पृष्ठभूमि : कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन मंदीप सिंह की बेटी गुरमेहर कौन ने संदेश दिया है कि उनके पिता को पाकिस्तान ने नहीं, युद्ध ने मारा है.
'पाकिस्तान ने मेरे पापा को नहीं मारा युद्ध ने मारा' में एक भाषाई कौतुक के ज़रिये पाकिस्तान को बरी करने की जो बेअक़्ल हवस नज़र आ रही है, उस पर ग़ौर किया जाए साहेबान.
मैं आशा करता हूं, बुद्धिमत्ता के इस प्रतिमान के बाद अब जेएनयू, लेफ़्ट, लिबरल और सेकुलर धड़ों से इस तरह के स्वर सामने आएंगे:
1) हिटलर ने यहूदियों को नहीं मारा नस्ली घृणा ने मारा
2) अमरीका ने वियतनाम पर हमला नहीं किया साम्राज्यवाद ने किया
3) हिंदुओं ने गुजरात में नरसंहार नहीं किया प्रतिशोध ने किया आदि इत्यादि.
और जैसा कि हम जानते हैं, "नस्ली घृणा", "साम्राज्यवाद", "प्रतिशोध" जैसे अमूर्त प्रत्ययों को इतिहास कलंकित नहीं करता, वो हमेशा, "स्पेसिफ़िकली" और "कैटेगोरिकली" नात्सी पार्टी, अमेरिका, नरेंद्र मोदी आदि को कठघरे में खड़ा करके उन्हें प्रश्नांकित करता है.
इसके बावजूद, मैं भी यही कहूंगा कि "आपके पापा को युद्ध ने ही मारा" लेकिन उस युद्ध का नाम "पाकिस्तान" है. पाकिस्तान युद्ध का राष्ट्रीयकरण है. पाकिस्तान विभाजन का व्याकरण है. पाकिस्तान जहालत की मीनार है. पाकिस्तान ख़ुद एक लड़ाई है. पाकिस्तान युद्ध है.
[पुनश्च : मज़े की बात है कि अब वह लड़की कह रही है कि मुझे "अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद" की ओर से धमकियां दी जा रही हैं. उसे यह कहना चाहिए कि मुझे...
पृष्ठभूमि : कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन मंदीप सिंह की बेटी गुरमेहर कौन ने संदेश दिया है कि उनके पिता को पाकिस्तान ने नहीं, युद्ध ने मारा है.
'पाकिस्तान ने मेरे पापा को नहीं मारा युद्ध ने मारा' में एक भाषाई कौतुक के ज़रिये पाकिस्तान को बरी करने की जो बेअक़्ल हवस नज़र आ रही है, उस पर ग़ौर किया जाए साहेबान.
मैं आशा करता हूं, बुद्धिमत्ता के इस प्रतिमान के बाद अब जेएनयू, लेफ़्ट, लिबरल और सेकुलर धड़ों से इस तरह के स्वर सामने आएंगे:
1) हिटलर ने यहूदियों को नहीं मारा नस्ली घृणा ने मारा
2) अमरीका ने वियतनाम पर हमला नहीं किया साम्राज्यवाद ने किया
3) हिंदुओं ने गुजरात में नरसंहार नहीं किया प्रतिशोध ने किया आदि इत्यादि.
और जैसा कि हम जानते हैं, "नस्ली घृणा", "साम्राज्यवाद", "प्रतिशोध" जैसे अमूर्त प्रत्ययों को इतिहास कलंकित नहीं करता, वो हमेशा, "स्पेसिफ़िकली" और "कैटेगोरिकली" नात्सी पार्टी, अमेरिका, नरेंद्र मोदी आदि को कठघरे में खड़ा करके उन्हें प्रश्नांकित करता है.
इसके बावजूद, मैं भी यही कहूंगा कि "आपके पापा को युद्ध ने ही मारा" लेकिन उस युद्ध का नाम "पाकिस्तान" है. पाकिस्तान युद्ध का राष्ट्रीयकरण है. पाकिस्तान विभाजन का व्याकरण है. पाकिस्तान जहालत की मीनार है. पाकिस्तान ख़ुद एक लड़ाई है. पाकिस्तान युद्ध है.
[पुनश्च : मज़े की बात है कि अब वह लड़की कह रही है कि मुझे "अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद" की ओर से धमकियां दी जा रही हैं. उसे यह कहना चाहिए कि मुझे "अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद" नहीं बल्कि "राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की विवेकहीन हिंसा" द्वारा धमकियां दी जा रही हैं. गोइंग बाय योर ओन लॉजिक. ]
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हालांकि, शहीद की इस बेटी की प्रतिक्रिया पर एक प्रतिक्रिया वीरेंद्र सहवाग ने भी दी है, जो कुछ इस तरह है-
सहवाग के ट्वीट को अभिनेता रणदीप हुड्डा ने भी सराहा-
लेकिन, यह बात वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता को चुभ गई और बड़ी बहस बन गई-
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.