मायावती ने संसद में रोहित वेमुला की खुदकुशी का मामला जोर शोर से उठाया. मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी से उनकी इस मामले में तीखी नोक झोंक भी हुई. हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर रोहित की मायावती का आरोप था कि रोहित की मौत के लिए सरकार जिम्मेदार है. लेकिन रोहित की अंबेडकर से तुलना करने पर मायावती ने कड़ी आपत्ति जताई है.
गैर वाजिब तुलना
नागपुर में एक कार्यक्रम में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने रोहित वेमुला की तुलना बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर से की थी. मायावती को ये तुलना नागवार गुजरी है. अंबेडकर की 125वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मायावती ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई.
इसे भी पढ़ें: यूएन में अंबेडकर की एंट्री और देश में विरासत पर कब्जे की होड़
मायावती ने कहा कि अगर राहुल गांधी को तुलना ही करनी थी तो अंबेडकर की तुलना नेल्सन मंडेला से करते - या फिर कांशीराम से करते. रोहित से तुलना का क्या मतलब है?
अंबेडकर पर दावेदारी |
मायावती को लगा होगा शायद उनकी बात का कहीं गलत मतलब न निकाल लिया जाए, इसलिए उदाहरण देकर भी समझाया. मायावती बोलीं, "ये तो ऐसे ही हुआ जैसे वो खुद अपनी तुलना जवाहरलाल नेहरू से कर रहे हों."
सिर्फ मेरे अंबेडकर
भरी पूरी सभा में मायावती ने बार बार यही समझाने की कोशिश की कि अंबेडकर सिर्फ और सिर्फ उनके हैं. इसलिए क्योंकि वो दलित की बेटी हैं.
मायावती ने...
मायावती ने संसद में रोहित वेमुला की खुदकुशी का मामला जोर शोर से उठाया. मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी से उनकी इस मामले में तीखी नोक झोंक भी हुई. हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर रोहित की मायावती का आरोप था कि रोहित की मौत के लिए सरकार जिम्मेदार है. लेकिन रोहित की अंबेडकर से तुलना करने पर मायावती ने कड़ी आपत्ति जताई है.
गैर वाजिब तुलना
नागपुर में एक कार्यक्रम में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने रोहित वेमुला की तुलना बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर से की थी. मायावती को ये तुलना नागवार गुजरी है. अंबेडकर की 125वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मायावती ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई.
इसे भी पढ़ें: यूएन में अंबेडकर की एंट्री और देश में विरासत पर कब्जे की होड़
मायावती ने कहा कि अगर राहुल गांधी को तुलना ही करनी थी तो अंबेडकर की तुलना नेल्सन मंडेला से करते - या फिर कांशीराम से करते. रोहित से तुलना का क्या मतलब है?
अंबेडकर पर दावेदारी |
मायावती को लगा होगा शायद उनकी बात का कहीं गलत मतलब न निकाल लिया जाए, इसलिए उदाहरण देकर भी समझाया. मायावती बोलीं, "ये तो ऐसे ही हुआ जैसे वो खुद अपनी तुलना जवाहरलाल नेहरू से कर रहे हों."
सिर्फ मेरे अंबेडकर
भरी पूरी सभा में मायावती ने बार बार यही समझाने की कोशिश की कि अंबेडकर सिर्फ और सिर्फ उनके हैं. इसलिए क्योंकि वो दलित की बेटी हैं.
मायावती ने दलितों को आगाह किया कि उनका वोट लेने के लिए सारी पार्टियां तरह तरह के खेल खेल रही हैं. उन्होंने समझाया कि उन्हें ऊपर से जो भी दिखाई दे रहा है वो सब नौटंकी है - चाहे वो बीजेपी हो या फिर कांग्रेस.
यहां तक कि बीजेपी ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया को भी नहीं छोड़ा - 'वो वामपंथी है और भूमिहार है.'
मायावती ने बार बार दलितों को आगाह किया कि वो इनकी साजिशों से अलर्ट रहें.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करते हुए मायावती बोलीं, "मोदी खुद को अंबेडकरवादी कहते हैं, मगर वह उन जगजीवन राम की भी जयंती मनाने जा रहे हैं, जिन्हें कांग्रेस ने अंबेडकर के खिलाफ खड़ा किया था."
60 साल बाद...
अपनी फेसबुक पोस्ट में पत्रकार महेंद्र मिश्र लिखते हैं, "पीएम मोदी जब बाबा साहेब के जन्मस्थल महू में हैं तो रोहित वेमुला की मां उनकी कर्मभूमि मुंबई में. राधिका वेमुला वहां परिवार समेत बौद्ध धर्म अपनाने गई हैं. यह बात साबित करती है कि आज से 60 बरस पहले जिन हालातों के चलते बाबा साहेब को हिन्दू धर्म छोड़ना पड़ा था. वे हालात कम या ज्यादा आज भी बने हुए हैं. ऐसे में मोदी जी के सामने राधिका वेमुला एक बड़ा सवाल बनकर खड़ी हो गई हैं. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने से पहले उन्हें इसका जवाब देना ही चाहिए."
इसे भी पढ़ें: सबसे आसान शब्दों में पढि़ए डॉ. अंबेडकर ने हमें क्या दिया...
14 अक्टूबर 1956 को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर धर्म परिवर्तन करके बौद्ध बन गए थे. अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला और भाई राजा वेमुला ने बौद्ध धर्म अपना लिया. अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने मुंबई के दादर स्थित अंबेडकर भवन में रोहित के परिवार को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी. इस मौके पर रोहित की मां ने कहा इसके पीछे किसी धर्म के प्रति उनकी कोई दुर्भावना नहीं है. रोहित वेमुला का अंतिम संस्कार भी बौद्ध विधि-विधान से किया गया था.
अंबेडकर से रोहित वेमुला की तुलना पर मायावती को आपत्ति क्यों है. 60 साल पहले जिन परिस्थितियों से अंबेडकर को दो चार होना पड़ा था, रोहित वेमुला को भी उन्हीं हालात से जूझना पड़ा - और हार कर उसने आखिरी रास्ता अख्तियार कर लिया. निश्चित रूप से रोहित को भी संघर्ष करना चाहिये था.
तो क्या रोहित के आत्महत्या कर लेने के कारण अंबेडकर से तुलना पर एतराज है - या कहीं वो रोहित को भी जगजीवन राम वाली कैटेगरी का दलित मानती हैं! ऐसे तो यही समझ में आ रहा है कि जो मायावती को सपोर्ट कर रहा है वही असली दलित है. देर सबेर मायावती को ये बात भी समझानी ही होगी.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.