मानना तो पड़ेगा आजकल के छात्रों को, जो हमारा समाज सोच नहीं पाता, वो ये कर देते हैं. ये सजगता है, उत्साह है या फिर रचनात्मकता, लेकिन जो भी है उसने इस समाज के सामने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं.
मुंबई की मास मीडिया स्टूडेंट युक्ति भागचंदानी ने एक फोटो प्रोजेक्ट के जरिए उन सारी आलोचनाओं को समाज के सामने लाने की कोशिश की है जो अक्सर वो महिलाएं झेलती हैं जो देखने भालने में परफैक्ट से जरा सी भी कम होती हैं. वो भले ही अपने शरीर की छोटी-छोटी खामियों को इग्नोर करती हों लेकिन समाज उन्हें उन्हीं खामियों के चलते बेहद असंवेदनशील बातें करता है.
नजर डालते हैं उन महिलाओं के अनुभवों पर जिन्हें युक्ति ने कैमरे में कैद किया-
1. बड़े पेट पर-
2. डबल चिन पर-
3. पतला होने पर-
4. माथा...
मानना तो पड़ेगा आजकल के छात्रों को, जो हमारा समाज सोच नहीं पाता, वो ये कर देते हैं. ये सजगता है, उत्साह है या फिर रचनात्मकता, लेकिन जो भी है उसने इस समाज के सामने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं.
मुंबई की मास मीडिया स्टूडेंट युक्ति भागचंदानी ने एक फोटो प्रोजेक्ट के जरिए उन सारी आलोचनाओं को समाज के सामने लाने की कोशिश की है जो अक्सर वो महिलाएं झेलती हैं जो देखने भालने में परफैक्ट से जरा सी भी कम होती हैं. वो भले ही अपने शरीर की छोटी-छोटी खामियों को इग्नोर करती हों लेकिन समाज उन्हें उन्हीं खामियों के चलते बेहद असंवेदनशील बातें करता है.
नजर डालते हैं उन महिलाओं के अनुभवों पर जिन्हें युक्ति ने कैमरे में कैद किया-
1. बड़े पेट पर-
2. डबल चिन पर-
3. पतला होने पर-
4. माथा चौड़ा होने पर-
5. आंखों के डार्क सर्कल्स पर -
6. बर्थ मार्क पर-
7. कूबड़ निकला हो तो-
9. खुरदरे हाथों पर-
10. मांसल बाहों पर-
11. फटी एड़ियों पर-
13. टूटे दांत पर-
14. स्ट्रेच मार्क्स पर-
ये मजाक हो या जानबूझकर की गई बातें, लेकिन कितनी ही बार ये सब कहकर कितनों के दिल तोड़ दिए जाते हैं. और ये बेहद अंवेदनशील बातें व्यक्ति को हमेशा के लिए याद रह जाती हैं. उन्हें भले ही अहसास न हो कि वो कैसी हैं लेकिन जब उन्हें अहसास करवाया जाता है तो वो आईने में खुद को देखकर असहज महसूस करने लगती हैं. महिलाएं अपनी खामियों के साथ खुद को स्वीकारें और सकारात्मक सोच के साथ जीवन जिएं यही इस फोटो प्रोजेक्ट का उद्देश्य था.
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