अभी हाल ही में की गई एक रिसर्च से पता चला था कि भारत के लोगों को सेक्स संबंधी उत्पाद दुकानों से खरीदने में शर्म आती है, इसलिए वे इन उत्पादों को ऑनलाइन खरीदना ही ज्यादा पसंद करते हैं. लेकिन इस खबर को शायद इस कंपनी ने चैलेंज के रूप में लिया और कंडोम शोरूम ही खोल दिया. ये शोरूम भारत में अपने तरह का पहला शोरूम है. शुरुआत पणजी, त्रिवेंद्रम और कोच्चि से हुई है.
अलग-अलग तरीकों से ये बात लोगों को समझाई जाती रही है कि सेक्स संबंधी मामलों पर बात करना जरूरी है, लेकिन ज्यादातर भारतीय इसे गलत मानते हैं, हिचकते हैं. जबकि सभी में इन विषयों को जानने की जिज्ञासा होती है. इन विषयों में जानकारी होना स्वास्थ्य के लिए जरूरी भी है. इसलिए ये स्टोर महज दुकान नहीं बल्कि जागरुकता बढ़ाने की एक कोशिश भी है.
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'मूड्स प्लैनेट' नाम के इस स्टोर में सेक्स संबंधी उत्पाद जैसे कंडोम, ल्यूब्रिकेंट्स, मसाज ऑयल आदि उपलब्ध हैं, जो सामान्य तौर पर फार्मेसी में भी उपलब्ध होते हैं, लेकिन इस स्टोर की खास बात ये है कि यहां उत्पादों के साथ-साथ सैक्स संबंधी जानकारी भी उपलब्ध है, जो किसी फार्मेसी में नहीं मिलती.
स्टोर के भीतर का नजारा किसी आम जनरल स्टोर की तरह है, लेकिन चारों तरफ यहां कंडोम ही कंडोम हैं. |
फार्मेसी से इन...
अभी हाल ही में की गई एक रिसर्च से पता चला था कि भारत के लोगों को सेक्स संबंधी उत्पाद दुकानों से खरीदने में शर्म आती है, इसलिए वे इन उत्पादों को ऑनलाइन खरीदना ही ज्यादा पसंद करते हैं. लेकिन इस खबर को शायद इस कंपनी ने चैलेंज के रूप में लिया और कंडोम शोरूम ही खोल दिया. ये शोरूम भारत में अपने तरह का पहला शोरूम है. शुरुआत पणजी, त्रिवेंद्रम और कोच्चि से हुई है.
अलग-अलग तरीकों से ये बात लोगों को समझाई जाती रही है कि सेक्स संबंधी मामलों पर बात करना जरूरी है, लेकिन ज्यादातर भारतीय इसे गलत मानते हैं, हिचकते हैं. जबकि सभी में इन विषयों को जानने की जिज्ञासा होती है. इन विषयों में जानकारी होना स्वास्थ्य के लिए जरूरी भी है. इसलिए ये स्टोर महज दुकान नहीं बल्कि जागरुकता बढ़ाने की एक कोशिश भी है.
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'मूड्स प्लैनेट' नाम के इस स्टोर में सेक्स संबंधी उत्पाद जैसे कंडोम, ल्यूब्रिकेंट्स, मसाज ऑयल आदि उपलब्ध हैं, जो सामान्य तौर पर फार्मेसी में भी उपलब्ध होते हैं, लेकिन इस स्टोर की खास बात ये है कि यहां उत्पादों के साथ-साथ सैक्स संबंधी जानकारी भी उपलब्ध है, जो किसी फार्मेसी में नहीं मिलती.
स्टोर के भीतर का नजारा किसी आम जनरल स्टोर की तरह है, लेकिन चारों तरफ यहां कंडोम ही कंडोम हैं. |
फार्मेसी से इन सामानों को खरीदने में लोग इतना संकोच करते हैं, तो उसके बारे में जानकारी लेना तो दूर की बात है. न तो वो इन उत्पादों को इस्तेमाल करने का तरीका ढंग से समझ पाते हैं और न ही इनकी तुलना बाकी प्रो़डक्ट्स से कर पाते हैं. इसपर स्टोर मैनेजर नितेश केरकर का कहना है कि 'स्थानीय लोग यहां आकर काफी कंफर्टेबल फील करते हैं. वो आराम से प्रोडक्ट्स देखते हैं, उसके बारे में जानकारी लेते हैं, उनकी तुलना भी करते हैं, वो भी बिना किसी हिचक और शर्मिंदगी के.'
इस शोरूम में महिलाएं भी बिना झिझक के सेक्स से जुड़ी किसी भी समस्या पर बात कर सकती हैं. क्योंकि यहां के स्टाफ को इन समस्याओं से जुड़े हर सवाल के जवाब देने के लिए ट्रेनिंग दी गई है.
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एक ऐसा देश जो सबसे ज्यादा पोर्न देखने वाले देशों में गिना जाता है, लेकिन सैक्स पर बात करना यहां टैबू है, महर्षि वात्स्यायन का कामसूत्र भले ही विश्व की प्रथम यौन संहिता हो, लेकिन सेक्स एजुकेशन जैसी कोई चीज यहां देखने और सुनने को नहीं मिलती, जिसका नतीजा ये कि दुनिया में सबसे ज्यादा एचआईवी संक्रमित लोगों में भारत तीसरे स्थान पर है. कंडोम सिर्फ प्रेगनेंसी नहीं रोकता बल्कि यौन रोगों से भी बचाव करता है, और इसीलिए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन(NACO) ने एचआईवी मामलों को नियंत्रित करने के लिए 2005-2011 तक देशभर में करीब 19 हजार कंडोम वेंडिंग मशीनें लगवाईं जो आम जन की पहुंच में हों. लेकिन कोई नतीजा हाथ नहीं आया. 2013 तक करीब 10 हजार मशीनें गायब हो गईं, और जो बचीं वो खराब. तो इस बात से ये तो साफ हो गया कि लोगों को सिर्फ कंडोम उपलब्ध कराना ही जरूरी नहीं है, जरूरी है उनकी सोच को बदलना.
'मूड्स प्लैनेट' जैसे स्टोर्स अगर लोगों में छिपी झिझक और शर्म को तोड़ पाएं तो ऐसे स्टोर्स का खुले दिल से स्वागत है. भले ही अभी यहां लोग कम आएं, ये मुनाफा न कमा पाएं, लेकिन ऐसे स्टोर्स सामने आए ये भारत के लिए अच्छा संकेत है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.