मेरा भारत महान है. संस्कृति की पूजा की जाती है यहां. औरतों को देवी माना जाता है. देवी की जगह घर और मंदिर में है और अगर उसी देवी ने मंदिर या घर के अलावा, कहीं और कदम रखने की कोशिश की, अपनी मर्जी से जीने की कोशिश की तो उसे सजा भी दी जाती है.
अगर लड़की ने स्कर्ट पहनी है या उसने शराब पी है या रात में बाहर है फिर भी किसी को उसे छूने की इजाजत नहीं है |
शॉर्ट स्कर्ट पहनना हमारी संस्कृति नहीं, महिलाओं का पार्टी करना भी नहीं, शराब पीना तो एकदम पाप है और महिलाओं का बिना पिता या पती के घर से बाहर निकलना तो जी बिलकुल बैन ही कर देना चाहिए. यही मानसिकता 2017 में भी लोगों की है. इससे ज्यादा आजाद तो शायद 1947 में महिलाएं थीं जो सुरक्षित तो महसूस करती थीं. आजादी की लड़ाई में भाग ले रही थीं. इससे ज्यादा सुरक्षित तो झांसी की रानी के समय महिलाएं थीं जो हर मुश्किल का डटकर सामना करने को तैयार थीं. जमाना बदला, लोग बदले, पहनावा बदला, लेकिन मानसिकता नहीं बदली. शॉर्ट स्कर्ट या जीन्स अगर लड़कियों को नहीं पहनना चाहिए तो लड़के क्यों जीन्स और शॉर्ट्स पहन कर घूमते हैं. क्या उन्हें धोती और कुर्ता पैजामा नहीं पहनना चाहिए. वो भी तो हमारी संस्कृति है. पर ये किसी को कहां याद रहने वाला है कि पहले पुरुष जब धोती पहनते थे तब महिलाओं के लिए साड़ी का प्रचलन था.
ये भी पढ़ें- छेड़खानी से बचने के लिए क्या ऐसा कर लें??
कोई लड़की अगर स्कर्ट पहने और उसके साथ कुछ हो जाए तो...
मेरा भारत महान है. संस्कृति की पूजा की जाती है यहां. औरतों को देवी माना जाता है. देवी की जगह घर और मंदिर में है और अगर उसी देवी ने मंदिर या घर के अलावा, कहीं और कदम रखने की कोशिश की, अपनी मर्जी से जीने की कोशिश की तो उसे सजा भी दी जाती है.
अगर लड़की ने स्कर्ट पहनी है या उसने शराब पी है या रात में बाहर है फिर भी किसी को उसे छूने की इजाजत नहीं है |
शॉर्ट स्कर्ट पहनना हमारी संस्कृति नहीं, महिलाओं का पार्टी करना भी नहीं, शराब पीना तो एकदम पाप है और महिलाओं का बिना पिता या पती के घर से बाहर निकलना तो जी बिलकुल बैन ही कर देना चाहिए. यही मानसिकता 2017 में भी लोगों की है. इससे ज्यादा आजाद तो शायद 1947 में महिलाएं थीं जो सुरक्षित तो महसूस करती थीं. आजादी की लड़ाई में भाग ले रही थीं. इससे ज्यादा सुरक्षित तो झांसी की रानी के समय महिलाएं थीं जो हर मुश्किल का डटकर सामना करने को तैयार थीं. जमाना बदला, लोग बदले, पहनावा बदला, लेकिन मानसिकता नहीं बदली. शॉर्ट स्कर्ट या जीन्स अगर लड़कियों को नहीं पहनना चाहिए तो लड़के क्यों जीन्स और शॉर्ट्स पहन कर घूमते हैं. क्या उन्हें धोती और कुर्ता पैजामा नहीं पहनना चाहिए. वो भी तो हमारी संस्कृति है. पर ये किसी को कहां याद रहने वाला है कि पहले पुरुष जब धोती पहनते थे तब महिलाओं के लिए साड़ी का प्रचलन था.
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कोई लड़की अगर स्कर्ट पहने और उसके साथ कुछ हो जाए तो लड़की की गलती, साड़ी पहने तो लड़की की गलती, बुर्का पहने तो भी लड़की की ही गलती होगी कि आखिर वो घर से बाहर निकली क्यों. अगर घर के अंदर कुछ हो जाए तो भी लड़की की ही गलती होगी क्योंकि वो लड़की है. शराब पीती है तो बदचलन है, लड़कों के साथ घूमती है तो कैरेक्टर ही नहीं है.
अगर कोई लड़की स्कर्ट पहने या शराब पिए या लेट घर से निकले तो भी वो दावत नहीं होती. लड़कों को उसे छूने का हक सिर्फ इसलिए नहीं मिल जाता क्योंकि वो लड़की है. लड़कियों का मॉर्डन होना इस बात का संकेत नहीं कि वो आपको इन्वाइट कर रही है. इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक अच्छा मैसेज दिया गया है. इस वीडियो को देखिए और खुद ही फैसला कीजिए कि क्या लड़कों ने सही किया या गलत?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.