1. देश में कोर बैंकिंग यानी बैंकों का कंप्यूटराइजेशन 1981 में शुरू हुआ. इंदिरा गांधी के राज में. इसी साल इनफोसिस की स्थापना हुई. इनफोसिस ही वो कंपनी है जिसने कोर बैंकिंग का सॉफ्टवेयर तैयार किया. देश में ब्रांच स्तर तक इंटरनेट बैंकिंग 1984 से 1987 के बीच हुई, राजीव गांधी के राज में, इनफोसिस के प्लेटफॉर्म पर.
लेकिन इससे बैंकों में नौकरियां कम होने लगीं. कंप्यूटराइजेशन का साइड इफेक्ट. तो क्या हमें ये मान लेना चाहिए कि कांग्रेस ने इनफोसिस से सांठगांठ के कारण बैंक में कंप्यूटराइजेशन करवाया और कर्मचारियों का अहित किया ?
2. मोबाइल टेक्नोलॉजी का दौर आया तो सबसे ज्यादा असर टेलिकॉम सेक्टर की मोनोपॉली का मजा ले रहे सरकारी उपक्रम बीएसएनएल पर हुआ. अपनी सेवाओं के दम पर आदित्य बिड़ला, सुनील भारती मित्तल, टाटा और रिलायंस ने फायदा उठाया. किसी ने यह आरोप क्यों नहीं लगाया कि सरकार मोबाइल सेवाएं प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए शुरू कर रही है.
1995 के बाद से अब तक की सरकारों का यह कोई भ्रष्टाचार है ?
ये भी पढ़ें- ...तो कोई भी मोबाइल वॉलेट पूरा 'भारतीय' नहीं !
अब मुद्दे पर आते हैं-
Paytm के संस्थापक और कंपनी के सीईओ विजय शेखर शर्मा का एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है. कंपनी के एनुअल डे पर वे जबर्दस्त पार्टी कर रहे हैं. स्टेज पर झूमते हुए वे कंपनी के सैकड़ों कर्मचारियों से कह रहे हैं कि 'आपने जो किया है वह देश की और किसी कंपनी ने किया है.' लेकिन इस बात को कहने का उनका जो अंदाज है, वह कई लोगों को खटक रहा है.
नोटबंदी के बाद से पेटीएम को बहुत फायदा हुआ है. वैसे...
1. देश में कोर बैंकिंग यानी बैंकों का कंप्यूटराइजेशन 1981 में शुरू हुआ. इंदिरा गांधी के राज में. इसी साल इनफोसिस की स्थापना हुई. इनफोसिस ही वो कंपनी है जिसने कोर बैंकिंग का सॉफ्टवेयर तैयार किया. देश में ब्रांच स्तर तक इंटरनेट बैंकिंग 1984 से 1987 के बीच हुई, राजीव गांधी के राज में, इनफोसिस के प्लेटफॉर्म पर.
लेकिन इससे बैंकों में नौकरियां कम होने लगीं. कंप्यूटराइजेशन का साइड इफेक्ट. तो क्या हमें ये मान लेना चाहिए कि कांग्रेस ने इनफोसिस से सांठगांठ के कारण बैंक में कंप्यूटराइजेशन करवाया और कर्मचारियों का अहित किया ?
2. मोबाइल टेक्नोलॉजी का दौर आया तो सबसे ज्यादा असर टेलिकॉम सेक्टर की मोनोपॉली का मजा ले रहे सरकारी उपक्रम बीएसएनएल पर हुआ. अपनी सेवाओं के दम पर आदित्य बिड़ला, सुनील भारती मित्तल, टाटा और रिलायंस ने फायदा उठाया. किसी ने यह आरोप क्यों नहीं लगाया कि सरकार मोबाइल सेवाएं प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए शुरू कर रही है.
1995 के बाद से अब तक की सरकारों का यह कोई भ्रष्टाचार है ?
ये भी पढ़ें- ...तो कोई भी मोबाइल वॉलेट पूरा 'भारतीय' नहीं !
अब मुद्दे पर आते हैं-
Paytm के संस्थापक और कंपनी के सीईओ विजय शेखर शर्मा का एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है. कंपनी के एनुअल डे पर वे जबर्दस्त पार्टी कर रहे हैं. स्टेज पर झूमते हुए वे कंपनी के सैकड़ों कर्मचारियों से कह रहे हैं कि 'आपने जो किया है वह देश की और किसी कंपनी ने किया है.' लेकिन इस बात को कहने का उनका जो अंदाज है, वह कई लोगों को खटक रहा है.
नोटबंदी के बाद से पेटीएम को बहुत फायदा हुआ है. वैसे ही जैसे कभी मोबाइल सेवाएं शुरू होने पर टाटा, अंबानी, बिड़ला को हुआ था. बैंकों के कंप्यूटराइजेशन से इनफोसिस और टीसीएस को हुआ था.
पेटीएम सीईओ विजय शेखर शर्मा का अपनी सफलता पर खुश होना बनता भी है. वे अपने साथियों का एक पार्टी में हौसला बढ़ा रहे हैं. बाजार में क्रूर प्रतिस्पर्धा है. और इस क्रूरता का सामना करने के लिए हर कॉर्पोरेट्स ऐसी बातें करते हैं.
जश्न में डूबे पेटीएम सीईओ विजय शेखर शर्मा न जाने क्या क्या कह गए और वह लोगों को चुभ गया. |
लेकिन पेटीएम सीईओ को ट्विटर पर ट्रोल करने वाले उन्हें सड़कछाप कह रहे हैं. अलीगढ़ में जन्मे और दिल्ली से ही इंजीनियरिंग करने वाले शर्मा 2010 से पेटीएम बनाकर बैठे हैं. ई-वॉलेट लाने वाली पहली भारतीय कंपनी बनाई. सात साल से वे अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे.
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हालांकि, शर्मा को कोसने से पहले उनके विरोधियों को यह जान लेना चाहिए कि पिछले साल भी वे स्टेज पर चढ़कर ऐसे ही झूमे थे.
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