गुजरात की राजनीति में इन दिनों बीजेपी के लिए मानो अच्छा वक्त हाथों में ली रेत की तरहा फिसलता जा रहा है. अहमदाबाद में 2 जनवरी से 6 जनवरी तक चले आरएसएस के चिंतन शिविर में आरएसएस के संध प्रमुख मोहन भागवत, भईयाजी जोशी, सहित संध के वरिष्ठ और बीजेपी पार्टी के महासचिव राममाधव भी मौजूद थे. बीजेपी सरकार के जरीए देश में हुई नोटबंदी सही थी और उसके फायदे जनता तक कैसे पहुचें इस पर जहां चर्चा हुई तो वही नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात कि बीजेपी में नेतृत्व की कमी को लेकर भी गहन चर्चा हुई.
जातिवाद पर बंटे गुजरात में चुनावों में किस प्रबल नेतृत्व के साथ मैदान में उतरे भाजपा, संघ की ये चिंता तो जायज है |
गुजरात बीजेपी में हाल ही में मुख्यमंत्री बनाए गए विजय रुपानी के नेतृत्व के बारे में भी बात की गई. दरअसल नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी विकास पुरुष की छवी को इतना बड़ा बना दिया था कि गुजरात में बीजेपी का नरेन्द्र मोदी जैसा नेतृत्व कोई कर पाए ऐसा राजनेता नहीं बचा. शायद यही वजह है कि नरेंद्र मोदी के देश के प्रधानमंत्री बने ढाई साल हुआ है तब से गुजरात में दो नए चहरे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए हैं. सूत्रों की मानें तो आरएसएस ने अपने इस चिंतन शिविर में इस बात पर भी जोर दिया है कि 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रबल नेतृत्व के साथ मैदान में उतरे.
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गुजरात की राजनीति में इन दिनों बीजेपी के लिए मानो अच्छा वक्त हाथों में ली रेत की तरहा फिसलता जा रहा है. अहमदाबाद में 2 जनवरी से 6 जनवरी तक चले आरएसएस के चिंतन शिविर में आरएसएस के संध प्रमुख मोहन भागवत, भईयाजी जोशी, सहित संध के वरिष्ठ और बीजेपी पार्टी के महासचिव राममाधव भी मौजूद थे. बीजेपी सरकार के जरीए देश में हुई नोटबंदी सही थी और उसके फायदे जनता तक कैसे पहुचें इस पर जहां चर्चा हुई तो वही नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात कि बीजेपी में नेतृत्व की कमी को लेकर भी गहन चर्चा हुई.
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गुजरात बीजेपी में हाल ही में मुख्यमंत्री बनाए गए विजय रुपानी के नेतृत्व के बारे में भी बात की गई. दरअसल नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी विकास पुरुष की छवी को इतना बड़ा बना दिया था कि गुजरात में बीजेपी का नरेन्द्र मोदी जैसा नेतृत्व कोई कर पाए ऐसा राजनेता नहीं बचा. शायद यही वजह है कि नरेंद्र मोदी के देश के प्रधानमंत्री बने ढाई साल हुआ है तब से गुजरात में दो नए चहरे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए हैं. सूत्रों की मानें तो आरएसएस ने अपने इस चिंतन शिविर में इस बात पर भी जोर दिया है कि 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रबल नेतृत्व के साथ मैदान में उतरे.
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आरएसएस की गुजरात को लेकर चिंता भी जाहीर है क्योंकि नरेंद्र मोदी जब तक गुजरात में मुख्यमंत्री थे तब तक गुजरात, सबका साथ सबका विकास के नारे पर चला, लेकिन केन्द्र की कमान संभालने के बाद गुजरात जातिवाद पर बंटने लगा. आदिवासी, पाटीदार, ओबीसी और दलित सभी इन दिनों बीजेपी से असंतुष्ट हैं. अगर ये वोट बैंक बीजेपी के साथ नहीं आता तो बीजेपी का 2017 के चुनाव में जीतना काफी मुशकिल साबित होगा. गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर आरएसएस पहले ही नई केडर को खड़ा करने के लिए वडोदरा में पिछले महीने बैठक कर चुकी है. इतना ही नहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत गुजरात में इन दिनों तिन चार बार दौरा कर चुके हैं. माना जा रहा है कि मोहन भागवत गुजरात के राजकीय हालात को लेकर मुख्यमंत्री विजय रुपानी से भी परामर्श करेंगे.
नेतृत्व की कमी को लेकर बीजेपी के हालात गुजरात में इन दिनों कुछ ऐसे हैं कि खुद प्रधानमंत्री चार महीने में पांच बार गुजरात आ चुके हैं वहीं वाइब्रेंट गुजरात 2017 के उद्घाटन समारोह में भी 9 और 10 जनवरी को गुजरात का दौरा कर रहे हैं. गुजरात में बीजेपी की नेतृत्व की किमी इन दिनों बीजेपी और आरएसएस दोनों के लिए एक बड़ा सवाल बनी हुई है.
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