आशिक की ज़िन्दगी में वो गम ख़ुदा न लाए
माशूक बन के दुल्हन किसी और का घर बसाए
मेरी इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं है कि मैं धूप से टैन हुए अपने हाथों से गाना टाइप कर आपका मनोरंजन करूं. न ही इस बात में मेरी कोई रूचि है कि आपको घटिया शेर ओ शायरी सुनाकर बोर, बहुत बोर करूं. गाने के बोल बस इसलिए लिखे ताकि मेरी बकर को थोड़ा मसाला मिल जाए और आप लेख को अधूरा छोड़ कर भागे नहीं. हां तो साहेबान, कद्रदान मेहरबान शुरू करते हैं- 90 के दशक में आया ये गाना ट्रक, टेम्पो, ऑटो, विक्रम, टिर्री, गणेश और रिक्शे में काफ़ी लोकप्रिय हुआ था. ये गाना कुछ ऐसा था कि इसने दिल टूटे आशिकों के लिए बैंडेज का काम किया था, उनके जख्मों पर मरहम लगाया था.
वाक़ई बड़ी तकलीफ होती है जब आप ये देखें कि जिसे कभी आपने प्रेम किया हो, जिसके संग एक ही नारियल में दो स्ट्रॉ डालकर पानी पिया हो, जिसके संग आपने 50 ग्राम फ्रेंच फ्राई पौने दो घंटे में खत्म की हो, जिसके साथ आपने 5 - 5 रुपए का टिकट लेने के बाद बगीचे में बैठकर अपने उज्जवल भविष्य के सपने देखे हों, चिड़ियाघर में बन्दर के बाड़े के पीछे, भविष्य में होने वाले बच्चों का नामकरण किया हो, वो किसी और का हो जाए, किसी और से शादी कर ले.
कुछ लोग अपने महबूब या माशूक की इस हरकत को नज़रअंदाज कर देते हैं तो कुछ लोग इसे गंभीरता से ले लेते हैं. जो नज़रअंदाज़ करते हैं वो समाज द्वारा कायर कहलाते हैं और जो गंभीरता से लेते हुए इसपर उचित कार्यवाही करते हैं समाज द्वारा दिलेर के नाम से जाने जाते हैं. दिलेरी का कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले से जहां एक युवती ने अपने प्रेमी को भरे मंडप से, बंदूक की नोक पर किडनैप कर लिया और कार में...
आशिक की ज़िन्दगी में वो गम ख़ुदा न लाए
माशूक बन के दुल्हन किसी और का घर बसाए
मेरी इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं है कि मैं धूप से टैन हुए अपने हाथों से गाना टाइप कर आपका मनोरंजन करूं. न ही इस बात में मेरी कोई रूचि है कि आपको घटिया शेर ओ शायरी सुनाकर बोर, बहुत बोर करूं. गाने के बोल बस इसलिए लिखे ताकि मेरी बकर को थोड़ा मसाला मिल जाए और आप लेख को अधूरा छोड़ कर भागे नहीं. हां तो साहेबान, कद्रदान मेहरबान शुरू करते हैं- 90 के दशक में आया ये गाना ट्रक, टेम्पो, ऑटो, विक्रम, टिर्री, गणेश और रिक्शे में काफ़ी लोकप्रिय हुआ था. ये गाना कुछ ऐसा था कि इसने दिल टूटे आशिकों के लिए बैंडेज का काम किया था, उनके जख्मों पर मरहम लगाया था.
वाक़ई बड़ी तकलीफ होती है जब आप ये देखें कि जिसे कभी आपने प्रेम किया हो, जिसके संग एक ही नारियल में दो स्ट्रॉ डालकर पानी पिया हो, जिसके संग आपने 50 ग्राम फ्रेंच फ्राई पौने दो घंटे में खत्म की हो, जिसके साथ आपने 5 - 5 रुपए का टिकट लेने के बाद बगीचे में बैठकर अपने उज्जवल भविष्य के सपने देखे हों, चिड़ियाघर में बन्दर के बाड़े के पीछे, भविष्य में होने वाले बच्चों का नामकरण किया हो, वो किसी और का हो जाए, किसी और से शादी कर ले.
कुछ लोग अपने महबूब या माशूक की इस हरकत को नज़रअंदाज कर देते हैं तो कुछ लोग इसे गंभीरता से ले लेते हैं. जो नज़रअंदाज़ करते हैं वो समाज द्वारा कायर कहलाते हैं और जो गंभीरता से लेते हुए इसपर उचित कार्यवाही करते हैं समाज द्वारा दिलेर के नाम से जाने जाते हैं. दिलेरी का कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले से जहां एक युवती ने अपने प्रेमी को भरे मंडप से, बंदूक की नोक पर किडनैप कर लिया और कार में बैठा के भाग गयी. बताया जा रहा है कि युवक अपनी प्रेमिका को छोड़ किसी अन्य महिला से विवाह करने जा रहा था. प्रेमिका को ये बात नागवार गुजरी और उसने अपने प्रेमी को सबक सिखाने का फैसला किया क्षेत्र के लोगों कि मानें तो ये अपने में पहला मामला है जहां किडनैपर बन महिला ने किसी का अपहरण किया है.
क्या है पूरा मामला
पेशे से कम्पाउंडर और हमीरपुर जिले के मौदाहा निवासी अशोक का विवाह भवानीपुर गांव की युवती से होना था. प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो अशोक अभी बारात लेकर आयोजन स्थल पर आया ही था कि तमंचे से लैस एक युवती मंडप पर चढ़ गयी. युवती ने अशोक को ये कहते हुए कॉलर से घसीट लिया कि "प्यार हमसे शादी किसी और से? ये हम हरगिज बर्दाश्त न करेंगे. इसके बाद युवती ने बंदूक की नोक पर अशोक को गाड़ी में बैठाया और भाग गयी.
आम लोगों के अलावा मामले ने पुलिस को भी भारी टेंशन दे दी है जहाँ पुलिस के डीसीपी भी खासे परेशान हैं. उनका कहना है कि "इतने लोगों के सामने आखिर कैसे युवती भरी सभा में युवक का अपहरण कर सकती है? क्या किसी ने उन्हें रोकने / बचाने की कोशिश नहीं करी? पुलिस का ये भी तर्क है कि युवक का अपरहण नहीं हुआ है बल्कि वो अपनी मर्ज़ी से महिला के साथ गया है.
अंत में इतना ही कि आगाज-ए- मुहब्बत से तो डर नहीं लगता, हां मगर जब अंजाम ऐसा हो और भाग्य में किडनैप होना वो भी अपनी प्रेमिका के हाथों, तो डर और थर–थर कांपने के अलावा माथे पर चिंता के बल और कनपटी के पास पसीने की बूंदों का आना लाजमी है. याद रहे, सावधानी हटी, दुर्घटना घटी.
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