पाटीदार आरक्षण की मांग के साथ निकले 23 साल के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल एक बार फिर गुजरात सरकार के लिये मुसीबत का सबब बन सकते हैं. दरअसल गुजरात हाईकोर्ट से 6 महीना गुजरात से बाहर रहने की समय मर्यादा खत्म करते हुए हार्दिक पटेल 17 जनवरी को वापस गुजरात में आरक्षण की मांग के साथ आ रहे हैं.
6 महीने गुजरात से दूर रहने के बाद अब होगी वापसी |
हार्दिक पटेल पर राष्ट्रद्रोह के आरोप के तहत गुजरात की बीजेपी सरकार ने उन्हें 9 महीना जेल में बंद तो करवाया लेकिन जब वो जेल से जमानत पर बाहर आए, उन्होंने सीधा बीजेपी सरकार पर निशाना साधा था. एक बार फिर हार्दिक वापस गुजरात आ रहे हैं, इस बार हार्दिक गुजरात में आने के साथ ही गुजरात-राजस्थान बॉर्डर से ही एक बड़ी रैली के तौर पर हिम्मतनगर पहुंचेंगे और यहीं एक बड़ी जनसभा को भी संबोधित करेंगे.
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गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव को अब एक साल का भी वक्त नहीं रह गया है. ऐसे में हार्दिक पटेल का कहना है कि वो इस एक साल में गांव गांव घूमेंगे, लोगों से मिलेंगे, किसानों से मिलेंगे और भाजपा सरकार के जरिए किस तरह से लोगों को विकास के नाम पर लूटा गया है, उसकी सच्चाई से वाकिफ करवाएंगे.
हार्दिक पटेल की अगुआई में शुरु हुआ पाटीदार आरक्षण आंदोलन को खत्म करने के लिये आनंदीबेन पटेल भी कुछ खास नहीं कर पाईंऔर उन्हें...
पाटीदार आरक्षण की मांग के साथ निकले 23 साल के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल एक बार फिर गुजरात सरकार के लिये मुसीबत का सबब बन सकते हैं. दरअसल गुजरात हाईकोर्ट से 6 महीना गुजरात से बाहर रहने की समय मर्यादा खत्म करते हुए हार्दिक पटेल 17 जनवरी को वापस गुजरात में आरक्षण की मांग के साथ आ रहे हैं.
6 महीने गुजरात से दूर रहने के बाद अब होगी वापसी |
हार्दिक पटेल पर राष्ट्रद्रोह के आरोप के तहत गुजरात की बीजेपी सरकार ने उन्हें 9 महीना जेल में बंद तो करवाया लेकिन जब वो जेल से जमानत पर बाहर आए, उन्होंने सीधा बीजेपी सरकार पर निशाना साधा था. एक बार फिर हार्दिक वापस गुजरात आ रहे हैं, इस बार हार्दिक गुजरात में आने के साथ ही गुजरात-राजस्थान बॉर्डर से ही एक बड़ी रैली के तौर पर हिम्मतनगर पहुंचेंगे और यहीं एक बड़ी जनसभा को भी संबोधित करेंगे.
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गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव को अब एक साल का भी वक्त नहीं रह गया है. ऐसे में हार्दिक पटेल का कहना है कि वो इस एक साल में गांव गांव घूमेंगे, लोगों से मिलेंगे, किसानों से मिलेंगे और भाजपा सरकार के जरिए किस तरह से लोगों को विकास के नाम पर लूटा गया है, उसकी सच्चाई से वाकिफ करवाएंगे.
हार्दिक पटेल की अगुआई में शुरु हुआ पाटीदार आरक्षण आंदोलन को खत्म करने के लिये आनंदीबेन पटेल भी कुछ खास नहीं कर पाईंऔर उन्हें अपनी मुख्यमंत्री पद की कुर्सी गंवानी पड़ी. तो वहीं नए आये मुख्यमंत्री विजय रुपानी सरकार के प्रयास के बावजूद भी पाटीदारों से तालमेल नहीं बना पाए हैं. 17 जनवरी को हार्दिक गुजरात में आ रहा हैं. छः महीने से हार्दिक गुजरात के करीब, राजस्थान के उदयपुर में रह रहे हैं. इन छः महीनों में हार्दिक कई पाटीदारों से मिले. वो नरेन्द्र मोदी के कड़े विरोधी बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत से भी मिल चुके हैं.
मोदी विरोधियों से मुलाकात कर रहे हैं हार्दिक पटेल |
जानकारों की मानें तो हार्दिक पटेल के गुजरात में आने के साथ ही एक बार फिर पिछले 6 महीने से शांत हुआ पाटीदार आरक्षण आंदोलन उफान पकड़ना शुरु करेगा. क्योंकि पाटीदार, आरक्षण की मांग को लेकर लगातार अपनी बात पर अड़े हुऐ हैं, वो एक भी कदम भी आगे बढ़ने को तैयार नहीं हैं. वहीं विजय रुपानी सरकार के लिये भी समस्या यही है कि समाज और जातिवाद के नाम पर लगातार बीजेपी बंट रही है.
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एक ओर जहां पाटीदार बीजेपी से आरक्षण की मांग कर रहे हैं, वहीं क्रांति रैली के दौरान पाटीदारों की बहन बेटी के साथ हुआ पुलिस दमन और 9 पाटीदार युवकों की पुलिस फायरिंग में मौत के मामलों ने पाटीदारों को बीजेपी से दूर कर दिया है. हालांकि पाटीदारों ने अपनी नाराजगी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को सूरत की जनसभा के दौरान जाहिर कर दी थी.
ऐसे में हार्दिक पटेल की वापसी गुजरात की बीजेपी सरकार के लिए गले की हड्डी बनी हुई है, जिसे वो उगल भी नहीं सकते और निगल भी नहीं सकते क्योंकि पाटीदार वोट बैंक गुजरात में बीजेपी को सत्ता दिलवा भी सकता है तो बीजेपी से सत्ता छीन भी सकता है.
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