इसकी शुरुआत मेरे मां के पेट से निकल कर दुनिया में आंख खोलने के दिन से ही शुरु हो गई थी. जैसे ही डॉक्टर ने सफेद चादर में लिपटी फूल सी बेटी को मां के हाथ में सौंपा मेरी मां के लिए वो चादर सफेद के बजाए लाल रंग के शादी के जोड़े में बदल गया!
मुझे बताया गया कि मेरी मां अक्सर पापा को अस्पताल के कमरे से बाहर ले जाने के लिए कहती थी. हालांकि प्रसव के बाद उसका शरीर बहुत कमजोर हो चुका था लेकिन फिर भी वो बाहर जाने की जिद करती थी. मुझे पूरा यकीन है कि मेरी मां अस्पताल के उस घुटन वाले कमरे से बाहर थोड़ी ताजा हवा खाने के मकसद से नहीं बल्कि हो न हो वो नवजात लड़कों को देखने जाती होंगी!
तब से लगभग 24 साल बीत चुके हैं और 24 सालों में मैं ज्यादा मैच्योर होने के अलावा एक बात अच्छे से समझ चुकी थी कि ये 24 ये सिर्फ एक नंबर ही नहीं है मेरी जिंदगी का. बल्कि हर बीतते सेकेंड के साथ 24 घंटा 'जल्दी शादी कर ले' का साइरन मेरे कानों में बजाता रहेगा.
मां ने अपनी जिंदगी के मिशन को मेरी लाइफ का मिशन बना दिया है
क्योंकि आज की तारीख में मेरी मां के जीवन का इकलौता सपना मुझे जयमाला लिए हुए स्टेज पर देखना है तो अब उसे पड़ोस की आंटियों के नकली गहनों और साड़ियों का विश्लेषण करने में भी कोई इंटरेस्ट नहीं रहा. लेकिन हां, पड़ोस की पम्मी आंटी की भतीजी की शादी गीतांजलि आंटी के भतीजे से हो रही है ये डिसक्शन जरुर होगा.
हालांकि वो ये जरुर भूल जाती है कि मेरा अभी शादी का कोई इरादा नहीं है. मैं भले ही बैठकर किसी आंटी की बुराई चटकारे लेकर कर लूंगी लेकिन शादी की चर्चा मैं नहीं झेल सकती.
मुझे...
इसकी शुरुआत मेरे मां के पेट से निकल कर दुनिया में आंख खोलने के दिन से ही शुरु हो गई थी. जैसे ही डॉक्टर ने सफेद चादर में लिपटी फूल सी बेटी को मां के हाथ में सौंपा मेरी मां के लिए वो चादर सफेद के बजाए लाल रंग के शादी के जोड़े में बदल गया!
मुझे बताया गया कि मेरी मां अक्सर पापा को अस्पताल के कमरे से बाहर ले जाने के लिए कहती थी. हालांकि प्रसव के बाद उसका शरीर बहुत कमजोर हो चुका था लेकिन फिर भी वो बाहर जाने की जिद करती थी. मुझे पूरा यकीन है कि मेरी मां अस्पताल के उस घुटन वाले कमरे से बाहर थोड़ी ताजा हवा खाने के मकसद से नहीं बल्कि हो न हो वो नवजात लड़कों को देखने जाती होंगी!
तब से लगभग 24 साल बीत चुके हैं और 24 सालों में मैं ज्यादा मैच्योर होने के अलावा एक बात अच्छे से समझ चुकी थी कि ये 24 ये सिर्फ एक नंबर ही नहीं है मेरी जिंदगी का. बल्कि हर बीतते सेकेंड के साथ 24 घंटा 'जल्दी शादी कर ले' का साइरन मेरे कानों में बजाता रहेगा.
मां ने अपनी जिंदगी के मिशन को मेरी लाइफ का मिशन बना दिया है
क्योंकि आज की तारीख में मेरी मां के जीवन का इकलौता सपना मुझे जयमाला लिए हुए स्टेज पर देखना है तो अब उसे पड़ोस की आंटियों के नकली गहनों और साड़ियों का विश्लेषण करने में भी कोई इंटरेस्ट नहीं रहा. लेकिन हां, पड़ोस की पम्मी आंटी की भतीजी की शादी गीतांजलि आंटी के भतीजे से हो रही है ये डिसक्शन जरुर होगा.
हालांकि वो ये जरुर भूल जाती है कि मेरा अभी शादी का कोई इरादा नहीं है. मैं भले ही बैठकर किसी आंटी की बुराई चटकारे लेकर कर लूंगी लेकिन शादी की चर्चा मैं नहीं झेल सकती.
मुझे लगता है कि मन ही मन मेरी माँ ने मुझे शादीशुदा मान लिया है
मुझे अभी तक अपने सपनों का राजकुमार नहीं मिला. लेकिन मुझे लगता है कि मेरी मां पहले ही उससे मिल चुकी है. यही नहीं मेरी जिंदगी के उस बड़ी प्रॉब्लम और उसके पूरे परिवार को अच्छे से जानती है.
अरे अगर ऐसा नहीं है तो फिर आप ही बताइए आखिर मेरी मां को कैसे पता रहता है कि मेरा पति (जिसे वह अभी भी खोज रही है) और उसके परिवार को वीकेंड में मेरे 10 बजे सोकर उठने या रात में मेरे बालों में तेल लगाने से या फिर मेरे घंटे नहाने से दिक्कत होगी?
मुझे ऐसा लगता है कि वो लोगो मुझे अभी से ही देख रहे हैं.
मेरी लाइफ मेरी मां के सपनों वाले दामाद के आस-पास ही घूमती रहती है
मेरे एक दोस्त ने मेरी मां को बताया कि उसे लंबे बालों वाली लड़कियां पसंद हैं. अब क्योंकि वो शब्द किसी लड़के के मुंह से निकले थे, तो मेरी मां ने अपनेआप ही मान लिया कि सारे लड़कों को ऐसी ही लड़कियां पसंद आती हैं. इसका नतीजा? मुझे बाल कटवाए सिर्फ एक साल से कुछ महीने ही ऊपर हुए हैं. मेरे बतरतीब बाल चीख-चीखकर कटवाने की नहीं तो ट्रिमिंग कराने की गुहार लगा रहे थे. लेकिन नहीं! मेरी मां के उस काल्पनिक दामाद को लंबे बाल वाली लड़की पसंद है तो मैं बाल नहीं कटवा सकती.
ईमानदारी से कहूं तो...
हालांकि ये एक विशिष्ट पंजाबी मां के व्यवहार की तरह लग सकता है, लेकिन ये किसी भी तरीके से मज़ेदार नहीं है और इसको झेलना कोई खेल नहीं है. क्योंकि शादी के लिए मुझपर जितना दबाव बनाया जाता है मैं उतना ही इस टेंशन से भागने के उपाय खोजती हूं. इस बात को समझना होगा कि शादी जीवन का एक हिस्सा है, जीवन नहीं.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.