मैं उत्तर प्रदेश का वासी हूं, वो उत्तर प्रदेश जहां मेरे जैसे 20.42 करोड़ लोग वास करते हैं. बात बीते चुनाव की है, चुनाव से पहले हम सभी उत्तर प्रदेश वासी उस समय की सरकार के शासन से नाखुश थे. प्रदेश में अपराध अपने चरम पर था. हत्या, लूट, छेड़छाड़, बलात्कार ये एक आम बात थी. जहां देखो वहीं अराजकता, जिधर नजर उठाओ वहीं गुंडागर्दी. प्रदेश की जो हालत थी उसमें प्रदेश के प्रत्येक नागरिक का दम घुट रहा था. चुनाव आते-आते प्रदेश इस बात का फैसला कर चुका था कि, 'नहीं, अब और नहीं.' क्यों न किसी ऐसे को मौका दिया जाए जो उन दिशाओं में काम करे, जिसकी आशा हम प्रदेश वासियों को थी.
सपा, बसपा, रालोद, सीपीआईएम, पीस पार्टी , निर्दलीय, कांग्रेस, भाजपा जैसी पार्टियों के रूप में प्रदेश की जनता के पास विकल्प की भरमार थी. केंद्र की भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली को देखकर हम 20.42 करोड़ उत्तर प्रदेश वासियों ने भाजपा को विकल्प चुना और उसके पक्ष में वोट डाले. परिणाम स्वरूप भाजपा ने एक बड़ी जीत दर्ज करते हुए, पूर्ण बहुमत प्राप्त किया. भाजपा को पूर्ण बहुमत में आते देख, हम सभी प्रदेश वासी बहुत खुश हुए और ये महसूस हुआ कि शायद अब इस जीत के बाद हम प्रदेश वासियों के अच्छे दिन आ ही जाएं.
नतीजे के बाद, हम प्रदेश वासियों की कमान पार्टी ने योगी को सौंपी और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से भाजपा संसद योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुखिया बने. हां वो योगी जो अपने फायर ब्रांड व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं. वो योगी, जिनके काम की अपेक्षा उनके बयान चर्चा में रहते हैं. वो योगी, जो अपने समर्थकों के बीच एक कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते हैं. वो योगी, जिनकी कट्टर हिन्दू वादी छवि ही उनकी यूएसपी है.
वो योगी जो चंद समर्थकों के...
मैं उत्तर प्रदेश का वासी हूं, वो उत्तर प्रदेश जहां मेरे जैसे 20.42 करोड़ लोग वास करते हैं. बात बीते चुनाव की है, चुनाव से पहले हम सभी उत्तर प्रदेश वासी उस समय की सरकार के शासन से नाखुश थे. प्रदेश में अपराध अपने चरम पर था. हत्या, लूट, छेड़छाड़, बलात्कार ये एक आम बात थी. जहां देखो वहीं अराजकता, जिधर नजर उठाओ वहीं गुंडागर्दी. प्रदेश की जो हालत थी उसमें प्रदेश के प्रत्येक नागरिक का दम घुट रहा था. चुनाव आते-आते प्रदेश इस बात का फैसला कर चुका था कि, 'नहीं, अब और नहीं.' क्यों न किसी ऐसे को मौका दिया जाए जो उन दिशाओं में काम करे, जिसकी आशा हम प्रदेश वासियों को थी.
सपा, बसपा, रालोद, सीपीआईएम, पीस पार्टी , निर्दलीय, कांग्रेस, भाजपा जैसी पार्टियों के रूप में प्रदेश की जनता के पास विकल्प की भरमार थी. केंद्र की भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली को देखकर हम 20.42 करोड़ उत्तर प्रदेश वासियों ने भाजपा को विकल्प चुना और उसके पक्ष में वोट डाले. परिणाम स्वरूप भाजपा ने एक बड़ी जीत दर्ज करते हुए, पूर्ण बहुमत प्राप्त किया. भाजपा को पूर्ण बहुमत में आते देख, हम सभी प्रदेश वासी बहुत खुश हुए और ये महसूस हुआ कि शायद अब इस जीत के बाद हम प्रदेश वासियों के अच्छे दिन आ ही जाएं.
नतीजे के बाद, हम प्रदेश वासियों की कमान पार्टी ने योगी को सौंपी और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से भाजपा संसद योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुखिया बने. हां वो योगी जो अपने फायर ब्रांड व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं. वो योगी, जिनके काम की अपेक्षा उनके बयान चर्चा में रहते हैं. वो योगी, जो अपने समर्थकों के बीच एक कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते हैं. वो योगी, जिनकी कट्टर हिन्दू वादी छवि ही उनकी यूएसपी है.
वो योगी जो चंद समर्थकों के मुख्यमंत्री नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. मुख्यमंत्री जैसा प्रमुख पद पाने के बावजूद शायद योगी ये समझने में असमर्थ हैं कि वो चंद लोगों के नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसे सबको साथ लेकर चलना है, जिसे सबका विकास करना है.
एक प्रदेश वासी के तौर पर मुझे दुःख है कि मेरा मुख्यमंत्री एक ऐसा व्यक्ति है जो अब तक शायद ही ऐसा कुछ कर पाया हो जिसपर मुझे गर्व हो. ये कहना मेरे लिए अतिश्योक्ति न होगी की मेरा मुख्यमंत्री अब तक हिन्दू-मुस्लिम, नमाज-पूजा, लाउडस्पीकर-डीजे से ऊपर उठकर सोच ही नही पा रहा. जी हां सही सुना आपने. खबर है कि अपने विवादित बयानों की फेहरिस्त में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है जिसके चलते वो सत्ता पक्ष के कुछ लोगों द्वारा विपक्ष की आलोचनाओं का शिकार हो रहे हैं.
राजधानी लखनऊ में दिए गए एक बयान में योगी ने कहा है कि,' अगर मैं सड़क पर ईद के दिन नमाज पढ़ने पर रोक नहीं लगा सकता, तो थानों में जन्माष्टमी का उत्सव रोकने का मुझे कोई अधिकार नहीं है. लखनऊ में एक साथ ही योगी ने कांवड़ यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा में बाजे नहीं बजेंगे, डमरू नहीं बजेगा, माइक नहीं बजेगा, तो कांवड़ यात्रा कैसे होगी? यह कांवड़ यात्रा है, कोई शव यात्रा नहीं, जो बाजे नहीं बजेंगे'. आगे बोलते हुए योगी ने ये भी कहा कि,'मैंने अधिकारियों से सभी धार्मिक स्थलों पर माइक बैन करने का आदेश पारित करने को कहा था. अगर इसे लागू नहीं कर सकते हैं तो कांवड़ यात्रा में भी माइक पर बैन नहीं होगा, ये यात्रा ऐसे ही चलेगी.
बहरहाल, प्रदेश के एक नागरिक के तौर पर मुख्यमंत्री के ये बयान या इस तरह के अन्य बयान मुझे हैरत में डाल रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक मुझे ये लगता था कि लाउडस्पीकर, डीजे, गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी मेरे मुद्दे हैं. मेरे वो मुद्दे जिनके पक्ष या विपक्ष में, मैं सोशल मीडिया पर घंटों लम्बी बहस कर सकता था मगर जिस तरह मेरे मुख्यमंत्री तमाम विकास कार्यों को भूल उन्हीं मुद्दों पर उलझें हैं और उन्हें जबरन हथियाने की कोशिश कर रहे हैं वो मेरी नजर में निंदनीय है.
उत्तर प्रदेश के ताजा हालात के सन्दर्भ में, मैं इसी लेख के शुरूआत में लिखी बातें पुनः दोहराता हूं. पूर्व की सपा सरकार और उससे पहले की बसपा सरकार की शासनप्रणाली से त्रस्त हम प्रदेश वासियों ने एक ऐसे शासन और एक ऐसे शासक की कामना की थी जो हमारे लिए अच्छी शिक्षा का प्रबंध करे, जो हमें रोजगार दिलाए, जो हमारे प्रदेश तमाम बुनियादी सुख सुविधाएं दे. हमने एक ऐसे मुख्यमंत्री की कामना की थी जो हमें भय और अपराध मुक्त समाज दे. जिसे हमारे स्वास्थ्य और उसके अंतर्गत मिल रही सेवाओं का ख्याल हो, जो सबको साथ लेकर चले सबका विकास करे, जिसका हर फैसला किसी एक व्यक्ति के नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के हित में हो.
खैर, कहीं न कहीं आज मैं योगी को मुख्यमंत्री चुने जाने के फैसले से बहुत दुखी और बड़ा व्यथित हूं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि, जिस पार्टी को मैंने वोट किया था उससे मैंने एक शासक मांगा था. मगर उस पार्टी ने मुझे जो दिया वो एक ऐसा आदमी है जिसे न तो सबके साथ की परवाह है न सबके विकास की वो चंद मुट्ठी भर समर्थकों को खुश करने में लगा हुआ है और जब इस मुद्दे पर उससे कुछ पूछो तो जवाब मिलता है कि अगर मैं सड़क पर ईद के दिन नमाज पढ़ने पर रोक नहीं लगा सकता, तो थानों में जन्माष्टमी का उत्सव रोकने का मुझे कोई अधिकार नहीं है.
अंत में इतना ही की जब इनसे न तो सड़क पर नमाज बंद हो रही है और न ही लाउडस्पीकर तो ये कर क्या रहे हैं. जब इनसे कुछ हो नहीं रहा, कुछ संभल नहीं पा रहा तो फिर ये उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण सूबे में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर क्यों और किस हक से बैठे हैं. इन्हें तो कब का चले जाना चाहिए था और किसी ऐसे को मौका मिलना चाहिए था जो मंदिर- मस्जिद, भोंपू-लाउडस्पीकर से ऊपर उठकर बदहाल और लचर उत्तर प्रदेश के बारे में सोचे और उसके असल विकास की दिशा में काम करे.
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