अगर आप सोशल मीडिया का हिस्सा हैं या किसी भी तरह की न्यूज देखते या सुनते हैं तो अभी तक आपको इडलिब, सीरिया में हुए केमिकल अटैक के बारे में पता चल ही गया होगा. ये प्रांत इस्लामिक संगठन आईएस के कब्जे में है और जहां आप बैठे हैं वहां से बहुत दूर है! फिर भी उन तड़पते हुए बच्चों का दर्द महसूस कर लिया होगा. अगर आपको इसके बारे में नहीं पता तो आपको थोड़ा और सोशल होने की जरूरत है.
उन बच्चों की तस्वीरें, वीडियो, तड़पते हुए लोगों की चीखें बयान कर रहे हैं. छोटे बच्चे जिन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है. अस्पताल में बढ़ते मरीजों की संख्या, 100 से ज्यादा लोगों की मौत ये सब कुछ उस केमिकल अटैक के कारण हुआ जिसकी निंदा अब तक लगभग सभी देश कर चुके हैं.
किस कैमिकल के कारण हुआ ये?
ये अटैक सरीन नाम के एक बैन किए गए कैमिकल से किया गया. इसे इडलिब के खान शयखुन कस्बे में प्लेन से बम की शक्ल में गिराया गया और देखते ही देखते ये लोगों के शरीर तक पहुंच गया. ये एक ऐसा कैमिकल है कि शरीर में किसी भी तरह से जाए तो ये नसों पर असर डालता है. इससे सांस लेने में दिक्कत होना, फेफड़ों में परेशानी, हाथ-पैर का काम ना करना, दिमाग पर असर और मौत भी हो सकती है. ये बहुत ही खतरनाक रसायन है जिसे हथियार के तौर पर अगर इस्तेमाल किया जाए तो इंसानियत इसी तरह शर्मसार होती है.
इन तस्वीरों और खबरों के बीच एक ऐसा शख्स भी था जिसने अपनी जान खुद बचाई. सूजबूझ से सीरिया के हसन यूसुफ की जान बच गई, लेकिन देर थोड़ी देर होने के कारण पैर ना बच सके. यूसुफ ने एयरस्ट्राइक के बाद घर के बाहर निकल कर देखा कि शायद ये आम हमला है और वो बाकियों कि थोड़ी मदद कर सके, लेकिन ऐसा नहीं था. असल में ये कैमिकल अटैक था और बाहर जाकर उसे समझ आया कि जहर हवाओं में घुल चुका है.
यूसुफ ने टीवी पर किसी को कहते सुना था कि कैमिकल अटैक के समय ऊंचाई पर जाएं और किसी भी हालत में जमीन पर या ऐसी जगह पर जहां अटैक हुआ है उसके पास जाने की कोशिश ना करें और यूसुफ ने यही किया. यूसुफ के पैर...
अगर आप सोशल मीडिया का हिस्सा हैं या किसी भी तरह की न्यूज देखते या सुनते हैं तो अभी तक आपको इडलिब, सीरिया में हुए केमिकल अटैक के बारे में पता चल ही गया होगा. ये प्रांत इस्लामिक संगठन आईएस के कब्जे में है और जहां आप बैठे हैं वहां से बहुत दूर है! फिर भी उन तड़पते हुए बच्चों का दर्द महसूस कर लिया होगा. अगर आपको इसके बारे में नहीं पता तो आपको थोड़ा और सोशल होने की जरूरत है.
उन बच्चों की तस्वीरें, वीडियो, तड़पते हुए लोगों की चीखें बयान कर रहे हैं. छोटे बच्चे जिन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है. अस्पताल में बढ़ते मरीजों की संख्या, 100 से ज्यादा लोगों की मौत ये सब कुछ उस केमिकल अटैक के कारण हुआ जिसकी निंदा अब तक लगभग सभी देश कर चुके हैं.
किस कैमिकल के कारण हुआ ये?
ये अटैक सरीन नाम के एक बैन किए गए कैमिकल से किया गया. इसे इडलिब के खान शयखुन कस्बे में प्लेन से बम की शक्ल में गिराया गया और देखते ही देखते ये लोगों के शरीर तक पहुंच गया. ये एक ऐसा कैमिकल है कि शरीर में किसी भी तरह से जाए तो ये नसों पर असर डालता है. इससे सांस लेने में दिक्कत होना, फेफड़ों में परेशानी, हाथ-पैर का काम ना करना, दिमाग पर असर और मौत भी हो सकती है. ये बहुत ही खतरनाक रसायन है जिसे हथियार के तौर पर अगर इस्तेमाल किया जाए तो इंसानियत इसी तरह शर्मसार होती है.
इन तस्वीरों और खबरों के बीच एक ऐसा शख्स भी था जिसने अपनी जान खुद बचाई. सूजबूझ से सीरिया के हसन यूसुफ की जान बच गई, लेकिन देर थोड़ी देर होने के कारण पैर ना बच सके. यूसुफ ने एयरस्ट्राइक के बाद घर के बाहर निकल कर देखा कि शायद ये आम हमला है और वो बाकियों कि थोड़ी मदद कर सके, लेकिन ऐसा नहीं था. असल में ये कैमिकल अटैक था और बाहर जाकर उसे समझ आया कि जहर हवाओं में घुल चुका है.
यूसुफ ने टीवी पर किसी को कहते सुना था कि कैमिकल अटैक के समय ऊंचाई पर जाएं और किसी भी हालत में जमीन पर या ऐसी जगह पर जहां अटैक हुआ है उसके पास जाने की कोशिश ना करें और यूसुफ ने यही किया. यूसुफ के पैर में जख्म हो गए थे, वो पास की एक बिल्डिंग पर गए और ऊपर चढ़ने लगे. जब उनके पैरों ने काम करना बंद कर दिया तो अपने हाथों से खुद को घसीटा. धीरे-धीरे चढ़ते गए और हिम्मत नहीं हारी. यूसुफ उन 71 लोगों में से एक हैं जिन्हें ज़ख्मी हालत में भी उसी दिन अस्पताल पहुंचा दिया गया था.
यूसुफ की ये समझदारी कई लोगों के काम आई, लेकिन काश सभी को इसके बारे में जानकारी होती. तो अगर कैमिकल या बायोलॉजिकल अटैक हो तो आम जनता को क्या करना चाहिए?
अगर हो कैमिकल अटैक तो?
- किसी भी ऐसे अटैक में ऊंची जगह पर जाएं. जितना ऊंचा आप जा सकते हैं उतना ऊंचा जाएं. हवा हर कुछ मीटर पर बदलती है और इससे आपको सांस लेने के लिए साफ हवा मिल सकती है.
- पानी से दूर रहें. अगर कोई अटैक हुआ है तो पानी से दूर रहें. जब तक यकीन ना हो कि साफ पानी है तब तक उसे हाथ ना लगाएं. पानी अगर गलती से भी आपने पी लिया या किसी भी तरह से इस्तेमाल कर लिया तो नतीजा घातक साबित हो सकता है.
- आखों और नाक को ढक लें. जितना कैमिकल आपके अंदर जाएगा उतना ही आपको दिक्कत होगी. ऐसे में खुद को ढंकने की कोशिश करें. अगर कोई एयर स्ट्राइक हुई है तो ऐसी स्थिती में उस जगह से दूर जाने की कोशिश करें.
- न्यूमोनिया वैक्सीन कर सकता है मदद. अगर कोई बायोलॉजिकल अटैक है या ऐसा कैमिकल है जिससे फेफड़ों में तकलीफ होती है तो न्यूमोनिया वैक्सीन मदद कर सकता है. इससे पहले जहां भी ऐसे अटैक हुए हैं न्यूमोनिया वैक्सीन काफी मददगार साबित हुआ है.
- न्यूज देखते रहें और डॉक्टर से संपर्क करें. सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन्स देखें. अगर असर काफी हल्का है तो एंटी-वायरल गोलिंया भी आपकी मदद कर सकती हैं.
- अपने हाथ धोते रहें और एल्कोहॉल आधारित क्लीनर का इस्तेमाल करें. इससे मदद मिलेगी.
- मास्क पहन कर और खुद को ढककर ही बाहर निकलें.
कैमिकल अटैक किसने किया इसपर तो आरोप-प्रत्यारोप लग ही रहे हैं. साथ ही अमेरिका ने भी अब इस मामले में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है. कुछ बच्चों की गिरफ्तारी से शुरू हुई ये जंग, सीरियन प्रेसिडेंट बशर अल असद के विरोध को आगे बढ़ाते हुए ये रूप ले लेगी शायद किसी ने ना सोचा होगा. हर कोई अपनी-अपनी तरह से लड़ रहा है. सभी का अपना दर्द है, लेकिन क्या कोई उस बच्चे का दर्द समझ पाएगा जो कैमिकल अटैक के बाद चीख भी ना पाया. अपना दर्द बता भी ना पाया, रो भी नहीं पाया बस तड़पता हुआ चला गया इस दुनिया से...
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