चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये तो कहा ही कि वो न तो बैठेंगे और न ही बैठने देंगे - आगे की राजनीति के लिए खास तौर पर दो और बातों का जिक्र किया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी नेताओं को यूपी की जीत से उत्साहित होकर बहक जाने की बजाये विनम्र बने रहने की नसीहत दी. साथ ही, मोदी ने बीजेपी के बड़बोले नेताओं को भी अपने अंदाज में मैसेज देने की कोशिश की.
मोदी ने कहा था, 'मुंह के लालों का भी शुक्रिया, जो चुप रहे'.
बात भले ही ये तब की हो जब मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं हुई थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये बहुत प्रासंगिक हो गयी है.
बाकी बातें अपनी जगह है, योगी के सामने मोदी की इन बातों पर खरा उतरने की भी चुनौती है.
मुहं के लाल
बीजेपी की उस बैठक में मोदी ने आगाह करने के लिए भले ही किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उस फेहरिस्त में योगी आदित्यनाथ भी शामिल हैं. अयोध्या और एखलाक से लेकर लव जिहाद तक उनके बयान और विचार पर खूब विवाद होता रहा है.
योगी की चुनौती मोदी के 'सबका साथ और सबका विकास' वाले खांचे में फिट बैठना है. योगी की चुनौती पूरे समाज में उनकी स्वीकार्यता है.
बीजेपी मैनिफेस्टो में एंटी रोमियो स्क्वॉड को भी लोग उसी लव जिहाद से जोड़ कर देखते हैं - और एक खास तबके में उनके नाम को लेकर खौफ की असली वजह भी वही है.
योगी को संयम की सलाह
योगी के मामले में कट्टर हिंदू सोच वाली शिवसेना की ओर से भी सलाहियत का आना ताज्जुब से कम नहीं है. कितना दिलचस्प है तमाम मौकों पर अपने बयान और एक्शन से बवाल कराने वाले शिवसेना नेता भी योगी को संयम की सलाह दे रहे...
चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये तो कहा ही कि वो न तो बैठेंगे और न ही बैठने देंगे - आगे की राजनीति के लिए खास तौर पर दो और बातों का जिक्र किया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी नेताओं को यूपी की जीत से उत्साहित होकर बहक जाने की बजाये विनम्र बने रहने की नसीहत दी. साथ ही, मोदी ने बीजेपी के बड़बोले नेताओं को भी अपने अंदाज में मैसेज देने की कोशिश की.
मोदी ने कहा था, 'मुंह के लालों का भी शुक्रिया, जो चुप रहे'.
बात भले ही ये तब की हो जब मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं हुई थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये बहुत प्रासंगिक हो गयी है.
बाकी बातें अपनी जगह है, योगी के सामने मोदी की इन बातों पर खरा उतरने की भी चुनौती है.
मुहं के लाल
बीजेपी की उस बैठक में मोदी ने आगाह करने के लिए भले ही किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उस फेहरिस्त में योगी आदित्यनाथ भी शामिल हैं. अयोध्या और एखलाक से लेकर लव जिहाद तक उनके बयान और विचार पर खूब विवाद होता रहा है.
योगी की चुनौती मोदी के 'सबका साथ और सबका विकास' वाले खांचे में फिट बैठना है. योगी की चुनौती पूरे समाज में उनकी स्वीकार्यता है.
बीजेपी मैनिफेस्टो में एंटी रोमियो स्क्वॉड को भी लोग उसी लव जिहाद से जोड़ कर देखते हैं - और एक खास तबके में उनके नाम को लेकर खौफ की असली वजह भी वही है.
योगी को संयम की सलाह
योगी के मामले में कट्टर हिंदू सोच वाली शिवसेना की ओर से भी सलाहियत का आना ताज्जुब से कम नहीं है. कितना दिलचस्प है तमाम मौकों पर अपने बयान और एक्शन से बवाल कराने वाले शिवसेना नेता भी योगी को संयम की सलाह दे रहे हैं.
शिवसेना नेता संजय राउत कहते हैं, "उनके विवादास्पद बयान अब काम नहीं करेंगे क्योंकि अब वह भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. अगर वो इस तरह की टिप्पणियां देंगे तो पूरे राज्य का माहौल खराब हो जाएगा. अब उन्हें विकास की बात करनी चाहिए."
वैसे बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए मनोनीत किये जाने पर मोदी ने सबसे पहले जिस बात का जिक्र किया वो विकास ही था.
लगे हाथ राउत ने ये भी कह डाला कि अब अगर योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी राम मंदिर नहीं बन पाया तो फिर कभी नहीं बन पाएगा.
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