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'सराहा' पर अश्लील मैसेज भेजने वालों, तुम्हें भगवान भी सहारा न देगा

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 13 अगस्त, 2017 01:10 PM
  • 13 अगस्त, 2017 01:10 PM
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सोशल मीडिया पर कब कौन सी चीज लोगों द्वारा हाथों हाथ ले ली जाए ये किसी को नहीं पता. ताजा मामला सराहा का है, और इसको लेकर अब जो खबर आ रही है उससे बहुत से लोगों की रात की नींद और दिन का चैन छिन सा गया है.

सोशल मीडिया का टॉयलेट युग है. एक ऐसा युग जहां गन्दगी से लेकर सफाई तक, व्यक्ति सब कुछ करने को तैयार है. सोशल मीडिया पर, 'सहमत दी', 'वाह दद्द' 'यदि आपकी आज्ञा हो तो इसे साझा कर लूं' 'बिना अनुमति शेयर कर रहा हूं' 'मजा आ गया' 'आपके पोस्ट और कमेन्ट बहुत अच्छे होते हैं' 'आप हमारे प्रेरणा स्रोत हैं' 'हमारे जीवन में वेबसाईट, टीवी और अखबार की कमी आप ही पूरी करते हैं' सरीखी बहुत सी चीजें हैं जिनको देखकर व्यक्ति आत्ममुग्ध और अंदर ही अन्दर खुश होता है.

बात अगर सोशल मीडिया की हो तो, आज फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम ही वो माध्यम हैं जिनका इस्तेमाल करते हुए एक व्यक्ति अपना फ्रस्ट्रेशन और तनाव दूर करने की नाकाम कोशिश करता है. आज के समय में लोग चाहते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए मगर सब उसकी तारीफ करें, उसकी हां में हां मिलाएं और वो व्यक्ति जिसकी तारीफ हो रही है वो सोशल मीडिया पर ऐसे ही लोगों की वाहवाही लूटता रहे.

सराहा नाम की इस नई ऐप ने सोशल मीडिया पर कोहराम मचा दिया है

सोशल मीडिया आज जिस तरह हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है उसके बाद ये कहना भी बिल्कुल दुरुस्त है कि हम व्यक्ति बाद में पहले एक प्रोफाइल हैं. एक ऐसी प्रोफाइल जो मरी जा रही है लाइक, कमेन्ट, शेयर पाने में, फॉलोवर जुटाने में. लोग फेसबुक से लेकर ट्विटर तक एक दूसरे की पीठ खुजला रहे हैं और चाह रहे हैं कि वक्त जरूरत लोग उनका साथ दें और उनकी भी पीठ खुजलाएं.

खैर मैं किसी और का नहीं जानता. अपनी बात करने और उसे बताने में यकीन रखता हूं. असल जीवन का तो पता नहीं, हां मगर सोशल मीडिया पर मैं बहुत आत्ममुग्ध इंसान हूं. इतना आत्ममुग्ध कि यदि फेसबुक और ट्विटर पर कोई मेरी हां में हां नहीं मिलाता, 'वाह दद्दा', यदि आपकी आज्ञा हो तो इसे साझा कर लूं', 'आपसे सहमत दद्दा' नहीं कहता तो मेरा...

सोशल मीडिया का टॉयलेट युग है. एक ऐसा युग जहां गन्दगी से लेकर सफाई तक, व्यक्ति सब कुछ करने को तैयार है. सोशल मीडिया पर, 'सहमत दी', 'वाह दद्द' 'यदि आपकी आज्ञा हो तो इसे साझा कर लूं' 'बिना अनुमति शेयर कर रहा हूं' 'मजा आ गया' 'आपके पोस्ट और कमेन्ट बहुत अच्छे होते हैं' 'आप हमारे प्रेरणा स्रोत हैं' 'हमारे जीवन में वेबसाईट, टीवी और अखबार की कमी आप ही पूरी करते हैं' सरीखी बहुत सी चीजें हैं जिनको देखकर व्यक्ति आत्ममुग्ध और अंदर ही अन्दर खुश होता है.

बात अगर सोशल मीडिया की हो तो, आज फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम ही वो माध्यम हैं जिनका इस्तेमाल करते हुए एक व्यक्ति अपना फ्रस्ट्रेशन और तनाव दूर करने की नाकाम कोशिश करता है. आज के समय में लोग चाहते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए मगर सब उसकी तारीफ करें, उसकी हां में हां मिलाएं और वो व्यक्ति जिसकी तारीफ हो रही है वो सोशल मीडिया पर ऐसे ही लोगों की वाहवाही लूटता रहे.

सराहा नाम की इस नई ऐप ने सोशल मीडिया पर कोहराम मचा दिया है

सोशल मीडिया आज जिस तरह हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है उसके बाद ये कहना भी बिल्कुल दुरुस्त है कि हम व्यक्ति बाद में पहले एक प्रोफाइल हैं. एक ऐसी प्रोफाइल जो मरी जा रही है लाइक, कमेन्ट, शेयर पाने में, फॉलोवर जुटाने में. लोग फेसबुक से लेकर ट्विटर तक एक दूसरे की पीठ खुजला रहे हैं और चाह रहे हैं कि वक्त जरूरत लोग उनका साथ दें और उनकी भी पीठ खुजलाएं.

खैर मैं किसी और का नहीं जानता. अपनी बात करने और उसे बताने में यकीन रखता हूं. असल जीवन का तो पता नहीं, हां मगर सोशल मीडिया पर मैं बहुत आत्ममुग्ध इंसान हूं. इतना आत्ममुग्ध कि यदि फेसबुक और ट्विटर पर कोई मेरी हां में हां नहीं मिलाता, 'वाह दद्दा', यदि आपकी आज्ञा हो तो इसे साझा कर लूं', 'आपसे सहमत दद्दा' नहीं कहता तो मेरा बीपी, शुगर, कोलेस्ट्रॉल सब बढ़ जाता है और फिर मुझे बहुत गुस्सा आता है.

बात अभी कुछ दिनों पहले की है. यूं ही फेसबुक स्क्रॉल कर रहा तो किसी दोस्त ने "सराहा" नाम का कुछ डाला हुआ था, जिसमें उसका नाम लिखा था बात आई गयी हो गयी. कुछ देर बाद उसी मित्र का दोबारा फेसबुक पोस्ट आया किसी 'अज्ञात' माशूक ने अपने दिल की बात लिखते हुए उसे प्रोपोज किया था. अभी उस दोस्त की वो फेसबुक पोस्ट पढ़ ही रहा था कि और कई लोगों ने अपनी-अपनी प्रोफाइल पर इस ऐप पर आए मैसेज शेयर किये. 'सराहा' पर लोगों को मिल रही सराहना को देखकर मेरी भी बेचैनी के कीड़े कुलबुलाए और मैंने भी गूगल प्ले स्टोर से इस ऐप को डाउनलोड कर लिया.

जहां एक तरफ इस ऐप के कई फायदे हैं तो वहीं इसका इस्तेमाल अश्लील मैसेज भेजने के लिए भी किया जा रहा है

एक वो क्षण था, एक ये क्षण है. मेरे पास कई मैसेज आए. मैंने कई मैसेज भेजे. मुझे अब तक इस ऐप से जितने भी गुमनाम मैसेज मिले उसमें शायद 2 प्रतिशत ही ऐसे थे जिसमें किसी ने मुझे खरी खोटी सुनाई हो या फिर भला बुरा कहा हो. यदि मैं बाद अपनी करूं तो, कुछ लोगों से मौज तो जरूर ली है मगर अभी तक मैंने किसी को कोई अभद्र सन्देश और प्यार मुहब्बत के अफसाने नहीं लिखे हैं.

बीती रात लैपटॉप पर फेसबुक खोले मैं मोबाइल पर न्यूज पढ़ रहा था तो एक बेहद अजीब सी खबर, आंखों के सामने से गुजरी. खबर कुछ यूं थी कि, इन दिनों भारतीय युवाओं के बीच खासी लोकप्रिय ऐप 'सराहा' जल्द ही लोगों की आइडेंटिटी डिस्क्लोज कर सकती है. इसके पीछे की वजह जानी तो मालूम चला कि ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि लोगों की एक बड़ी संख्या साइबर बुलींग का शिकार हो रही है. ज्ञात हो कि सराहा एक ऐसी ऐप है जिसपर रजिस्टर करके कोई भी एक दूसरे को किसी भी तरह के कैसे भी मैसेज भजे सकता है और इसमें भेजने वाले व्यक्ति का नाम सामने नहीं आता है.

जब से ये खबर सोशल मीडिया पर उड़ी है लोग बेचैन हो गए हैं. हमारे एक मित्र इस खबर को सुनकर इतने आहत हैं कि कल रात से लेकर अब तक उन्होंने न अन्न का एक दाना ही खाया है और न ही पानी पिया है. जब मैंने उनसे इसकी वजह पूछी, तो न सोने के चलते लाल हुई आंखों में नमी लिए हुए वो मुझसे बोले, 'यार मैं शादी शुदा आदमी हूं और दो छोटे-छोटे बच्चे भी हैं. अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा' दोस्त से हुई बात का निचोड़ ये निकला कि शादीशुदा होने के बावजूद उन्होंने कई महिलाओं को 'ऐसे-वैसे, जैसे-तैसे' मैसेज भेजे थे.

यदि ये ऐप यूजर की आइडेंटिटी डिस्क्लोज करती है तो इससे बहुतों को मुसीबत होगी

खाली ये समस्या मेरे दोस्त की नहीं है. वो तमाम लोग इस खबर से खासे परेशान हैं. जिन्होंने इस ऐप का इस्तेमाल करते हुए प्यार और फ़्लर्ट के पेच लड़ाए, रंजिशों के चलते एक दूसरे को गालियां दीं. इस ऐप के चलते कुंवारे इसलिए परेशान हैं क्योंकि उन्हें अपनी सोशल इमेज की फिक्र है तो वहीं शादीशुदा इसलिए परेशान हैं क्योंकि अगर किसी ने उनकी आइडेंटिटी डिस्क्लोज कर दी तो फिर बीवी और ससुराल के सामने क्या इज्जत रह जाएगी. अगर ऐसा हो गया तो निश्चित बात तलाक, कोर्ट कचहरी तक आ जाएगी और मजाक-मजाक के चलते अच्छा खासा हंसता खेलता जीवन चौपट हो जाएगा.

अच्छा हां, अब इस बात से तो कोई भी इंकार नहीं कर सकता कि हिन्दुस्तान में जिसका सामना कोर्ट और कचहरी से होता है न वो सोशल ही बचता है और न ही उसकी सोसाइटी में कोई इज्जत ही बचती है. अंत में इतना ही कि यदि आपने किसी को ऐसे मैसेज भेजे हैं जिससे सामने वाले की भावना आहत हुई है, तो आज ही बल्कि इसी वक्त, भगवान की शरण में चले जाइए और वहां जाकर यही दुआ करिए कि ये सोशल ऐप आपको रहम की निगाह से देखते हुए आपकी आइडेंटिटी डिस्क्लोज न करे. यकीन मानिए अगर ये ऐप ऐसा कर देती है तो फिर न आप घर के रहेंगे और न घाट के. तो अब देर किस बात की जाइए और बस ईश्वर का नाम जपिए. ईश्वर बड़े दयालु हैं क्या पता वो आपको माफ ही कर दें.    

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