हिंदू-मुस्लिम से जुड़ी कई मिसाल हैं, जो दोनों समुदाय की एकता को बयां करती हैं. कभी हिंदू अपने मुस्लिम भाइयों के साथ मिलकर रोज़ा रखते हैं और ईद मनाते हैं, तो कभी मुस्लिम अपने हिंदू भाइयों के साथ मिलकर होली, दीवाली और दूसरे त्योहार मनाते हैं. दोनों का इस तरह से मिल-जुल कर रहना ही गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है.
ऐसे ही भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश की गई कर्नाटक के प्राचीन श्री कृष्ण मंदिर में. मंदिर के अन्नब्रह्मा भोजन कक्ष में मुसलमानों के लिए इफ्तार का आयोजन किया गया. उडुपी में अंजुमन मस्जिद के इमाम भी इस मौके पर मंदिर में मौजूद रहे.
इमाम मौलाना इनायतुल्लाह ने यहां मंदिर के दूसरे माले पर मुसलमान रोजेदारों को नमाज अता करवाई और रोजा खुलवाया. सोशल मीडिया पर भी लोग इस कदम को अच्छा मान रहे हैं. कोई मस्जिद में भजन कराने की बात कर रहा है तो कोई अतुल्य भारत से इस कदम को नवाज रहा है.
मशहूर एक्टर आदिल हुसैन ट्वीट कर के लिखते हैं- 'ये देखकर बहुत अच्छा लगा. ऐसे ही शांति बनी रहे.'
म्यूजिक डायरेक्टर और सिंगर विशाल ददलानी ने ट्वीट करते हुए लिखा- 'मेरा भारत अभी भी खूबसूरत है. हमें ये जानना जरूरी है कि हम पहले इंसान है और...
हिंदू-मुस्लिम से जुड़ी कई मिसाल हैं, जो दोनों समुदाय की एकता को बयां करती हैं. कभी हिंदू अपने मुस्लिम भाइयों के साथ मिलकर रोज़ा रखते हैं और ईद मनाते हैं, तो कभी मुस्लिम अपने हिंदू भाइयों के साथ मिलकर होली, दीवाली और दूसरे त्योहार मनाते हैं. दोनों का इस तरह से मिल-जुल कर रहना ही गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है.
ऐसे ही भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश की गई कर्नाटक के प्राचीन श्री कृष्ण मंदिर में. मंदिर के अन्नब्रह्मा भोजन कक्ष में मुसलमानों के लिए इफ्तार का आयोजन किया गया. उडुपी में अंजुमन मस्जिद के इमाम भी इस मौके पर मंदिर में मौजूद रहे.
इमाम मौलाना इनायतुल्लाह ने यहां मंदिर के दूसरे माले पर मुसलमान रोजेदारों को नमाज अता करवाई और रोजा खुलवाया. सोशल मीडिया पर भी लोग इस कदम को अच्छा मान रहे हैं. कोई मस्जिद में भजन कराने की बात कर रहा है तो कोई अतुल्य भारत से इस कदम को नवाज रहा है.
मशहूर एक्टर आदिल हुसैन ट्वीट कर के लिखते हैं- 'ये देखकर बहुत अच्छा लगा. ऐसे ही शांति बनी रहे.'
म्यूजिक डायरेक्टर और सिंगर विशाल ददलानी ने ट्वीट करते हुए लिखा- 'मेरा भारत अभी भी खूबसूरत है. हमें ये जानना जरूरी है कि हम पहले इंसान है और वही भारतीयता है.'
बता दें, लगभग 150 मुसलमानों ने मंदिर में आयोजित इस इफ्तार पार्टी में हिस्सा लिया. इस इफ्तार दावत को ‘सौहार्द उपहार कूट’ के नाम से पर्याय पेजावर मठ द्वारा आयोजित किया गया. इफ्तार की इस दावत में केले, सेब और तरबूज के साथ ही काजू के साथ काली मिर्च से बनी विशेष कशाया भी परोसी गई.
'हम सब एक ही के संतान'
मंदिर में इस इफ्तार दावत के मौके पर वहां मौजूद विश्व हिंदू परिषद् से जुड़े एक महंत ने कहा- "हर धर्म के मनुष्यों को एक साथ मिलकर सद्भाव से रहना चाहिए, मुझे हमेशा मुसलमानों का प्यार और साथ मिला है. महंत ने कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों के लोगों से भी खास अपील की कि हम सब एक ही के संतान हैं, हम सबको मिलकर रहना चाहिए."
मालूम हो कि आज से करीब 30 साल पहले मठ के तीसरे महंत ने इस परिसर में ईद पर हिंदू-मुस्लिम सम्मेलन आयोजित किया था लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि मठ में रोजा खोला गया, नमाज पढ़ी गई और फिर इफ्तार पार्टी हुई.
सोशल मीडिया पर लोग इस कदम के बाद हिंदू-मुस्लिम एकता की बात कर रहे हैं. सभी चाहते हैं कि मंदिर में नमाज हो रही है तो मंस्जिद में भी भजन गाए जाएं. सच में वो दृश्य देखने में बहुत खूबसूरत होगा जब दीवाली पर मस्जिदों में रोशनी होगी और मंदिरों में ईद की नमाज अता की जाएगी.
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