मंगलवार को क्रिकेटर गौतम गंभीर हाईकोर्ट की शरण में चले गए. दिल्ली में चल रहे एक रेस्टो-बार में अपने नाम का इस्तेमाल करने पर उन्हें आपत्ति है. गौतम गंभीर सिर्फ नाम के नहीं बल्कि व्यवहार में भी गंभीर रहते हैं और दिल के करीब होने वाले मुद्दों पर मुखर रहते हैं.
लेकिन कहानी में ट्विस्ट ये है कि दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित घुंघरू बार और हवालात बार के मालिक का नाम भी गौतम गंभीर ही है. इस कारण से सीधा कोई मामला बनता नजर नहीं आता. लेकिन गौतम गंभीर ने अपनी याचिका में लिखा है कि ज्यादातर लोग गौतम गंभीर के नाम का टैगलाइन पढ़कर इसे उनकी रेस्टो-बार समझ रहे हैं जिससे उनकी छवि बिगड़ने का खतरा है.
गौतम गंभीर का अपनी छवि को लेकर गंभीर होना जायज है. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर अपनी मेहनत और टैलेंट की बदौलत अपने नाम को ब्रांड बनाने के लिए गंभीर ने कड़ी मेहनत की है. और ऐसा मुमकिन नहीं कि देश में गौतम गंभीर नाम का दूसरा कोई इस नाम का ना हो. लेकिन हम नाम होने का फायदा इस तरह से उठाना गलत बात है.
निजी जिंदगी में गंभीर चाय तक नहीं पीते. और अगर ऐसे आदमी के हमनाम होने की वजह से आप उसे टैगलाइन की तरह एक बार के लिए इस्तेमाल करते हैं तो अन्याय है. अगर खिलाड़ियों या सेलिब्रिटी द्वारा किसी ब्रांड को एंडॉर्स करने पर लोगों की भावनाएं आहत होने की कहानी पुरानी है. लोगों के भावनाओं के आहत होने या किसी भी तरह की असुविधा होने पर उन सेलिब्रिटी या खिलाड़ियों को कठघरे में खड़ा किया जा सकता है तो फिर इस मामले में गंभीर के पक्ष को भी सिरियसली लेने की जरुरत है.
कुछ साल पहले अदालत ने आम्रपाली बिल्डर्स को एंडॉर्स करने के कारण धोनी को ये कह कर जवाबदेह बताया था कि जनता उनके नाम पर भरोसा करती है. इसलिए अगर कोई खिलाड़ी या...
मंगलवार को क्रिकेटर गौतम गंभीर हाईकोर्ट की शरण में चले गए. दिल्ली में चल रहे एक रेस्टो-बार में अपने नाम का इस्तेमाल करने पर उन्हें आपत्ति है. गौतम गंभीर सिर्फ नाम के नहीं बल्कि व्यवहार में भी गंभीर रहते हैं और दिल के करीब होने वाले मुद्दों पर मुखर रहते हैं.
लेकिन कहानी में ट्विस्ट ये है कि दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित घुंघरू बार और हवालात बार के मालिक का नाम भी गौतम गंभीर ही है. इस कारण से सीधा कोई मामला बनता नजर नहीं आता. लेकिन गौतम गंभीर ने अपनी याचिका में लिखा है कि ज्यादातर लोग गौतम गंभीर के नाम का टैगलाइन पढ़कर इसे उनकी रेस्टो-बार समझ रहे हैं जिससे उनकी छवि बिगड़ने का खतरा है.
गौतम गंभीर का अपनी छवि को लेकर गंभीर होना जायज है. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर अपनी मेहनत और टैलेंट की बदौलत अपने नाम को ब्रांड बनाने के लिए गंभीर ने कड़ी मेहनत की है. और ऐसा मुमकिन नहीं कि देश में गौतम गंभीर नाम का दूसरा कोई इस नाम का ना हो. लेकिन हम नाम होने का फायदा इस तरह से उठाना गलत बात है.
निजी जिंदगी में गंभीर चाय तक नहीं पीते. और अगर ऐसे आदमी के हमनाम होने की वजह से आप उसे टैगलाइन की तरह एक बार के लिए इस्तेमाल करते हैं तो अन्याय है. अगर खिलाड़ियों या सेलिब्रिटी द्वारा किसी ब्रांड को एंडॉर्स करने पर लोगों की भावनाएं आहत होने की कहानी पुरानी है. लोगों के भावनाओं के आहत होने या किसी भी तरह की असुविधा होने पर उन सेलिब्रिटी या खिलाड़ियों को कठघरे में खड़ा किया जा सकता है तो फिर इस मामले में गंभीर के पक्ष को भी सिरियसली लेने की जरुरत है.
कुछ साल पहले अदालत ने आम्रपाली बिल्डर्स को एंडॉर्स करने के कारण धोनी को ये कह कर जवाबदेह बताया था कि जनता उनके नाम पर भरोसा करती है. इसलिए अगर कोई खिलाड़ी या सेलिब्रिटी किसी ब्रांड को एंडोर्स करता है तो फिर उसके सही या गलत काम के लिए वो भी जिम्मेदार माना जाएगा. ऐसे में अगर गौतम गंभीर ने अपने नाम का इस्तेमाल एक बार के लिए किए जाने पर आपत्ति दर्ज की है तो पूरी तरह सही हैं.
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