हॉस्टल लाइफ का मतलब होता है मस्ती, मजा. हर किसी को जीवन में कम-से-कम एक बार तो हॉस्टल लाइफ जीना ही चाहिए, तभी पता चलेगा कि ये कितनी मस्त जिंदगी होती है. ये और बात है कि इसी हॉस्टल लाइफ में मेस का सड़ा हुआ खाना भी नसीब होता है. हर दीवार पर छिपकलियों का नजारा दिख जाता है. और कभी-कभी हॉस्टल वार्डन में हिटलर की आत्मा के दर्शन भी हो जाते हैं. लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि हॉस्टल के दिनों की याद जीवन भर की होती है.
अगर आपने भी कभी हॉस्टल लाइफ जी है तो इन 5 चीजों को आप खुद से जरूर जोड़ पाएंगे-
वहां परियां नहीं, भूतनियां रहती हैं-
बॉलीवुड की फिल्मों में लड़कियों के हॉस्टल को स्वर्ग की तरह दिखाया जाता है. इसे इतना ग्लैमरस पेश किया जाता है कि मानों वहां लड़कियां नहीं अप्सराएं रहतीं हों. दिखाया जाता है कि हॉस्टलों में हॉट लड़कियां तौलिए और माइक्रो-मिनी स्कर्ट पहनकर घूमती रहती हैं. लेकिन सच मानिए, ये कोरी बकवास है. हॉस्टल में ऐसा कुछ नहीं होता. बल्कि इसके ठीक उल्टा ही होता है. यहां लड़कियां पाजामे, शार्ट्स और मैले कुचैले कई छेदों वाले टी-शर्ट पहने घूमती हैं. वो भी ऐसे पजामे जिनकी हफ्तों से धुलाई नहीं हुई होती है. ग्लैमर नाम की चिड़िया का वहां से दूर-दूर का रिश्ता नहीं होता. हां भूतनियों का डेरा जरुर कह सकते हैं उसे.
लड़कियां तकियों से लड़ाई नहीं करतीं-
क्या सच में! आखिर ऐसी घिसी-पिटी बात कोई सोच भी कैसे सकता है? आखिर क्यों लोग सोचते हैं कि लड़कियां एक दूसरे से तकिए के जरिए ही लड़ती हैं? मैंने हॉस्टल में लड़कियों की लड़ाई देखी है. और मैं आपको बताती हूं कि वो कैसा होता है. खून-खराबा...
हॉस्टल लाइफ का मतलब होता है मस्ती, मजा. हर किसी को जीवन में कम-से-कम एक बार तो हॉस्टल लाइफ जीना ही चाहिए, तभी पता चलेगा कि ये कितनी मस्त जिंदगी होती है. ये और बात है कि इसी हॉस्टल लाइफ में मेस का सड़ा हुआ खाना भी नसीब होता है. हर दीवार पर छिपकलियों का नजारा दिख जाता है. और कभी-कभी हॉस्टल वार्डन में हिटलर की आत्मा के दर्शन भी हो जाते हैं. लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि हॉस्टल के दिनों की याद जीवन भर की होती है.
अगर आपने भी कभी हॉस्टल लाइफ जी है तो इन 5 चीजों को आप खुद से जरूर जोड़ पाएंगे-
वहां परियां नहीं, भूतनियां रहती हैं-
बॉलीवुड की फिल्मों में लड़कियों के हॉस्टल को स्वर्ग की तरह दिखाया जाता है. इसे इतना ग्लैमरस पेश किया जाता है कि मानों वहां लड़कियां नहीं अप्सराएं रहतीं हों. दिखाया जाता है कि हॉस्टलों में हॉट लड़कियां तौलिए और माइक्रो-मिनी स्कर्ट पहनकर घूमती रहती हैं. लेकिन सच मानिए, ये कोरी बकवास है. हॉस्टल में ऐसा कुछ नहीं होता. बल्कि इसके ठीक उल्टा ही होता है. यहां लड़कियां पाजामे, शार्ट्स और मैले कुचैले कई छेदों वाले टी-शर्ट पहने घूमती हैं. वो भी ऐसे पजामे जिनकी हफ्तों से धुलाई नहीं हुई होती है. ग्लैमर नाम की चिड़िया का वहां से दूर-दूर का रिश्ता नहीं होता. हां भूतनियों का डेरा जरुर कह सकते हैं उसे.
लड़कियां तकियों से लड़ाई नहीं करतीं-
क्या सच में! आखिर ऐसी घिसी-पिटी बात कोई सोच भी कैसे सकता है? आखिर क्यों लोग सोचते हैं कि लड़कियां एक दूसरे से तकिए के जरिए ही लड़ती हैं? मैंने हॉस्टल में लड़कियों की लड़ाई देखी है. और मैं आपको बताती हूं कि वो कैसा होता है. खून-खराबा होता है जी खून-खराबा! गाली-गलौज, लात-मुक्के सब कुछ होता है उनकी लड़ाईयों में. कोई भी लड़की तकिया लाने के लिए अपने बेडरुम की ओर नहीं भागती बल्कि सामने वाली का मुंह नोचनें के लिए जरुर दौड़ पड़ती हैं. दुनिया को सच्चाई का पता चलना जरुरी है.
कपड़े उधार लेना रोज की बात है-
ईमानदारी से बताइएगा क्या आपको याद है कि कब आप किसी पार्टी में अपने कपड़े पहनकर गई थीं? यार रूममेट के कपड़े पहनकर घूमने का अपना ही मजा होता है. ओह! क्या मस्त टाइम होता था वो भी जब रुममेट की अलमारी पर हमला कर देते और उसके सारे कपड़े निकाल कर ट्राई करते की कौन सा फिट होता है.
एक तरह से उसके कपड़े उससे ज्यादा आपके होते हैं. जब भी वो शॉपिंग जाती है तो दरवाजे पलक-पावड़े बिछाए आप इंतजार कर रही होती हैं कि कब वो वापस आए और आप धावा बोलें. और इसके पहले कि वो आपको अपने कपड़े पहन कर दिखाए आप खुद उसके कपड़ों में इतरा रही होती हैं.
आधी रात को मेकअप का बुखार चढ़ जाता है-
हो सकता है कि कुछ लोगों को आधी रात में जगकर नए मेकअप करना पागलपन लगे. लेकिन आपके लिए ये ही जीवन हुआ करता था. क्यूं? क्योंकि आपने खुद ऐसा कर रखा है. ये बिल्कुल नॉर्मल बात है जब आपका पूरा गैंग एक कमरे में इकट्ठा होते थे और नए फाउंडेशन, कंसीलर से लेकर लिपस्टिक तक की जांच की जाती थी. और अगर कोई दोस्त मेकअप करना जानती थी तो उसके आसपास मेकअप कराने वाले क्लाइंट की लाइन लगी रहती है. सभी को रात के उस पहर में ही तैयार होना होता है वो भी बेबी डॉल टाइप.
अंडरविअर गायब होने का रहस्य बरमुडा ट्रायएंगल से कम नहीं-
यह एक ऐसा रहस्य होता है जिसका खुलासा एफबीआई, सीआईए और रॉ भी नहीं कर पाते. किसी न किसी तरीके से बिल्कुल नई धुली हुई पैंटी, ब्रा या गंजी गायब हो ही जाती है. बस उन्हें धोने के बाद सूखने के लिए बाहर टांगने की देर होती है. एक बार गायब होने के बाद भूल जाइए कि वो दोबारा मिलेगा.
( Oddnari.in से साभार )
ये भी पढ़ें-
PG या हॉस्टल में रहने वाली हर लड़की को सताते हैं ये 6 डर!
किसी जर्नलिस्ट को डेट करने से पहले ये बातें जान लें...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.