भारत के इतिहास में एक राजा ऐसा हुआ जिसे न किसी पाठ्य पुस्तक में स्थान मिला, न ही किसी भारतीय इतिहासकार ने उन पर कोई शोध किया. लेकिन विदेशी इतिहासकार इस राजा को कश्मीर का सिकन्दर मानते हैं.
भारत में कई महान राजाओं ने जन्म लिया है. उनमें से कुछ, जैसे चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक, कनिष्क, समुद्र गुप्त, हर्षवर्धन को इतिहास में स्थान मिला परंतु कुछ इतने भाग्यशाली नहीं थे. कुछ भारतीय राजाओं का इतिहास हमें हमारे स्कूलों व कॉलेजों की पाठ्यपुस्तकों में चाहे न मिले, पर विभिन्न इतिहासकारों द्वारा समय-समय पर लिखित पुस्तकों में उनका इतिहास मिल जाता है.
परंतु एक ऐसा भी राजा इतिहास में हुआ जिसे न स्कूल, न कॉलेज की पाठ्यपुस्तकों में स्थान मिला, न ही किसी भारतीय इतिहासकार ने उन पर कोई शोध किया, न कोई किताब लिखी. मज़े की बात तो यह है कि विदेशी इतिहासकार इस राजा को कश्मीर का सिकन्दर मानते हैं. मैं यहां आठवीं शताब्दी के कश्मीर के राजा, ललित आदित्य की बात कर रहा हूं.
आठवीं शताब्दी के कश्मीर के राजा, ललित आदित्य
ललित आदित्य ने 724 ई से 760 ई तक कश्मीर पर राज किया. ललित आदित्य की सारी दुनिया को जीतने की महत्वाकांक्षा थी और उनके शासनकाल में कई विजय अभियानों का उल्लेख आता है. भारत भूभाग के अलावा ललित आदित्य ने तुर्क, मध्य एशिया के क्षेत्रों, तिब्बत, बाल्टिस्तान पर विजय पताका फहराई.
राजा ललित आदित्य द्रारा बनवाए गए मार्तंड मंदिर के खंडहर
कश्मीर के इतिहास पर लिखी पुस्तक राजतरंगिणी के अनुसार ललित आदित्य के राज्य की सीमा उत्तर में कैस्पियन सागर, पूर्व में बंगाल और दक्षिण में कर्नाटक तक थी. ललित आदित्य ने कश्मीर पर आक्रमण करने वाले अरब हमलावर मोमिन के विरोध चार युद्ध लड़े और चारों बार उसे हराया.
भारत में कई महान राजाओं ने जन्म लिया है. उनमें से कुछ, जैसे चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक, कनिष्क, समुद्र गुप्त, हर्षवर्धन को इतिहास में स्थान मिला परंतु कुछ इतने भाग्यशाली नहीं थे. कुछ भारतीय राजाओं का इतिहास हमें हमारे स्कूलों व कॉलेजों की पाठ्यपुस्तकों में चाहे न मिले, पर विभिन्न इतिहासकारों द्वारा समय-समय पर लिखित पुस्तकों में उनका इतिहास मिल जाता है.
परंतु एक ऐसा भी राजा इतिहास में हुआ जिसे न स्कूल, न कॉलेज की पाठ्यपुस्तकों में स्थान मिला, न ही किसी भारतीय इतिहासकार ने उन पर कोई शोध किया, न कोई किताब लिखी. मज़े की बात तो यह है कि विदेशी इतिहासकार इस राजा को कश्मीर का सिकन्दर मानते हैं. मैं यहां आठवीं शताब्दी के कश्मीर के राजा, ललित आदित्य की बात कर रहा हूं.
आठवीं शताब्दी के कश्मीर के राजा, ललित आदित्य
ललित आदित्य ने 724 ई से 760 ई तक कश्मीर पर राज किया. ललित आदित्य की सारी दुनिया को जीतने की महत्वाकांक्षा थी और उनके शासनकाल में कई विजय अभियानों का उल्लेख आता है. भारत भूभाग के अलावा ललित आदित्य ने तुर्क, मध्य एशिया के क्षेत्रों, तिब्बत, बाल्टिस्तान पर विजय पताका फहराई.
राजा ललित आदित्य द्रारा बनवाए गए मार्तंड मंदिर के खंडहर
कश्मीर के इतिहास पर लिखी पुस्तक राजतरंगिणी के अनुसार ललित आदित्य के राज्य की सीमा उत्तर में कैस्पियन सागर, पूर्व में बंगाल और दक्षिण में कर्नाटक तक थी. ललित आदित्य ने कश्मीर पर आक्रमण करने वाले अरब हमलावर मोमिन के विरोध चार युद्ध लड़े और चारों बार उसे हराया.
ललित आदित्य ने न केवल भारत पर हमला करने वाले आक्रमणकारियों को हराया, अपितु वह एक महान निर्माता भी थे. उनका सबसे विशेष निर्माण, सूर्य भगवान को समर्पित मार्तंड मंदिर है. इस मंदिर को कश्मीर के सबसे शक्तिशाली और सुंदर मंदिर परिसर के रूप में माना जाता है. हिंदू होने के बावज़ूद ललित आदित्य ने कई बुध विहारों की स्थापना की.
हैरानी की बात है कि इतनी सारी उपलब्धियों के बावज़ूद ललित आदित्य को कोई आम भारतीय नहीं जनता है. जहां मुगल शासकों के उपर अनगिनत फिल्में बन चुकी हैं, किताबें लिखी जा चुकी हैं, पर ललित आदित्य पर कुछ भी नहीं. क्या यह संयोग की बात है या ऐसा जान बुझ कर किया गया है. यदि कश्मीर के एक हिंदू राजा की विश्व विजय गाथा प्रसिद्ध हो गई तो क्या इसका असर आज की कश्मीर समस्या के परिपेक्ष में भारत के पक्ष में न हो जाए, ऐसा सोच कर इस विजय गाथा को दबाया तो नहीं गया?
कुछ भी हो, आज के सोशल मीडिया के युग में कोई विषय दबाया, छुपाया नहीं जा सकता. अवश्य ही ललित आदित्य पर किताब, फिल्म जल्द आएगी.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.