राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के यहां पटना समेत कई जगहों पर हाल ही में सीबीआई ने छापेमारी की है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले पर मानो चुप्पी साध ली है. लालू परिवार पर सीबीआई छापे की घटनाओं पर नितीश कुमार की चुप्पी के कई मायने हो सकते हैं, पर निकट भविष्य में इससे गठबंधन पर किसी तरह के खतरे की बात नहीं है. क्योंकि इस समय एक दूसरे से अलग होने पर दोनों ही कमजोर होंगे. वैसे मौजूदा वक्त में गठबंधन के टूटने का ज्यादा नुकसान लालू को ही होगा, ऐसे में वो इस गठबंधन के साथ रहना पसंद करेंगे.
जहां तक बात नीतीश कुमार की है तो वो इन कारणों से चुप हैं-
1- जब लालू ऐसी मुसीबत में हैं तो नीतीश कुमार की तरफ से किसी तरह का दबाव सरकार गिरने का कारण बन सकता है जो नीतीश कुमार बिलकुल नहीं चाहते क्योंकि उनके लिए उप-मुख्यमंत्री के रूप में सुशील मोदी की तुलना में तेजस्वी के साथ काम करना ज्यादा आसान है, क्योंकि इस तरह के आरोपों के बाद आरजेडी का रुख कुछ नरम होगा.
2- नीतीश कुमार की नजर भविष्य (2019) पर भी टिकी है, जिसके लिए उनका इस गठबंधन में रहना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा क्योंकि वो परिस्थिति के हिसाब से बाद में फैसला कर सकते हैं. शायद यही वजह भी है कि नीतीश कुमार कई मौकों पर प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते रहे हैं. यहां तक कि वो राष्ट्रपति पद के लिए अपने महागठबंधन के उम्मीदवार का समर्थन करने की बजाय रामनाथ कोविन्द का समर्थन करने का ऐलान कर चुके हैं. यही वजह है कि अभी तक किसी बीजेपी नेता ने खुलकर उनका विरोध नहीं किया है. ऐसे में नीतीश सीबीआई की कारवाई का विरोध भी नहीं कर रहे हैं.
3-...
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के यहां पटना समेत कई जगहों पर हाल ही में सीबीआई ने छापेमारी की है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले पर मानो चुप्पी साध ली है. लालू परिवार पर सीबीआई छापे की घटनाओं पर नितीश कुमार की चुप्पी के कई मायने हो सकते हैं, पर निकट भविष्य में इससे गठबंधन पर किसी तरह के खतरे की बात नहीं है. क्योंकि इस समय एक दूसरे से अलग होने पर दोनों ही कमजोर होंगे. वैसे मौजूदा वक्त में गठबंधन के टूटने का ज्यादा नुकसान लालू को ही होगा, ऐसे में वो इस गठबंधन के साथ रहना पसंद करेंगे.
जहां तक बात नीतीश कुमार की है तो वो इन कारणों से चुप हैं-
1- जब लालू ऐसी मुसीबत में हैं तो नीतीश कुमार की तरफ से किसी तरह का दबाव सरकार गिरने का कारण बन सकता है जो नीतीश कुमार बिलकुल नहीं चाहते क्योंकि उनके लिए उप-मुख्यमंत्री के रूप में सुशील मोदी की तुलना में तेजस्वी के साथ काम करना ज्यादा आसान है, क्योंकि इस तरह के आरोपों के बाद आरजेडी का रुख कुछ नरम होगा.
2- नीतीश कुमार की नजर भविष्य (2019) पर भी टिकी है, जिसके लिए उनका इस गठबंधन में रहना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा क्योंकि वो परिस्थिति के हिसाब से बाद में फैसला कर सकते हैं. शायद यही वजह भी है कि नीतीश कुमार कई मौकों पर प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते रहे हैं. यहां तक कि वो राष्ट्रपति पद के लिए अपने महागठबंधन के उम्मीदवार का समर्थन करने की बजाय रामनाथ कोविन्द का समर्थन करने का ऐलान कर चुके हैं. यही वजह है कि अभी तक किसी बीजेपी नेता ने खुलकर उनका विरोध नहीं किया है. ऐसे में नीतीश सीबीआई की कारवाई का विरोध भी नहीं कर रहे हैं.
3- सबसे बड़ा कारण है सीबीआई छापों पर लालू के हित में बोलने और बीजेपी की निंदा करने पर नीतीश कुमार को अपनी साफ और सुशासन बाबू वाली छवि को को नुकसान पहुंचने का भय है, जिसके दम पर वह न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में जाने जाते हैं, ऐसे में नीतीश का फिलहाल चुप रहना ही समझदारी है.
4. चौथी और सबसे आखिरी वजह हो सकती है कि नीतीश कुमार को कहीं न कहीं इस बात का अंदेशा है कि इस समय लालू की तरफ से बोलने का मतलब है उनका साथ देना और लालू पहले ही इस कदम को अपने खिलाफ साजिश बता चुके हैं और पूरे देश में विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं, कांग्रेस ने उनके खिलाफ सीबीआई छापों का विरोध किया है, ऐसे में नीतीश का भी इन छापों का विरोध करना कई और पार्टियों को लालू के खेमे में ला सकता है और वो एक मजबूत स्थिति में आ जाएंगे, जिससे नीतीश को भविष्य में न सिर्फ बिहार बल्कि केंद्र में भी नुकसान हो सकता है.
ये भी पढ़ें-
चीन और भारत जैसा ही बर्ताव एक दूसरे के साथ कर रहे हैं लालू और नीतीश
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.