पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिमों के प्रति दुनिया की सोच में काफी अंतर आया है. या यूं कहेें इस्लाम के प्रति लोगों का डर, नफरत और गुस्सा 9/11 जैसी आतंकी घटनाओं के बाद काफी बढ़ा है. पिछले वर्ष यूरोप में हुई आतंकी घटनाओं के बाद दुनिया भर में इस्लामोफोबिया में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.
इसका नुकसान दुनिया भर के ईमानदार और मेहनती मुसलमानों को उठाना पड़ता है जिन्हें महज मुट्ठी भर पथभ्रष्ट, सिरफिरे और कट्टरपंथी मुस्लिमों के कारण शक की नजरों से देखा जाता है. हर मुस्लिम आंतकी नहीं होता है लेकिन मुस्लिम आतंकी संगठनों द्वारा किए जाने वाले हर हमले के बाद दुनिया भर के मुस्लिमों को शक भरी निगाहों से देखा जाता है और उन्हें बार-बार ये साबित करना पड़ता है कि पूरे इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ना और हर मुस्लिम को आतंकी समझने की सोच कितनी गलत है.
ऐसे में जरा सोचिए कि अगर ये दुनिया बिना मुस्लिमों के हो जाए तो क्या होगा? सवाल तो वाकई मुश्किल है, लेकिन इसका जवाब बहुत ही शानदार है, जो मुस्लिमों से नफरत करने वालों के लिए सीख भी है. 9/11 हमले के बाद एक ब्लॉगर ने मुस्लिमों के खिलाफ नाराजगी दिखते हुए 'मुस्लिमों के बिना दुनिया' के कैप्शन के साथ वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की तस्वीर शेयर की थी.
अब सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म टम्बलर (Tumblr) पर whatpath (व्हॉटपैथ) नामक यूजर ने उसी के जवाब में 'मुस्लिमों के बिना दुनिया' के सवाल का जितने बेहतरीन अंदाज में जवाब दिया है वह वाकई में काबिलेतारीफ है. देखिए उसने मुस्लिमों के बिना कैसी दुनिया के बारे में बताया है. ये पोस्ट सोशल मीडिया पर जबर्दस्त ढंग से वायरल हो गई है.
यह भी पढ़ें: एक मुसलमान कभी नहीं बन सकता भारत का प्रधानमंत्री
पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिमों के प्रति दुनिया की सोच में काफी अंतर आया है. या यूं कहेें इस्लाम के प्रति लोगों का डर, नफरत और गुस्सा 9/11 जैसी आतंकी घटनाओं के बाद काफी बढ़ा है. पिछले वर्ष यूरोप में हुई आतंकी घटनाओं के बाद दुनिया भर में इस्लामोफोबिया में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. इसका नुकसान दुनिया भर के ईमानदार और मेहनती मुसलमानों को उठाना पड़ता है जिन्हें महज मुट्ठी भर पथभ्रष्ट, सिरफिरे और कट्टरपंथी मुस्लिमों के कारण शक की नजरों से देखा जाता है. हर मुस्लिम आंतकी नहीं होता है लेकिन मुस्लिम आतंकी संगठनों द्वारा किए जाने वाले हर हमले के बाद दुनिया भर के मुस्लिमों को शक भरी निगाहों से देखा जाता है और उन्हें बार-बार ये साबित करना पड़ता है कि पूरे इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ना और हर मुस्लिम को आतंकी समझने की सोच कितनी गलत है. ऐसे में जरा सोचिए कि अगर ये दुनिया बिना मुस्लिमों के हो जाए तो क्या होगा? सवाल तो वाकई मुश्किल है, लेकिन इसका जवाब बहुत ही शानदार है, जो मुस्लिमों से नफरत करने वालों के लिए सीख भी है. 9/11 हमले के बाद एक ब्लॉगर ने मुस्लिमों के खिलाफ नाराजगी दिखते हुए 'मुस्लिमों के बिना दुनिया' के कैप्शन के साथ वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की तस्वीर शेयर की थी. अब सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म टम्बलर (Tumblr) पर whatpath (व्हॉटपैथ) नामक यूजर ने उसी के जवाब में 'मुस्लिमों के बिना दुनिया' के सवाल का जितने बेहतरीन अंदाज में जवाब दिया है वह वाकई में काबिलेतारीफ है. देखिए उसने मुस्लिमों के बिना कैसी दुनिया के बारे में बताया है. ये पोस्ट सोशल मीडिया पर जबर्दस्त ढंग से वायरल हो गई है. यह भी पढ़ें: एक मुसलमान कभी नहीं बन सकता भारत का प्रधानमंत्री
हां, चलिए बिना मुस्लिमों की दुनिया की कल्पना करें. बिना मुस्लिमों के आपके पास नहीं होती कॉफी कैमरा एक्सपेरीमेंटल फीजिक्स चेस साबुन शैंपू परफ्यूम/इत्र सिंचाई क्रैंक-शाफ्ट, आंतरिक दहन इंजन, वॉल्वस, पिस्टंस कॉम्बिनेशन ताले आर्किटेक्चरल इनोवेशन (यूरोपियन गोथिक कैथेड्रल्स ने इस टेक्नीक को अपना लिया क्योंकि इससे बिल्डिंग ज्यादा मजबूत बन गई, खिड़कियां बनने लगीं, गुबंद वाली बिल्डिंग्स और राउंड टावर्स आदि बनने लगे) सर्जिकल यंत्र एनेस्थेसिया विंडमिल ट्रीटमेंट ऑफ काउपॉक्स फाउंटेन पेन गिनती प्रणाली अल्जेबरा/ट्रिग्नोमेट्री आधुनिक क्रिप्टोलॉजी तीन नियमित भोजन (सूप, मांस/मछली, फल/नट्स) क्रिस्टल ग्लास कारपेट चेक बगीचे का आयुर्वेद और किचेन के बजाय खूबसूरती और मेडिटेशन के तौर पर प्रयोग यूनवर्सिटी ऑप्टिक्स म्यूजिक टूथब्रश हॉस्पिटल्स नहाना रजाई ओढ़ना समुद्र यात्रियों का कंपास सॉफ्ट ड्रिंक पेंडुलम ब्रेल कॉस्मेटिक्स प्लास्टिक सर्जरी हस्तलिपि पेपर और कपड़े की मैन्युफैक्चरिंग ये मुस्लिम ही थे जिन्होंने बताया कि रोशनी हमारी आंखों में प्रवेश करती है, जबकि ग्रीक लोगों का मानना था कि हमारी आंखें रोशनी निकालती हैं, और इस खोज से कैमरे का आविष्कार हुआ. सबसे पहले 852 में उड़ने की कोशिश एक मुस्लिम ने ही की थी, भले ही इसका श्रेय राइट ब्रदर्स ने लिया. जीबर इब्न हय्यान नामक मुस्लिम को आधुनिक केमस्ट्री का पिता माना जाता है. उन्होंने एल्केमी को केमिस्ट्री में परिवर्तित किया. उन्होंने डिस्टलेश, प्यूरीफिकेशन, ऑक्सीडेशन, वाष्पीकरण और फिल्टरेशन का आविष्कार किया. साथ ही उन्होंने सल्फरिक और निट्रिक एसिड की भी खोज की. अल-जाज़ारी नामक मुस्लिम को रोबोटिक्स के पिता के तौर पर जाना जाता है. हेनरी पांचवें के किले का आर्किटेक्ट एक मुस्लिम ही था. आंखों से मोतियाबिंद को खत्म करने के लिए खोखली सुइयों का आविष्कार एक मुस्लिम ने ही किया था, एक ऐसी तकनीक जिसे आज भी प्रयोग किया जाता है. काउपॉक्स के इलाज का टीक एक मुस्लिम ने खोजा था न कि जेनर और पॉस्टर ने. पश्चिम ने इसे तुर्की से अपना लिया. ये मुस्लिम ही थे जिन्होंने अल्जेबरा और ट्रिगनोमेट्री में काफी योगदान दिया, जिसे 300 साल बाद फिबोननैकी और बाकियों से यूरोप ले जाया गया. गैलीलियों से 500 साल पहले ये मुस्लिम ही थे जिन्होंने ये खोज लिया था कि धरती गोल है. लिस्ट और भी है.... मुस्लिमों के बिना दुनिया की कल्पना करिए. मेरा ख्याल है कि आपका मतलब था कि बिना आतंकियों के दुनिया की कल्पना करो. और तब मैं आपसे सहमत होऊंगा, दुनिया उन घटिया लोगों के बिना एक बेहतर जगह होगी. लेकिन कुछ लोगों के कृत्य के लिए पूरे समूह को जिम्मेदार ठहराना अज्ञानता और रेसिस्ट है. क्या कोई भी ईसाई या गोरे लोगों को टिमोथी मैक्वेग (ओक्लाहोमा बम हमला ) या आंद्रेज ब्रेविक (नार्वे किलिंग), या उस गनमैन जिसने क्रांगेस की महिला सदस्य गिफोर्ड के सिर में गोली मारी और 6 लोगों को मारा और 12 को घायल कर दिया जैसों की कृत्य का जिम्मेदार ठगराएगा. इसलिए क्योंकि उनका इन घटनाओं से कोई लेनादेना नहीं था! इसी तरह 1.5 अरब मुसलमानों का इस घटना से कोई लेनादेना नहीं है! यह भी पढ़ें: क्या भारत में मुस्लिम हावी हो रहे हैं? नहीं इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |