दुनिया में, भांति भांति के देश हैं और उनके अपने कानून हैं. कहीं शासक के खिलाफ बोलना राष्ट्रद्रोह है. कहीं शासन व्यवस्था पर अंगुली उठाना अपनी मौत को खुला निमंत्रण देना है. कहीं लोग इंसानों की तुलना में, जानवरों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं तो कहीं पूरा देश ही राम भरोसे चल रहा है.
दुनिया विचित्र है और इस विचित्र दुनिया के देश अनोखे. बात अगर अनोखे देशों की हो तो सम्पूर्ण मिडिल ईस्ट और इसमें भी खासतौर से सऊदी अरब को नहीं नकारा जा सकता. सउदी अरब मध्यपूर्व मे स्थित एक सुन्नी मुस्लिम देश है. यह एक इस्लामी राजतंत्र है जिसकी स्थापना 1750 के आसपास सउद द्वारा की गई थी. चूंकि सऊदी एक मुस्लिम देश है तो यहां के नियम और कानून भी पूर्णतः इस्लामिक हैं. यहां इस्लामिक नियमों को तोड़ना न सिर्फ कुफ्र में शुमार है बल्कि इसे तोड़ने के चलते व्यक्ति को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ सकता है.
बात अगर इस देश में महिलाओं की स्वतंत्रता पर हो तो बस इतना समझ लीजिये एक आम सऊदी वासी के लिए औरत सिर्फ भोग की वस्तु और संतानोत्पत्ति का माध्यम है. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने, सऊदी में, औरतों और उनके हक को लेकर भले ही क्यों न, बड़ी - बड़ी बातें हों. मगर जहर सरीखी कड़वी सच्चाई यही है कि वहां के संविधान में 'औरतों के हक' नाम का कोई अनुच्छेद नहीं है. सऊदी में महिलाओं को कितना हक दिया जाता है, उनके कितने अधिकार हैं इस बात को आप हाल फ़िलहाल में हुई एक छोटी सी घटना से समझ सकते हैं.
दुनिया में, भांति भांति के देश हैं और उनके अपने कानून हैं. कहीं शासक के खिलाफ बोलना राष्ट्रद्रोह है. कहीं शासन व्यवस्था पर अंगुली उठाना अपनी मौत को खुला निमंत्रण देना है. कहीं लोग इंसानों की तुलना में, जानवरों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं तो कहीं पूरा देश ही राम भरोसे चल रहा है.
दुनिया विचित्र है और इस विचित्र दुनिया के देश अनोखे. बात अगर अनोखे देशों की हो तो सम्पूर्ण मिडिल ईस्ट और इसमें भी खासतौर से सऊदी अरब को नहीं नकारा जा सकता. सउदी अरब मध्यपूर्व मे स्थित एक सुन्नी मुस्लिम देश है. यह एक इस्लामी राजतंत्र है जिसकी स्थापना 1750 के आसपास सउद द्वारा की गई थी. चूंकि सऊदी एक मुस्लिम देश है तो यहां के नियम और कानून भी पूर्णतः इस्लामिक हैं. यहां इस्लामिक नियमों को तोड़ना न सिर्फ कुफ्र में शुमार है बल्कि इसे तोड़ने के चलते व्यक्ति को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ सकता है.
बात अगर इस देश में महिलाओं की स्वतंत्रता पर हो तो बस इतना समझ लीजिये एक आम सऊदी वासी के लिए औरत सिर्फ भोग की वस्तु और संतानोत्पत्ति का माध्यम है. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने, सऊदी में, औरतों और उनके हक को लेकर भले ही क्यों न, बड़ी - बड़ी बातें हों. मगर जहर सरीखी कड़वी सच्चाई यही है कि वहां के संविधान में 'औरतों के हक' नाम का कोई अनुच्छेद नहीं है. सऊदी में महिलाओं को कितना हक दिया जाता है, उनके कितने अधिकार हैं इस बात को आप हाल फ़िलहाल में हुई एक छोटी सी घटना से समझ सकते हैं.
अपने विडियो में खुलूद बमुश्किल 8 कदम चली थी मगर इस वीडियो के आने के बाद न सिर्फ सऊदी अरब बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट में हडकंप मच गया है. आज हालत ये है कि न देश के आम लोगों के अलावा राज परिवार भी इस घटना की निंदा कर रहा है और ये मानता है कि इस महिला को देश का कठोर शरिया कानून तोड़ने के चलते कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए.
सऊदी में खुलूद और उसके इस विडियो को लेकर हल्ला क्यों मचा है, यदि इसके कारणों पर नजर डालें तो मिलता है कि, सऊदी में महिलाओं की स्थिति बहुत दयनीय है. सऊदी में एक महिला अकेले बाहर नहीं निकल सकती, कहीं आ जा नहीं सकती. अपने रोजमर्रा के कामों के लिए बाजार नहीं जा सकती.
यदि वहां एक महिला को कहीं जाना है तो उसे अबाया द्वारा अपने आप को ढंक कर और किसी पुरुष को साथ लेकर जाना है. ऐसे में लाजमी है कि अबाया छोड़, मिनी स्कर्ट और क्रॉप टॉप पहन के रैम्प करना वहां के लोगों की भावना को आहत कर देगा.
गौरतलब है कि सऊदी अरब और वहां के कट्टरपंथी कानून की दुनिया भर में निंदा की जाती है. सऊदी को लेकर आम दनिया के बीच ये राय है कि ये एक ऐसा देश है जो यदि समाज की मुख्यधारा और समान कानून से नहीं जुड़ा तो जल्द ही इसे उसका चरमपंथ नष्ट कर देगा.
वीडियो देखें -
لو كانت اجنبية كان تغزلوا بجمال خصرها وفتنتة عيناها .. بس لانها سعودية يطلبوا محاكمتها ! #مطلوب_محاكمة_مودل_خلود pic.twitter.com/ttYqynySN2
— فاطمة العيسى (@50BM_) July 16, 2017
बहरहाल अंत में ये कहना हमारे लिए कोई बड़ी बात न होगी कि रेगिस्तान के बीचों बीच टेंट लगाकर बैली डांस के सुरूर में मस्त बद्दू अगर मिनी स्कर्ट और क्रॉप टॉप वाली कैट वॉक से अपनी भावनाएं आहत कर लें तो ये और कुछ नहीं बस दोगलापन है जिसकी हमें कड़े शब्दों में निंदा करते हुए उसपर कठोर कदम उठाने चाहिए.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.