बीजेपी विधायक और मंत्री स्वाति सिंह की बीयर बार के उदघाटन वाली तस्वीरें सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर वायरल हो गईं, जिसके बाद विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. इस विवाद के पैदा होने के साथ ही विपक्ष ने योगी सरकार के 'चाल, चरित्र एवं चेहरे' को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिए हैं. इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यमंत्री स्वाति सिंह से स्पष्टीकरण भी मांगा है.
हालांकि, स्वाति सिंह ने स्पष्टीकरण देते हुए सफाई भी दी कि 'मैंने रेस्त्रां का उद्घाटन किया है. मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है. रेस्त्रां मेरी देवरानी की सहेली का है. मुझे इसकी ज्यादा जानकारी नहीं थी. रेस्त्रां मालिक ने महज तीन दिन के लिए लाइसेंस लिया था. उन्हें यहां बीयर बार नहीं चलाना है और न ही इसके लाइसेंस की अर्जी दी है.'
सरकार बनते ही पहली कैबिनेट मीटिंग अप्रैल 2017 से लेकर अब तक लिए गए फैसलों में मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट शब्दों में मंत्रियों पे लगाम लगाने की पहल की थी. कोई मंत्री अनाप-शनाप बयानबाजी नहीं करेगा. इसके लिए दो प्रवक्ता अपॉइंट किए गए थे, जो मीडिया तक सरकार की बात पहुंचाएंगे. बावजूद इसके, मंत्रियों के विवादों ने योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ानी शुरू कर दी हैं.
योगी के मंत्रियों के अन्य विवादित मामले-
21 मई 2017- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर उत्तर प्रदेश के मंत्री...
बीजेपी विधायक और मंत्री स्वाति सिंह की बीयर बार के उदघाटन वाली तस्वीरें सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर वायरल हो गईं, जिसके बाद विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. इस विवाद के पैदा होने के साथ ही विपक्ष ने योगी सरकार के 'चाल, चरित्र एवं चेहरे' को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिए हैं. इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यमंत्री स्वाति सिंह से स्पष्टीकरण भी मांगा है.
हालांकि, स्वाति सिंह ने स्पष्टीकरण देते हुए सफाई भी दी कि 'मैंने रेस्त्रां का उद्घाटन किया है. मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है. रेस्त्रां मेरी देवरानी की सहेली का है. मुझे इसकी ज्यादा जानकारी नहीं थी. रेस्त्रां मालिक ने महज तीन दिन के लिए लाइसेंस लिया था. उन्हें यहां बीयर बार नहीं चलाना है और न ही इसके लाइसेंस की अर्जी दी है.'
सरकार बनते ही पहली कैबिनेट मीटिंग अप्रैल 2017 से लेकर अब तक लिए गए फैसलों में मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट शब्दों में मंत्रियों पे लगाम लगाने की पहल की थी. कोई मंत्री अनाप-शनाप बयानबाजी नहीं करेगा. इसके लिए दो प्रवक्ता अपॉइंट किए गए थे, जो मीडिया तक सरकार की बात पहुंचाएंगे. बावजूद इसके, मंत्रियों के विवादों ने योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ानी शुरू कर दी हैं.
योगी के मंत्रियों के अन्य विवादित मामले-
21 मई 2017- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर उत्तर प्रदेश के मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल को नोटिस जारी किया है. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि बघेल अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं, जबकि वह अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं. न्यायमूर्ति महेश चन्द्र त्रिपाठी की एकल पीठ ने यह आदेश, राकेश बाबू की याचिका पर पारित किया जिन्होंने फिरोजाबाद जिले के टुंडला विधानसभा क्षेत्र से बघेल के निर्वाचन को चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि बघेल पूर्व में उत्तर प्रदेश में भाजपा के ओबीसी मोर्चा के प्रमुख थे और उन्होंने अनुसूचित जाति के दर्जे पर दावा करने के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र जमा कर टुंडला से चुनाव लड़ा था. पूर्व सपा नेता बघेल 2014 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए थे और वर्तमान में योगी आदित्यनाथ की सरकार में वह मत्स्य, लघु सिंचाई और पशुपालन मंत्री हैं.
28 मई 2017- योगी के मंत्री गोपाल नंदी ने कहा- गोली का जवाब गोली से दिया तब मिला पद. अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए प्रदेश के स्टांप, पंजीयन, न्यायालय शुल्क और नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी के बोल बिगड़ गए. अपनी राजनीतिक यात्रा की कहानी बताते-बताते नंदी ने कहा कि उनके राजनीति में आते ही तमाम विरोधी पीछे पड़ गए थे. उनके ऊपर गोलियां चलीं और बम चले. हालत ऐसे हो गए कि उन्हें नाले में बच्चों के साथ छिपना पड़ा, गोली का जवाब गोली से दिया, तब यह दिन आए हैं.
25 मई 2017- एक तरफ यूपी में आपराधिक घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रहीं. तो वहीं दूसरी तरफ योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री का बयान आग में घी डालने जैसा है. उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार अपराधमुक्त समाज सुनिश्चित नहीं कर सकती और पुलिस को भी हर जगह तैनात नहीं किया जा सकता. मंत्री जी का ये बयान ऐसे समय आया जब कुछ ही घंटों पहले जेवर-बुलंदशहर राजमार्ग पर हथियारों से लैस अपराधियों ने शर्मनाक घटना को अंजाम दिया था.
6 मई 2017- प्रदेश सरकार के पिछड़ा वर्ग व दिव्यांगजन मंत्री ओमप्रकाश राजभर को जिले में दिव्यांगों के लिए आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे, जहां पर उन्हें ट्राई साइकिल का वितरण करना था. इस दौरान कार्यक्रम स्थल पर अव्यवस्थाओं के चलते कई दिव्यांग बेहोश हो गए. मीडिया की ओर से इस बारे में पूछे जाने पर मंत्री जी ने कहा कि 'कुछ पाने के लिए तकलीफ उठानी पड़ती है. भगवान राम को भी काफी तकलीफें उठानी पड़ी थीं.'
मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के बाद ADR ने जारी किए अपने आंकड़ों में बताया था कि योगी मंत्रिमंडल के 44 मंत्रियों में 20 यानी 45% मंत्री पहले से ही दागी या अपराधी हैं, जिन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में अपने ऊपर चल रहे आपराधिक मामलों का जिक्र किया था. तो क्या ये माना जाए कि तमाम कोशिशों के वाबजूद भी अपने मंत्रियों पर लगाम लाने में अभी तक मुख्यमंत्री योगी सफल नहीं हो पा रहे हैं. और कमजोर विपक्ष को भी अपने ऊपर आरोप लगाने की जगह खुली छोड़ रहे हैं. मार्च 19 को बनी सरकार को अभी 100 दिन भी पूरे नहीं हुए हैं, अभी तो भाजपा सरकार को हर मोर्चे पर काफी काम करने की जरूरत है, पर अपने सहयोगी मंत्रियों पर लगाम लगाना उससे भी ज्यादा जरूरी प्रतीत होने लगा है.
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