मंत्री हैं. सुशील कुमार मोदी है, जो चाराघोटाले के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री बने और अब बीजेपी के विधानमंडल के नेता है. शिवानंद तिवारी जो एनडीए की सरकार बनने के बाद जनता दल यू से राज्यसभा के सदस्य बने और उनके एक बेटे आरजेडी के विधायक हैं और अंत में पीके शाही जो याचिकाकर्ता के वकील थे. उसके बाद बिहार सरकार के महाधिवक्ता और मंत्री बने पिछले साल चुनाव तक वो बिहार के शिक्षा मंत्री थे अभी भी जनता दल यू से विधान परिषद के सदस्य हैं.
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टॉपर्स घोटाले और चारा घोटाले में कुछ बुनियादी फर्क हैं तो कुछ समानताएं भी हैं. चारा घोटाले में सरकारी खजाने की लूट हुई थी लेकिन टॉपर्स घोटालें में पैसा ज्यादा महत्व नहीं रखता इसमें मेधा की लूट हूई. चारा घोटाला लगभग 950 करोड की लूट का मामला था जिसमें मुख्यमंत्री, मंत्री नेता अफसर कर्मचारी तक शामिल थे लेकिन टॉपर्स घोटाले में अभी कॉलेज प्रशासन बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अधिकारी और एक जनता दल यू के एक पूर्व विधायक के शामिल होने का साक्ष्य मिला है. चारा घोटाले में फर्जी बिल के आधार पर सरकारी खजाने की लूट हुई थी लेकिन टॉपर्स घोटाले में फर्जी तरीके से छात्रो को टॉप कराया गया. चारा घोटाले में स्कूटर मोटरसाइकिल पर चारा और मवेशी ढोने की बात आई थी. लेकिन टॉपर्स घोटाले में बिना परीक्षा दिए टॉप कराने का मामला सामने आया है.
टॉपर्स घोटाला चारा घोटाले के ठीक 20 साल बाद आया है. 1996 में चारा घोटाले का मामला सामने आने लगा था. जुलाई 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और राबडी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनीं. चारा घोटला कब से शुरू हुआ इसका अंदाज लगाना मुश्किल था कहा जाता है कि कांग्रेस के जमाने से ही घोटाला शुरू हो गया था. लालू प्रसाद यादव ने पहले इसकी न्यायिक जांच की घोषणा की थी बाद में जांच निगरानी विभाग को दे दिया लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामला सीबीआई के पास पहुंचा तो लालू प्रसाद यादव ही आरोपी हो गए. हालांकि तब लालू प्रसाद यादव ने इसे राजनैतिक साजिश करार दिया था. चारा घोटाले के किंगपिंग थे श्याम बिहारी प्रसाद. जिनकी जेल में ही मौत हो गई. लालू प्रसाद यादव एक मामले में सजाफ्ता हैं और कई मामलों में आरोपी है. इस घोटाले के एक याचिकाकर्ता सरयू राय अब झारखंड की बीजेपी सरकार में मंत्री हैं तो दूसरे याचिकाकर्ता रविशंकर प्रसाद केंद्रीय मंत्री हैं.
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ठीक उसी प्रकार टॉपर्स घोटाल जब समाने आया था उसके किंगपिंग बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने आनन फानन में न्यायिक जांच और तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर घोटाले की लीपापोती शुरू कर दी. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालकेश्वर प्रसाद को फटकार लगाते हुए इन कमेटियों की बजाएं एसआईटी से जांच का फैसला लिया. यही नहीं लालकेश्वर को इस्तीफा देने को बाध्य किया साथ ही उन पर और उनकी पत्नी उषा सिन्हा पर एफआईआर दर्ज करने का फरमान जारी किया. खैर इस मामले में लालकेश्वर और उनकी पत्नी उषा सिन्हा सिन्हा समेत अब तक 22 लोग एसआईटी के गिरफ्त में आ चुके हैं.
पर सवाल उठता है कि एसआईटी की जांच का दायरा क्या होगा. ये टॉपर्स घोटाला कब से चल रहा था इसके बारे में भी कोई निश्चित जानकारी नहीं मिल पा रही है. खबर तो ये भी आई थी कि एसआईटी को बच्चा राय के कालेज से एक ऐसी चिठ्ठी मिली थी जो 1982 में लिखी गई थी जिसमें किसी छात्र ने कॉलेज से ये शिकायत की थी कि फर्स्ट डिविजन का पैसा लेकर सेकेंड डिविजन क्यों मिला. हालांकि एसआईटी इसकी पुष्टी नही कर रही है. पर सवाल तो खड़ा होता है कि 34 साल पहले भी अगर ये धंधा होता था तो बचता क्या है. हालांकि ये बात तो तय है कि पहले इस घोटाले का दायरा काफी सीमित रहा होगा और समय के साथ-साथ ये काफी बढ़ गया. पर इस चिठ्ठी की बदौलत हम पहले के टॉपर्स या बिहार बोर्ड से पास किए गए छात्रों की मेधा पर संदेश नही कर सकते.
पर एक बात जरूर समाने आ रही है. चारा घोटाले को लेकर जो राजनैतिक माहौल बिहार में बना था वो राजनैतिक माहौल टॉपर्स घोटाले में क्यों नही बन पाया. बीस साल पहले लालू प्रसाद यादव के खिलाफ सभी विरोधी राजनैतिक दल एकजुट होकर लडाई लड़ रहे थे लेकिन आज ऐसा नहीं है किसी भी बड़ी पार्टी ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग नहीं की. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने सीबीआई जांच कराने की मांग जरूर की थी लेकिन वो भी काफी नही था. दरअसल चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के पहले केवल कांग्रेस का राज हुआ करता था. लेकिन टॉपर्स घोटाला आते-आते गंगा में पानी बहुत बह चुका है कांग्रेस-आरजेडी के साथ-साथ बीजेपी भी सत्ता का सुख ले चुकी है ऐसे में अगर टॉपर्स घोटालें की गहरायी में जाएं तो सभी पार्टियां कही न कही इससे जुड़ जाएंगी ये डर राजनैतिक दलों में जरूर बना हुआ है.
जैसे निगरानी की जांच की बात करें तो कोर्ट के आदेश पर निगरानी के एसपी परवेज अख्तर ने 2012 में जांच शुरू की और जनवरी 2013 में जब रिपोर्ट सौंपी और उसमें जो गड़बड़ी का मामला सामने आ रहा है. उस समय तो बीजेपी भी सत्ता में थी. जून 2013 में नीतीश कुमार ने बीजेपी से संबंध तोड़ा था. अगस्त के अंतिम दिन और सितंबर की पहली तारीख को 2015 में जब बच्चा राय के कॉलेज को अस्थायी ऐफिलियशन देने का मामला सामने आया तो पीके शाही उस समय शिक्षा मंत्री थे. और तो और लालकेश्वर प्रसाद सिंह कि नियुक्ति जब बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में हुई तो बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी थे. बच्चा राय के साथ फोटो में मुख्यमंत्री के साथ साथ बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह, नंदकिशोर यादव भी नजर आ रहे हैं लालू प्रसाद यादव के साथ तो कई फोटो पहले से ही मौजूद हैं. रही बात कांग्रेस की तो वो खुद सरकार में शामिल हैं शिक्षा मंत्री अशोक चौधऱी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. वामपंथी जरूर इसके खिलाफ आवाज उठा रहें हैं.
बीजेपी में सुशील मोदी को छोड़कर कोई सवाल नही खड़े कर रहा हैं मोदी ने आरोप लगाया है कि घोटाले के किंगपिंग बच्चा राय को लालू प्रसाद यादव से संरक्षण मिल रहा हैं. लालकेश्वर पर पटना कॉलेज के प्रिंसिपल के तौर पर भ्रष्ट्राचार के गंभीर आरोप लगे थे उन्हें बोर्ड का अध्यक्ष किसके दबाव में बनाया गया पिछले साल परीक्षा के दौरान खुलेआम चोरी की तस्वीरे वायरल हुई थीं तब उनको बोर्ड अध्यक्ष से क्यों नही हटाया गया. हालांकि बिहार सरकार ने इस साल की परीक्षाओं में नकल नही होने दी.
यही वजह है कि इस साल परीक्षा में पास होने वाले छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई लेकिन मूल्यांकन में गड़बड़ी ने टॉपर्स घोटाला कराकर सब गुड़गोबर कर दिया. ये गड़बड़ी पांच प्रतिशत से ज्यादा छात्रों के लिए नही की गई लेकिन बदनामी पूरे बैच की हो गई. 700 के करीब छात्रों ने बच्चा राय के कॉलेज से परीक्षा दी थी उनके रिजल्ट को रद्द करने की बात चल रही है. टॉपर्स घोटाले ने हजारों छात्रों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. लेकिन चारा घोटाला में ऐसी बात नही थी जो उस विभाग से संबंधित थे वो ही उस दायरे में थे लेकिन टॉपर्स में दायरे का पता नहीं है.
चारा घोटाला कवर करने वाले इंडियन ऐक्सप्रेस के पूर्व पत्रकार अरूण श्रीवास्तव का कहना है कि इन दोनों घोटालों में काफी अंतर है. चारा घाटाले में बिहार के गरीबों का पैसा लूटा गया जबकि टॉपर्स घोटाले में नव धनाढ्य लोगों ने बिहार की मेधा को पैसों के बल पर लूटा.
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