मेरे एक मित्र हैं, नार्मल दिन में जींस-टीशर्ट, ट्राउजर-डेनिम शर्ट पहनने वाले, डिस्क और पब में पार्टी करने वाले, लगभग हर तीसरे दिन थियेटर जाकर मूवी देख फेसबुक पर उसका रिव्यु डालने वाले. ये साहब अच्छे आदमी हैं, ये इतने अच्छे हैं कि मुहल्ले के सभी लड़के इनके 'अच्छेपन' की कसमें खाते हैं. मगर उन बच्चों के मां-बाप अपने बच्चों को इनके साथ देख उन्हें जी भरके खरी खोटी सुनाते हैं और इनसे दूर रहने की सलाह देते हैं.
इनकी एक खासियत है, यूं तो ये साल भर छुट्टा सांड बने घूमते हैं मगर हर साल तीस दिन यानी रमजान के पवित्र महीने में ये ईश्वर की शरण में चले जाते हैं. इस दौरान ये जींस टीशर्ट उतार कर कुर्ता पैजामा, टोपी धारण कर लेते हैं और चौबीसों घंटा इबादत में रहते हैं. इनके इबादत की हद ये है कि ये इस दौरान ट्विटर और व्हाट्सऐप तक से दूरी बना लेते हैं और फेसबुक पर भी उन्ही ग्रुप्स पर एक्टिव रहते हैं जिनमें सिर्फ और सिर्फ दीन इमान वाली पोस्ट या बातें होती है.
रमजान में इनके द्वारा न सनी लियोनी की फोटो पर लाइक-कमेंट किया जाता है और न ही ये ट्विटर पर ये देखते हैं कि पूनम पांडे ने अपनी कौन सी बाथरूम सेल्फी पोस्ट की है. कहा जा सकता है कि साल के इन 30 दिनों में जो व्यक्ति छुट्टा सांड था अब वो अल्लाह मियां की गाय है. इस दौरान सिर्फ ये होते हैं और इनके अल्लाह मियां.
इनके बारे में ये भी दिलचस्प बात है कि बाकी दिनों की अपेक्षा ये रमजान में ज्यादा बड़े 'ट्रॉल' बन जाते हैं. ये ढूंढ-ढूंढ कर सिने जगत के उन मुस्लिम सितारों को ट्रॉल करते हैं जो रमजान के 30 दिनों में 'अल्लाह की इबादत' न करके वो कर रहे हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए.
बात अभी कुछ दिन पहले की है, इफ्तार का...
मेरे एक मित्र हैं, नार्मल दिन में जींस-टीशर्ट, ट्राउजर-डेनिम शर्ट पहनने वाले, डिस्क और पब में पार्टी करने वाले, लगभग हर तीसरे दिन थियेटर जाकर मूवी देख फेसबुक पर उसका रिव्यु डालने वाले. ये साहब अच्छे आदमी हैं, ये इतने अच्छे हैं कि मुहल्ले के सभी लड़के इनके 'अच्छेपन' की कसमें खाते हैं. मगर उन बच्चों के मां-बाप अपने बच्चों को इनके साथ देख उन्हें जी भरके खरी खोटी सुनाते हैं और इनसे दूर रहने की सलाह देते हैं.
इनकी एक खासियत है, यूं तो ये साल भर छुट्टा सांड बने घूमते हैं मगर हर साल तीस दिन यानी रमजान के पवित्र महीने में ये ईश्वर की शरण में चले जाते हैं. इस दौरान ये जींस टीशर्ट उतार कर कुर्ता पैजामा, टोपी धारण कर लेते हैं और चौबीसों घंटा इबादत में रहते हैं. इनके इबादत की हद ये है कि ये इस दौरान ट्विटर और व्हाट्सऐप तक से दूरी बना लेते हैं और फेसबुक पर भी उन्ही ग्रुप्स पर एक्टिव रहते हैं जिनमें सिर्फ और सिर्फ दीन इमान वाली पोस्ट या बातें होती है.
रमजान में इनके द्वारा न सनी लियोनी की फोटो पर लाइक-कमेंट किया जाता है और न ही ये ट्विटर पर ये देखते हैं कि पूनम पांडे ने अपनी कौन सी बाथरूम सेल्फी पोस्ट की है. कहा जा सकता है कि साल के इन 30 दिनों में जो व्यक्ति छुट्टा सांड था अब वो अल्लाह मियां की गाय है. इस दौरान सिर्फ ये होते हैं और इनके अल्लाह मियां.
इनके बारे में ये भी दिलचस्प बात है कि बाकी दिनों की अपेक्षा ये रमजान में ज्यादा बड़े 'ट्रॉल' बन जाते हैं. ये ढूंढ-ढूंढ कर सिने जगत के उन मुस्लिम सितारों को ट्रॉल करते हैं जो रमजान के 30 दिनों में 'अल्लाह की इबादत' न करके वो कर रहे हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए.
बात अभी कुछ दिन पहले की है, इफ्तार का वक़्त होने में थोड़ा समय बाकी था तो यूं ही हमारे ये मित्र टाइम पास के लिए इंस्टाग्राम पर चले गए. वहां जाते ही इन्होंने अपनी पसंदीदा अभिनेत्री 'दंगल' फेम फ़ातिमा सना शेख की प्रोफाइल का रुख किया और फिर उसके बाद उन्होंने वहां जो देखा उससे इनके होश उड़ गए. फातिमा ने एक हॉट सी तस्वीर डाली थी.
तस्वीर देखकर इनकी कोने में कहीं किनारे कूलर चला के सो रही भावना आहत हो गयी, वो बिदक गए और मारे गुस्से के फोटो पर अश्लील कमेंट्स की बरसात कर दी. इनके अनुसार सना को रमजान के पवित्र महीने में ऐसा नहीं करना था. बात फोटो की करें तो पता चलता है कि फोटो में फातिमा सना शेख समुंद्र के किनारे कुर्सी डाल कर बिकनी पहने बैठी हैं और बड़ी अदा से कुछ सोच रही हैं.
बहरहाल, हम भी सना शेख की इस फोटो पर कठोर कदम उठाते हुए कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. निंदा का कारण उनका रमजान के पवित्र महीने में बिकनी पहनना नहीं है. बल्कि सागर किनारे लकड़ी की कुर्सी डालना है. सना को ये सोचना चाहिए था कि अभी कुछ दिन पहले ही हमने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया है. पेड़ पौधों को बचाने की बात की है. अब ये लकड़ी की कुर्सी अगर समुंद्र के खारे पानी से गल जाती तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता. या फिर फातिमा सना शेख को वहीं बीच पर केकड़ा काट लेता या जेली फिश डंक मार देती और उनका खून निकल आता, वो बेहोश हो जाती तो वहां मौजूद भारत का राजदूत एम्बेसी को क्या जवाब देता.
फातिमा सना शेख के अलावा हम मुकम्मल ईमान वाले अपने इस रोजेदार दोस्त की भी बड़ी कस के निंदा करते हैं जो रोजे की हालत में इंस्टाग्राम पर सना की फोटो देख रहे थे. मुझे पूरा यकीन है कि मेरे ये रोजेदार मित्र जो हालत ए रोजा में फातिमा सना शेख जैसी सेलेब्स की फोटो पर लाइक, कमेन्ट करते उन्हें व्यर्थ का ज्ञान देने के लिए 'ट्रॉल' कर रहे थे तो इसके लिए इन्हें नरक के दरबानों द्वारा दही, बेसन, लाल मिर्च, चाट मसाला, गरम मसाला डाल के मेरिनेट किया जायगा. साथ ही इन्हें इनके कर्मों के लिए खौलते तेल में गोल्डन ब्राउन होने तक डीप फ्राई किया जायगा.
अंत में इतना ही कि इबादत या पूजा पाठ एक बेहद पर्सनल विषय है और इसे जबरदस्ती किसी पर थोपना और कुछ नहीं आपकी कुंठित मानसिकता का परिचायक है. किसी और को ज्ञान देने से बेहतर है कि व्यक्ति ज्ञान की शुरुआत अपने आप से करे और स्वयं को बदलने का प्रयास करे. यूं भी रमजान का यही उद्देश्य है कि व्यक्ति अपने नफ्स पर नियंत्रण रख खुद पर विजय हासिल करे.
ये भी पढ़ें -
जरीन खान के शरीर पर कमेंट करने वालों को मिला ये तगड़ा जवाब
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.