प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करीब 9 महीनों के बाद 18 सितंबर को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में होंगे. इससे पहले वे पिछले साल 25 दिसंबर को काशी गए थे. वाराणसी जाएंगे तो कई योजनाएं को हरी झंडी दिखाएंगे. नई परियोजनाओं के शिलान्यास भी रखे जाएंगे. गंगा की सफाई पर भी बात होगी.
मोदीजी अगर गंगा को इसमें फेंक दिए जाने वाली लाशों और मृतकों की अस्थियों, उनके कपड़ों और दूसरे सामानों से निजात दिलवा दें तो वे गंगा पर बहुत उपकार करेंगे.
उत्तरांचल में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक की यात्रा में गंगा 5 राज्यों के 66 जिलों, 118 शहर और 1657 ग्राम पंचायतों से गुजरती है. गंगा किनारे सैकड़ों श्मशान घाट हैं. एक अनुमान के अनुसार, हर जिले में गंगा किनारे करीब 20 श्मशान घाट हैं. यानी कुल हो गए 1200 से कुछ ज्यादा. यदि इनमें रोज 10 अंत्येष्टि भी होती हैं तो रोज करीब 12 हजार मृतकों की अस्थियां, कपड़े और दूसरे सामान गंगा में मिलकर उसे और मैला एवं बदबूदार करते हैं. अगर बात एक साल की हो तो आंकड़ा लाख से कहीं ऊपर जाता है. यानी गंगा में मृतकों की अस्थियां एवं दूसरे सामान लगातार बहाए जाते हैं.
इसके अलावा, गंगा में हर साल सैकड़ों शव भी फेंक दिए जाते हैं. आपको याद होगा कि पिछले साल मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में कानपुर-उन्नाव के बीच सौ से ज्यादा लाशें मिलीं. तब मालूम चला कि कुछ खास समुदाय के लोग मृतकों को जलाने के बजाय लाशों को नदी में बहा देते हैं. इनके अलावा, कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि अपराधी तत्व लोगों को मारकर गंगा में बहा देते हैं ताकि साक्ष्य ही खत्म हो जाए.
मोदीजी ने गंगा को साफ करने का बीड़ा उठाया है. पर, क्या वे गंगा में शवों को फेंकने और मृतकों की अस्थियों को इसमें विसर्जित करने के संबंध में भी जानते हैं? हो सकता है, उन्हें इस बारे में जानकारी ना हो. कोई बात नहीं. बेहतर होगा कि वे गंगा को साफ करने के काम में लगे अपने मंत्रियों से लेकर दूसरे सरकारी अफसरों को निर्देश दें कि वे गंगा को लाशों और अस्थियों से मुक्ति...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करीब 9 महीनों के बाद 18 सितंबर को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में होंगे. इससे पहले वे पिछले साल 25 दिसंबर को काशी गए थे. वाराणसी जाएंगे तो कई योजनाएं को हरी झंडी दिखाएंगे. नई परियोजनाओं के शिलान्यास भी रखे जाएंगे. गंगा की सफाई पर भी बात होगी.
मोदीजी अगर गंगा को इसमें फेंक दिए जाने वाली लाशों और मृतकों की अस्थियों, उनके कपड़ों और दूसरे सामानों से निजात दिलवा दें तो वे गंगा पर बहुत उपकार करेंगे.
उत्तरांचल में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक की यात्रा में गंगा 5 राज्यों के 66 जिलों, 118 शहर और 1657 ग्राम पंचायतों से गुजरती है. गंगा किनारे सैकड़ों श्मशान घाट हैं. एक अनुमान के अनुसार, हर जिले में गंगा किनारे करीब 20 श्मशान घाट हैं. यानी कुल हो गए 1200 से कुछ ज्यादा. यदि इनमें रोज 10 अंत्येष्टि भी होती हैं तो रोज करीब 12 हजार मृतकों की अस्थियां, कपड़े और दूसरे सामान गंगा में मिलकर उसे और मैला एवं बदबूदार करते हैं. अगर बात एक साल की हो तो आंकड़ा लाख से कहीं ऊपर जाता है. यानी गंगा में मृतकों की अस्थियां एवं दूसरे सामान लगातार बहाए जाते हैं.
इसके अलावा, गंगा में हर साल सैकड़ों शव भी फेंक दिए जाते हैं. आपको याद होगा कि पिछले साल मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में कानपुर-उन्नाव के बीच सौ से ज्यादा लाशें मिलीं. तब मालूम चला कि कुछ खास समुदाय के लोग मृतकों को जलाने के बजाय लाशों को नदी में बहा देते हैं. इनके अलावा, कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि अपराधी तत्व लोगों को मारकर गंगा में बहा देते हैं ताकि साक्ष्य ही खत्म हो जाए.
मोदीजी ने गंगा को साफ करने का बीड़ा उठाया है. पर, क्या वे गंगा में शवों को फेंकने और मृतकों की अस्थियों को इसमें विसर्जित करने के संबंध में भी जानते हैं? हो सकता है, उन्हें इस बारे में जानकारी ना हो. कोई बात नहीं. बेहतर होगा कि वे गंगा को साफ करने के काम में लगे अपने मंत्रियों से लेकर दूसरे सरकारी अफसरों को निर्देश दें कि वे गंगा को लाशों और अस्थियों से मुक्ति दिलवा दें.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.