जब आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कश्मीर के हुड़दंगियों से सख्ती से निबटने की बात कही तो बहुतों को नागवार गुजरा. तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आर्मी चीफ का सपोर्ट किया तो विरोधी दलों को और भी बुरा लगा, लेकिन हकीकत सामने आई तो ऐसी की सबकी आंखें खुली की खुली रह गयीं हैं.
कैमरे पर पत्थरबाज
आज तक के खुफिया कैमरे पर भाड़े के इन पत्थरबाजों ने कबूल किया है कि पैसे लेकर वो कश्मीर में कहीं भी पत्थर या पेट्रोल बम फेंक सकते हैं. पत्थर फेंकने के बदले इन्हें पैसे, कपड़े और जूते मिलते हैं. ऐसे ही पत्थरबाजों की मिलीभगत से पिछले साल बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद तीन महीने तक पूरा कश्मीर सुलगता रहा था.
आज तक के खुफिया कैमरे के सामने इन पत्थरबाजों ने खुद ही अपने राज एक-एक कर खोल दिए. पैसे लेकर पत्थरबाजी करने वाले ये वो कश्मीरी हैं, जो आम लोगों की भीड़ में चुपचाप शामिल हो जाते हैं और कभी सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं तो कभी आर्मी ऑपरेशन की राह का रोड़ा.
कितनी कमाई होती है?
पत्थरबाज जाकिर अहमद भट के मुताबिक इस काम के लिए उसे पांच से सात हजार रुपये महीना मिल जाता है. साथ में जूते और कपड़े अलग से. बीच-बीच में पेट्रोल बम लगाने के अलग से 500 से 700 तक रुपये भी मिल जाते हैं. बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद हुई पत्थरबाजी में जाकिर भी शामिल था और उसने लगातार पत्थरबाजी की थी.
इन पत्थऱबाजों ने सेना की गाड़ी भी जलाई थी, जिसके चलते ये फरार चल रहे हैं. गाड़ी जलाना तो इनके लिए मामूली काम है, जाकिर ने तो अफ़ज़ल गुरु की फांसी के बाद पुलिस के दो जवानों को जलाकर मार डाला था. ज़ाकिर अहमद बट कश्मीर में पैसे लेकर पिछले 9 साल से पत्थरबाजी कर रहा है. उसके हाथों से निकले पत्थरों ने सेना और पुलिस के कितने जवानों को लहूलुहान किया होगा गिनती मुश्किल है, लेकिन उसके पास इसका पूरा रिकॉर्ड है.
जाकिर ने ये भी खुलासा किया कि वो और उसके साथी महीने में पत्थरबाजी से 10 से 11 हजार रुपये तक कमा...
जब आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कश्मीर के हुड़दंगियों से सख्ती से निबटने की बात कही तो बहुतों को नागवार गुजरा. तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आर्मी चीफ का सपोर्ट किया तो विरोधी दलों को और भी बुरा लगा, लेकिन हकीकत सामने आई तो ऐसी की सबकी आंखें खुली की खुली रह गयीं हैं.
कैमरे पर पत्थरबाज
आज तक के खुफिया कैमरे पर भाड़े के इन पत्थरबाजों ने कबूल किया है कि पैसे लेकर वो कश्मीर में कहीं भी पत्थर या पेट्रोल बम फेंक सकते हैं. पत्थर फेंकने के बदले इन्हें पैसे, कपड़े और जूते मिलते हैं. ऐसे ही पत्थरबाजों की मिलीभगत से पिछले साल बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद तीन महीने तक पूरा कश्मीर सुलगता रहा था.
आज तक के खुफिया कैमरे के सामने इन पत्थरबाजों ने खुद ही अपने राज एक-एक कर खोल दिए. पैसे लेकर पत्थरबाजी करने वाले ये वो कश्मीरी हैं, जो आम लोगों की भीड़ में चुपचाप शामिल हो जाते हैं और कभी सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं तो कभी आर्मी ऑपरेशन की राह का रोड़ा.
कितनी कमाई होती है?
पत्थरबाज जाकिर अहमद भट के मुताबिक इस काम के लिए उसे पांच से सात हजार रुपये महीना मिल जाता है. साथ में जूते और कपड़े अलग से. बीच-बीच में पेट्रोल बम लगाने के अलग से 500 से 700 तक रुपये भी मिल जाते हैं. बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद हुई पत्थरबाजी में जाकिर भी शामिल था और उसने लगातार पत्थरबाजी की थी.
इन पत्थऱबाजों ने सेना की गाड़ी भी जलाई थी, जिसके चलते ये फरार चल रहे हैं. गाड़ी जलाना तो इनके लिए मामूली काम है, जाकिर ने तो अफ़ज़ल गुरु की फांसी के बाद पुलिस के दो जवानों को जलाकर मार डाला था. ज़ाकिर अहमद बट कश्मीर में पैसे लेकर पिछले 9 साल से पत्थरबाजी कर रहा है. उसके हाथों से निकले पत्थरों ने सेना और पुलिस के कितने जवानों को लहूलुहान किया होगा गिनती मुश्किल है, लेकिन उसके पास इसका पूरा रिकॉर्ड है.
जाकिर ने ये भी खुलासा किया कि वो और उसके साथी महीने में पत्थरबाजी से 10 से 11 हजार रुपये तक कमा लेते हैं. पैसे लेकर ये कहीं भी पत्थर फेंकने के लिए तैयार रहते हैं.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.