आमतौर पर माना जाता है कि नेता का बेटा कभी पढाई लिखाई पर तवज्जो नहीं देता है. लेकिन जनता दल यू के एमएलए वीरेन्द्र सिंह के बेटे डॉ. विवेक कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर इस धारणा को गलत साबित किया है. पर ये धारणा रॉकी यादव जैसे लोगों से बनती है. रॉकी यादव जनता दल यू के एमएलसी मनोरमा यादव का बेटा है. जो लैण्ड रोवर पर सवार होकर ऐसा रौब जमाता है कि साईड नहीं देने पर स्विफ्ट में बैठे 19 साल के आदित्य सचदेवा की हत्या कर देता है.
दोनों ही सियासी परिवार से आते हैं. दोनों परिवार जनता दल यू से जुड़े हुए हैं. विवेक के पिता एमएलए हैं तो रॉकी की मां एमएलसी. विवेक जिस दिन यूपीएससी की परीक्षा पास करता है ठीक उसी समय रॉकी यादव हत्या के मामले में जेल जाता है. विवेक कुमार के पिता अपने बेटे की सफलता से फूले नही समाते तो दुसरी तरफ राँकी के पिता कुख्यात बिन्दी यादव जेल में उसका इंतजार कर रहे थे और मां जेल के दरवाजे तक अपने बेटे को छोडने आई थी. दोनों ही सियासी परिवार है तो इतना अंतर क्यों ?
विवेक की कामयाबी पर उनके माता-पिता की खुशी महसूस की जा सकती है. |
इस अंतर को समझने के लिए समाजिक परिवेश, परिवार का वातावरण और सबसे अहम संस्कार बहुत मायने रखता है. सबसे पहले हम बीरेन्द्र सिंह की चर्चा करते है. बीरेन्द्र सिंह छात्र जीवन में ही राजनीति में आ गए थे 1974 के आंदोलन से उन्होंने अपने राजनीति की शुरूआत की. जेपी को अपना आदर्श माना. दुसरी तरफ राँकी के पिता बिन्दी यादव राजनीति के अपराधिकरण का बडा उदाहरण है. बिन्दी यादव ने अपराध के रास्ते राजनीति में जगह पाई. 1991-92 में राजन कुर्मी का अपहरण और हत्या कर बिन्दी यादव ने पूरे मगध क्षेत्र में अपनी धाक जमाई. 2001 में गया जिला परिषद का अध्यक्ष बना तो अपनी लोकप्रियता की वजह से नही बल्कि खौफ जमा कर. दर्जनों हत्या लूट अपहरण के वारदात से पैसा बनाया और बाद में बन गया ठेकेदार. नक्सलियों से अच्छे संबंध का फायदा उठाया. नक्सल क्षेत्र में बिना...
आमतौर पर माना जाता है कि नेता का बेटा कभी पढाई लिखाई पर तवज्जो नहीं देता है. लेकिन जनता दल यू के एमएलए वीरेन्द्र सिंह के बेटे डॉ. विवेक कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर इस धारणा को गलत साबित किया है. पर ये धारणा रॉकी यादव जैसे लोगों से बनती है. रॉकी यादव जनता दल यू के एमएलसी मनोरमा यादव का बेटा है. जो लैण्ड रोवर पर सवार होकर ऐसा रौब जमाता है कि साईड नहीं देने पर स्विफ्ट में बैठे 19 साल के आदित्य सचदेवा की हत्या कर देता है.
दोनों ही सियासी परिवार से आते हैं. दोनों परिवार जनता दल यू से जुड़े हुए हैं. विवेक के पिता एमएलए हैं तो रॉकी की मां एमएलसी. विवेक जिस दिन यूपीएससी की परीक्षा पास करता है ठीक उसी समय रॉकी यादव हत्या के मामले में जेल जाता है. विवेक कुमार के पिता अपने बेटे की सफलता से फूले नही समाते तो दुसरी तरफ राँकी के पिता कुख्यात बिन्दी यादव जेल में उसका इंतजार कर रहे थे और मां जेल के दरवाजे तक अपने बेटे को छोडने आई थी. दोनों ही सियासी परिवार है तो इतना अंतर क्यों ?
विवेक की कामयाबी पर उनके माता-पिता की खुशी महसूस की जा सकती है. |
इस अंतर को समझने के लिए समाजिक परिवेश, परिवार का वातावरण और सबसे अहम संस्कार बहुत मायने रखता है. सबसे पहले हम बीरेन्द्र सिंह की चर्चा करते है. बीरेन्द्र सिंह छात्र जीवन में ही राजनीति में आ गए थे 1974 के आंदोलन से उन्होंने अपने राजनीति की शुरूआत की. जेपी को अपना आदर्श माना. दुसरी तरफ राँकी के पिता बिन्दी यादव राजनीति के अपराधिकरण का बडा उदाहरण है. बिन्दी यादव ने अपराध के रास्ते राजनीति में जगह पाई. 1991-92 में राजन कुर्मी का अपहरण और हत्या कर बिन्दी यादव ने पूरे मगध क्षेत्र में अपनी धाक जमाई. 2001 में गया जिला परिषद का अध्यक्ष बना तो अपनी लोकप्रियता की वजह से नही बल्कि खौफ जमा कर. दर्जनों हत्या लूट अपहरण के वारदात से पैसा बनाया और बाद में बन गया ठेकेदार. नक्सलियों से अच्छे संबंध का फायदा उठाया. नक्सल क्षेत्र में बिना काम किए सरकारी पैसे लूटे. नकसलियों को हथियार सप्लाई किया. जिसकी वजह से 2011 में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत उसे जेल भेजा गया. 2003 में अपनी दुसरी पत्नी मनोरमा देवी को अपने रसूख के बदौलत आरजेडी के टिकट पर विधानपरिषद भेजा. यानी बिन्दी यादव के आदर्श लालू यादव थे उस समय.
वही बीरेन्द्र सिंह 1974 के आंदोलन में जेल गए. बीरेन्द्र सिंह के पिता एक किसान थे स्वतंत्रता सेनानी थे. 1995 जनता दल के टिकट पर पहली बार विधानसभा के लिए चूने गए 1996 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने औरंगाबाद से सत्येन्द्र नारायण सिन्हा यानि छोटे सरकार को शिकस्त दे कर तहलका मचा दिया. 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव जीत कर वो विधायक हैं.
वैसे बीरेन्द्र सिंह शुरू में लालू प्रसाद यादव के सम्पर्क में रहें. लालू के नेतृत्व में उन्होंने चुनाव लडा और जीते भी. बाद में वो नीतीश कुमार के साथ आ गए. ठीक उसी तरह से बिन्दी यादव और मनोरमा यादव शुरू में आरजेडी में रहें और पिछले साल जनता दल यू ज्वाईन कर लिया. पर ये एक समानता होते हुए भी दोनों की परिस्थियों में बहुत अंतर है बिचार में अंतर हैं.
हत्या के आरोपी रॉकी यादव और उसके पिता बिंदी यादव को पुलिस ने पकड़ा और मां मनोरमा देवी अब भी फरार है. |
बिन्दी यादव और मनोरमा यादव ने भी शुरू में कोशिश की कि राँकी यादव घर के इस अपराधिक माहौल से दुर रहें इसलिए राँकी यादव की शुरू की पढाई राँची में हुई बाद मे वो बनारस में पढा फिर दिल्ली में. लेकिन घर का ये माहौल अबतक उससे दुर रहा जैसे जैसे बडा होता गया बाप के रस्ते कदम पर चलता गया. पिछले साल हुई एमएलसी के चुनाव में उसने खुलकर हिस्सा लिया अपनी मां को जीताने के लिए. दो भाई और एक बहन में सबसे बडा राँकी बचपन में धार्मिक प्रवृति का था लेकिन जैसे जैसे बडा होता गया उसके स्वाभाव में परिवर्तन होता गया. उसे हथियार से खेलने का शौक था वो शिकार भी करता था. शादियों में गोली चलाना उसका शौक था.
दुसरी तरफ बीरेन्द्र सिंह ने भी बेटे विवेक को सियासी माहौल से दूर रखा. विवेक की दो बडी बहने है एक डाक्टर है दुसरी फैशन डिजाईनर. विवेक भी शुरू से घर से दुर रहे. पहले पिलानी से 10वी और डीपीएस आरके पुरम दिल्ली से 12 वी परीक्षा पास की . फिर मेडिकल के प्रवेश परीक्षा पास कर मौलाना आजाद मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की डिग्री ली.
विवेक ने यूएस अस्बली परीक्षा भी पास की जिसकी दो परीक्षाएं भारत में और फाईलन परीक्षा यूएस में होती है विवेक ने उसे भी पास किया लेकिन वीजा मिलने में दिक्कत के कारण उसने वहां जाना छोड दिया. सफदरजंग अस्पताल में तैनात विवेक ने तीसरे टर्म में यूपीएससी की परीक्षा पास की.
दोनों के परिवार में अंतर सिर्फ इतना है कि बीरेन्द्र सिंह ने अपने बच्चो की पढाई को प्रमुखता दी. उन्हें अच्छी परवरिश दी अच्छे संस्कार दिए वही दुसरी तरफ बिन्दी यादव और मनोरमा यादव ने बेटे को इटली मेड ब्रेटा रिवाल्वर दी एक करोड की लैण्ड रोबर दी. परिणाम सामने है. राँकी यादव के व्यवहार ने आम आदमी के मन में सियासी परिवारों के प्रति वितृष्णा सी पैदा कर दी थी वही विवेक कुमार ने आईएएस में चयनित होकर उस धारणा को किसी हद तक तोड दिया.
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